2जी घोटाले के तीन मामलों में सबूतों के अभाव में 44 आरोपी बरी, जज ओपी सैनी निराश

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   21 Dec 2017 7:49 PM GMT

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2जी घोटाले के तीन मामलों में सबूतों के अभाव में 44 आरोपी बरी, जज ओपी सैनी निराश

द्रमुक नेता कनीमोझी 

नई दिल्ली (भाषा)। देश के सबसे बड़े 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के तीन मामलों में सुबूत के लिए सात साल तक इंतजार करने के बाद आखिरकार विशेष अदालत ने सभी 44 आरोपियों को आज बरी कर दिया। विशेष अदालत के जज ओपी सैनी ने सबूतों के अभाव में एक लाइन में सबको निर्दोष बताते हुए अपना फैसला सुनाया। इस निर्णय पर सुब्रमण्यम स्वामी ने जांच एजेंसी सीबीआई को संदेह के घेरे में खड़ा किया। 2जी मामले के मद्देनजर राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित रही।

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंसों के आवंटन के दौरान 30,984 करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दो फरवरी, 2012 को इन आवंटनों को रद्द कर दिया था।

राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष अदालत ने पूर्व संचार मंत्री ए राजा और द्रमुक नेता कनीमोझी सहित पूर्व संचार सचित सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर्स शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका, यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चन्द्रा और रिलायंस अनिल धीरुभाई अंबानी समूह (आरएडीएजी) के तीन शीर्ष कार्यकारी अधिकारी गौतम दोशी, सुरेन्द्र पिपारा और हरी नायर सहित 15 अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया गया।

अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के दौरान सामने आए धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के मुकदमे में भी राजा और द्रमुक प्रमुख एम. करुणानिधि की पुत्री कनीमोई को बरी कर दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने अपने आरोपपत्र में द्रमुक प्रमुख एम. करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल को भी आरोपी बनाया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि स्वान टेलीकॉम (प्राइवेट) लिमिटेड (एसटीपीएल) के प्रमोटर्स ने द्रमुक द्वारा संचालित कलैग्नार टीवी को 200 करोड़ रुपए दिए।

इनके साथ ही एसटीपीएल के शाहिद बलवा और विनोद गोयनका, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल, कलैग्नार टीवी के निदेशक शरद कुमार, बॉलीवुड फिल्म निर्माता करीम मोरानी और पी. अमृतम सहित 16 अन्य लोगों को भी धन शोधन मामले में अदालत ने बरी कर दिया है।

2जी मामले की सुनवाई के लिए 14 मार्च, 2011 को गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश ओ. पी. सैनी ने एस्सार समूह के प्रोमोटर्स रवि कांत रुइया और अंशुमन रुइया तथा छह अन्य लोगों को 2जी घोटाला जांच से जुड़े अन्य मामले में बरी कर दिया है।

रुइया के अलावा अदालत ने लूप टेलीकॉम के प्रमोटर्स आई. पी. खेतान और किरण खेतान तथा एस्सार समूह के निदेशकों में से एक विकास र्साफ, लूप टेलीकॉम लिमिटेड, लूप मोबाइल (इंडिया) लिमिटेड और एस्सार टेलीहोल्डिंग लिमिटेड को भी अदालत ने बरी कर दिया है।

मुझे यह कहते हुए कोई संकोच नहीं है कि अभियोजन पक्ष किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई आरोप साबित करने में बुरी तरह असफल रहा है।

ओपी सैनी न्यायाधीश विशेष अदालत

विशेष अदालत ने आज जिन तीन मामलों में फैसला सुनाया है उनमें कई कंपनियों सहित कुल 35 आरोपी थे।

पहले मुकदमे में अभियोजक सीबीआई ने 17 लोगों को आरोपी बनाया था, दूसरा मुकदमा प्रवर्तन निदेशालय का था जिसमें उसने 19 लोगों को आरोपी थे। तीसरे मुकदमे में एस्सार के प्रमोटर्स सहित आठ लोगों को आरोपी बनाया गया था।

द्रमुक सांसद कनिमोझी

राजा और कनीमोझी सहित सभी आरोपियों ने फैसले का स्वागत किया है और द्रमुक कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं के बरी होने पर जमकर जश्न मनाया।

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी

अदालत के फैसले के तुरंत बाद भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि सरकार को इस आरोपियों को बरी करने के निर्णय के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए। गौरतलब है कि स्वामी की जनहित याचिका के आधार पर ही उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को इस मामले की जांच करने का आदेश दिया था।

इस संबंध में सीबीआई का कहना है, हमें अभी तक पूरे फैसले की प्रति नहीं मिली है, हम इसका अध्ययन करेंगे, कानूनी सलाह लेंगे और फिर भविष्य के कदम तय करेंगे। प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों का कहना है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करेगी।

फैसला आने के तुरंत बाद कांग्रेस ने पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय पर निशाना साधा। गौरतलब है कि कैग रहते हुए विनोद राय ने ही कहा था कि 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंसों के आवंटन के दौरान 1.76 लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है।

कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वड्डकन ने टीवी चैनलों से कहा कि 2जी पर यह फैसला कैग के इतिहास पर काला धब्बा रहेगा और इसके लिए तत्कालीन कैग के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

2जी मामले में 21 अक्तूबर, 2009 को सीबीआई ने दूरसंचार विभाग के अज्ञात अधिकारियों, पांच अज्ञात लोगों और फर्मों आदि के खिलाफ शुरुआती प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जिसके बाद तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा का इस्तीफा देना पड़ा और उनकी गिरफ्तारी हुई। इस तथाकथित घोटाले ने तत्कालीन संप्रग सरकार की नींद उड़ा दी थी।

पूर्व दूरसंचार मंत्री एवं द्रमुक नेता ए. राजा

राजा और अन्य लोगों के खिलाफ अप्रैल 2011 में दाखिल आरोपपत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रंम आवंटन के दौरान 30,984 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा हुआ है। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने दो फरवरी, 2012 को सभी आवंटन रद्द कर दिए थे।

राजा, कनीमोई और 15 अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधडी, ठगी, फर्जी दस्तावेजों को असली बताकर उनका प्रयोग, आधिकारिक पद का दुरुपयोग, सरकारी कर्मचारी द्वारा आपराधिक दुर्व्यवहार और रिश्वत लेना के आधार पर मुकदमा चला था।

दूसरा मुकदमा प्रवर्तन निदेशालय का है जिसमें राजा और कनीमोई सहित 17 लोगों के खिलाफ 200 करोड़ रुपए की रिश्वत राशि के धनशोधन का मामला है। राजा और कनीमोई के अलावा द्रमुक सुप्रीमो एम. करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल और सात अन्य लोगों तथा नौ कंपनियों के खिलाफ भी धन शोधन का मुकदमा था।

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2जी घोटाले की जांच से जुड़े तीसरे मुकदमे में एस्सार समूह के प्रमोटर्स रवि कांत रुइया और अंशुमन रुइया तथा छह अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था। वर्ष 2013 रिटायर होने के बाद मोदी सरकार ने विनोद राय को बीसीसीआई की प्रशासक समिति (सीओए) का प्रमुख नियुक्त किया।

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