बारिश की एक बूंद भी बेकार नहीं जाने देते हैं ये अधिकारी
गाँव कनेक्शन 7 Aug 2019 10:33 AM GMT
देश के कुछ हिस्से भीषण बाढ़ की चपेट में हैं तो कुछ सूखे की मार झेल रहे हैं। पानी की बर्बादी के कारण देश के उन भागों में भी सूखा है जहां कभी पर्याप्त पानी हुआ करता था। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश, मेरठ के जल निगम अधिकारी अमित शेरावत पानी संचयन को लेकर मिसाल पेश कर रहे हैं। वह अपने कार्यालय में ही जल संचयन कर रहे हैं। ये बारिश के पानी को एक जगह इकट्ठा कर उसको हार्वेस्टिंग प्रक्रिया के द्वारा पीने योग्य बनाते हैं।
क्या होता है हार्वेस्टिंग
अमित बताते हैं कि हार्वेस्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हम वर्षा के पानी को जरूरत की चीजों में उपयोग कर सकते हैं। वर्षा के पानी को एक निर्धारित किए हुए स्थान पर जमा करके वर्षा जल को संचयन कर सकते हैं। इसको करने के कई तरीके हैं जिनकी मदद से हम रेन वाटर हार्वेस्टिंग कर सकते हैं। इन तरीकों में जल को मिट्टी तक पहुंचने (भूजल) से पहले जमा करना जरूरी होता है।
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इस प्रक्रिया में ना सिर्फ वर्षा जल को संचयन होता है बल्कि उसे स्वच्छ भी बनाना होता है। वर्षा जल संचयन कोई आधुनिक तकनीक नहीं है यह कई वर्षों से उपयोग में लाया जा रहा है परंतु धीरे-धीरे इसमें भी नई टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ते चले जा रहा है ताकि रेन वाटर हारवेस्टिंग आसानी से और बेहतरीन तरीके से हो सके।
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सैलरी से तैयार करा डाली जल संचयन प्रणाली
उन्होंने बताया कि अपनी एक महीने की सैलरी से इस जल संचयन की प्रणाली को बनाने में ला दी ताकि जो यहां के कर्मचारी या अधिकारी हैं उन्हें भी सीख मिल सके। कई कर्मचारियों ने तो इस प्रणाली को देखते हुए अपने घर में जल बचाव पर काम करना शुरू कर दिया। इसकी मदद से आने वाले जल संकट से निपटा जा सकता है। इस प्रणाली में लगभग 20 से 30 हजार रुपए तक का खर्च आता है जिससे बारिश के पानी को बचाया जा सकता है।
गांव-गांव जाकर लोगों को करते हैं जागरूक
अमित शेरावत का प्रयास बस अपने कार्यालय तक ही सीमित नहीं है। यह गांव-गांव जाकर लोगों को पानी संचयन के जागरुक करते रहते हैं। वे बताते हैं कि यांत्रिक खंड के अधिकारी हफ्ते में गांव-गांव जाकर लोगों को पानी को बचाने के लिए जागरुक करते रहते हैं। लोगों को जल संचयन के फायदों के बारे में बताते हैं ताकि गांव वाले पानी की कीमत को समझ सके। गौरतलब है कि शहर तो शहर, ग्रामीण क्षेत्र भी पेयजल के अभाव में घोर संकट से ग्रस्त है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल का हाल ऐसा है कि गर्मी शुरू होते ही, भूजल स्तर में भारी गिरावट के साथ पानी की किल्लत शुरू हो जाती है।
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