अवैध बोरवेल से पानी निकाल ट्रेनें धो रही थी डीएमआरसी, एनजीटी ने लगाई रोक

दिल्ली मेट्रो को केवल 164 बोरवेल के इस्तेमाल करने की अनुमति है लेकिन वह 276 बोरवेल का इस्तेमाल ट्रेन धोने के लिए कर रही है

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अवैध बोरवेल से पानी निकाल ट्रेनें धो रही थी डीएमआरसी, एनजीटी ने लगाई रोक

नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को राष्ट्रीय राजधानी इलाके में अवैध रूप से चल रहे बोरवेल से भूजल का इस्तेमाल रोकने का आदेश दिया है। एनजीटी ने स्पष्ट किया है कि डीएमआरसी केवल ऐसे बोरवेल से ही पानी का इस्तेमाल कर सकती है जिसके लिए उसने मंजूरी ली हो।

न्यायमूर्ति रघुवेंद्र एस राठौड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश तब जारी किया जब उसे यह जानकारी दी गई कि दिल्ली मेट्रो को केवल 164 बोरवेल के इस्तेमाल करने की अनुमति है लेकिन वह 276 बोरवेल का इस्तेमाल कर रही है । एनजीटी ने डीएमआरसी को बोरवेल से पानी निकालने के लिए केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से इजाजत लेने और मंजूरी मिलने के बाद उसे अवगत कराने को कहा। याचिकाकर्ता कुश कालरा के वकील कुश शर्मा ने आरोप लगाया कि डीएमआरसी ने अवैध बोरवेल लगाए हैं लेकिन अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं अगर अगर कोई नागरिक बिना मंजूरी के अपने घर में बोरवेल लगता है तो न केवल अधिकारी उसे सील कर देते हैं बल्कि फाइन भी लगा देते हैं। ले

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कालरा के मुताबिक, डीएमआरसी इस भूजल का इस्तेमाल ट्रेनों की धुलाई में कर रही है जिससे भूजल के स्तर में गिरावट आ रही है। अपनी दलील में एक जनहित याचिका का जिक्र करते हुए कालरा ने कहा कि एक मेट्रो ट्रेन को धोने में 400 से 500 लीटर पानी खर्च होता है। ट्रेनों की धुलाई के बाद यह पानी ट्रीटमेंट प्लांट में भेज दिया जाता है। ट्रीटमेंट के बाद यह पानी बागवानी में इस्तेमाल होता है।

दिल्ली में भूजल का संकट

मई में सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी कि दिल्ली में भूजल का स्तर हर साल 0.5 मीटर से लेकर 2 मीटर तक गिर रहा है। अगर तुरंत कारगर कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। सीजीडब्ल्यूबी के आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 1,483 वर्ग किलोमीटर के इलाके में 27 पर्सेंट क्षेत्र में पानी 0 से 5 मीटर की गहराई पर था लेकिन महज 17 साल में यह इलाका घटकर 11 पर्सेंट रह गया है।

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