'मैं अटल जी के साथ कबड्डी खेलता था'
अटल जी के साथ काम करने वाले तुलसीपुर के पूर्व विधायक ने बताई अटल जी की यादें। सुखदेव जी ने," बलरामपुर से पहली बार सांसद चुनकर वे दिल्ली पहुंचे थे। इसलिए अटल जी को बलरामपुर और यहां के लोगों को बहुत स्नेह करते थे।"
Chandrakant Mishra 16 Aug 2018 1:28 PM GMT
लखनऊ। " एक बार मैं अटल जी मिलने दिल्ली गया था। गेटमैन से मैंने कहा, मैं तुलसीपुर से आया हूं और विधायक हूं। मैं उनसे मिलना चाहता हूं। लेकिन गेटमैन ने मुझे रोक लिया। उनका रोकना भी लाजिमी था, क्योंकि मेरी कद काठी से मैं कहीं से विधायक नहीं लगता था। मेरे लाख कहने पर जब उन्होंने मिलने से मना कर दिया तो मैंने कहा, आप बस अटल जी से कह दीजिए, तुलसीपुर का वह विधायक आया है, जिसके साथ आप कबड्डी खेला करते थे। मेरे आने की जानकारी होते ही अटल जी ने मुझे वेटिंग रूम में बुलाया। कुछ देर बाद अटल जी से मुलाकात हुई। अटल जी गले लगाकर खूब हंसे।" ये संस्मरण बताया अटल जी के साथ कबड्डी खेलने वाले सुखदेव प्रसाद ने जो तुलसीपुर से दो बार विधायक रह चुके हैं।
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सुखदेव जी ने बताया, " वर्ष 1957 में लखनऊ में एक सभा आयोजन किया गया था। सभा में प्रदेश के कई बड़े नेता थे। सभा को संबोधित करते हुए पंडित दीनदयाल जी ने अटल जी का परिचय लोगों से कराया। दीन दयाल जी ने कहा, ये अटल बिहारी वाजपेयी हैं। कोई नेता अपने साथ ले जाए और इन्हें संसद बनाकर दिल्ली भेजे। सभा में मौजूद जनसंघ के वरिष्ठ नेता प्रताप नारायण तिवारी जी भी मौजूद थे। तिवारी जी उस समय बलरामपुर के विभाग संगठन मंत्री थे। प्रताप जी ने कहा, मैं इन्हें अपने साथ ले जाऊंगा और वादा करता हूं कि जीत निश्चित रूप से होगी। इसके बाद अटल जी बलरामपुर आ गए। यहीं रहने लगे। इस दौरान जब कभी समय मिलता तो हम लोगों के साथ संस्कृत पाठशाला में कबड्डी खेला करते थे। "
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काला नमक चावल और मुंशीआइन के पेड़े थे पंसद
सुखदेव जी ने बताया, " अटल जी खाने-पीने के काफी शौकीन थे। उन्हें बलरामपुर का काला नमक चावल और मुंशीआइन के पेड़े खूब पसंद थे। हम लोगों के साथ अक्सर पेड़े खाने जाया करते थे। जब अटल जी प्रधानमंत्री बन गए तो उनका बलरामपुर आना जाना कम हो गया, लेकिन जब कभी हम लोग दिल्ली उनसे मिलने जाते काला नमक चावल और मुंशीआइन के पेड़े जरूर ले जाते थे।" सुखदेव जी ने आगे बताया, " बलरामपुर से पहली बार संसद चुनकर वे दिल्ली पहुंचे थे। इसलिए अटल जी को बलरामपुर और यहां के लोग काफी पसंद थे। अटल की कर्मभूमि होने के कारण जब कोई यहां से उनसे मिलने पहुंचता वे बड़े ही सम्मान और गर्मजोशी से मिलते थे।
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