पेप्सिको ने आलू किसानों के सामने रखी शर्त, कोर्ट के बाहर हो सकता है समझौता लेकिन...
Ranvijay Singh 26 April 2019 11:34 AM GMT
लखनऊ। गुजरात के आलू किसानों पर अमेरिकी कंपनी पेप्सिको द्वारा किए गए मुकदमें में आज सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पेप्सिको ने आलू किसानों से कोर्ट के बाहर समझौता करने की बात कही है, लेकिन इसके लिए शर्त भी रखी है।
पेप्सिको ने वाणिज्यिक अदालत में सुनवाई के दौरान कहा, 'या तो किसान लिखित में दें कि वे पेप्सिको द्वारा पंजीकृत किस्म का उपयोग नहीं करेंगे या फिर किसानों को पेप्सिको के साथ एक समझौता करना चाहिए कि वो कंपनी से ही बीज खरीदेंगे और उसके बाद उपज को भी कंपनी को उन शर्तों के आधार बेचेंगे जो कंपनी गुजरात के किसानों को दे रही है।'
पेप्सिको का आरोप है कि जिन 4 किसानों पर उसने मुकदमा किया है वो अवैध रूप से आलू की एक ऐसी किस्म (FL-2027) को उगा और बेच रहे थे जिसे पेप्सिको ने रजिस्टर करा रखा है। कंपनी का दावा है कि आलू के इस किस्म (FL-2027) से वो Lays ब्रैंड के चिप्स बनाती है और इसे उगाने का उसके पास एकल अधिकार है। कंपनी ने प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैराइटी एंड फार्मर्स राइट एक्ट, 2001 के तहत FL 2027 किस्म को 2012 में पंजीकृत कराया था। ऐसे में किसानों द्वारा इसे उगाकर बेचना गैर कानूनी है।
पेप्सिको ने वाणिज्यिक अदालत में इन चार किसानों से मुआवजे के तौर पर 4 करोड़ 20 लाख देने की बात कही है। यानि हर किसान से 1 करोड़ पांच लाख मुआवजा देने को कहा है। अब पेप्सिको कोर्ट के बाहर समझौते की बात कह रहा है, हालांकि आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट किसानों की इच्छा पर निर्भर करेगा। इसके लिए कोर्ट ने अगली सुनवाई (जून 12) तक लिखित में जवाब मांगा है।
बता दें, सुनवाई से पहले किसान संगठनों और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधिमंडल ने मांग की थी कि किसानों पर किए गए मुकदमें को पेप्सिको तुरंत वापस ले। साथ ही इस मामले में सरकार भी दखल दे, जिससे किसानों के अधिकार की रक्षा हो सके। इसके लिए सरकार को 192 लोगों की ओर से लेटर लिखा गया था, जिसमें कई किसान संगठन और सिविल सोसाइटी से जुड़े लोग शामिल थे।
लेटर लिखने वालों में किसान स्वराज की सदस्या कविथा कुरुगंति भी हैं। कविथा ने कोर्ट की सुनवाई और पेप्सिको के ऑफर के बाद फेसबुक पर लिखा, ''नागरिकों के दवाब के चलते पेप्सिको ने कदम पीछे खींच लिए। अब किसानों से समझौते की बात कह रहे हैं, लेकिन शर्तों के आधार पर।''
'पेप्सिको आलू किसानों पर से वापस ले मुकदमा, कानूनी तौर पर वो गलत'
कंपनी के इस दावे पर कविथा कुरुगंति ने गांव कनेक्शन से बातचीत में बताया था, ''प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैराइटी एंड फार्मर्स राइट एक्ट, 2001 के सेक्शन 39(1) (iv) में साफ तौर से बताया गया है कि प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैराइटी एक्ट लागू होने से पहले किसान बीज को लेकर जो करते आए थे वो इसके लोगू होने के बाद भी कर सकते हैं। जैसे अगर किसी किसान ने बीच खरीदा, उसने बोया, फिर फसल से बीज बचाया और इसे एक्सचेंज किया तो यह वो कर सकता है। अगर कोई किसी खास किस्म को रजिस्टर करा भी लेता है तो इस देश के किसान उस खास किस्म के बीज को भी बेच सकते हैं, बशर्ते वो इन बीज को पैकेज या लेबल करके न बेचे।''
कविथा कुरुगंति बताती हैं, ''सेक्शन 39(1) (iv) से साफ है कि किसान के तौर पर अगर मैंने कोई बीज बोया है तो मैं उसे पैकेज करके उसपर कविथा सीड्स लिखकर बेच सकती हूं। हां, अगर यह बीज किसी ने रजिस्टर करा रखा है, जैसा इस मामले में हुआ है तो मैं उस बीज को उगाकर आलू के तौर पर बेच सकती हूं, बस पैकेज करके या ब्रांड करके बीज के तौर पर नहीं बेच सकती।''
कविथा बताती हैं, ''पेप्सिको ने जिन किसानों पर मुकदमा किया है वो छोटे किसान हैं। इनके पास तीन-तीन एकड़ की जमीन है। और पेप्सिको कह रही है कि उन्हें करोड़ों का नुकसान हुआ है, यह अजीब बात है।''
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