कविशाला, अस्मिता थियेटर ने निर्भया को कविताओं और नाटक के माध्यम से दी श्रद्धांजलि

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कविशाला, अस्मिता थियेटर ने निर्भया को कविताओं और नाटक के माध्यम से दी श्रद्धांजलिकविशाला, अस्मिता थियेटर ने निर्भया को कविताओं और नाटक के माध्यम से दी श्रद्धांजलि

16 दिसंबर 2012 तारीख शायद ही कोई भूल सकता है। तारीख ऐसी जो इतिहास के पन्नो में एक काला दिन बन गयी है, कुछ दरिंदो की दरिंदगी की वजह से एक लड़की की जान चली गयी।

कविता और नाटक एक ऐसा माध्यम है जिसके साथ समाज को हम कोई भी सन्देश आसानी से दे सकते है, अस्मिता थियेटर समाज से जुड़े हर तरह के मुद्दे समाज के सामने रखता रहता है, महिलाओ के ऊपर हो रही हिंसा को अस्मिता ने पूरे दिसंबर महीने समाज के रखने की मुहीम शुरू की है जिसकी शुरुआत एक दिसंबर को हुयी थी और 30 दिसंबर को इसकी समाप्ति होगी।

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इसी क्रम में 16 दिसंबर को अस्मिता ने कविशाला के साथ एक नाटक की प्रस्तुति लोक कला मंच, दिल्ली में की, जिसमे महिलाओ और लड़कियों पर हो रही तरह-तरह की हिंसाओं पर फोकस किया। नाटक को दर्शको ने खूब सराहा अंत में अस्मिता के फाउंडर अरविन्द गौर ने दर्शको का धन्यवाद दिया और उनसे नाटक के बारे में बात की।

कविशाला के संस्थापक अंकुर मिश्रा ने कहा, "देश में रोजाना हजारो निर्भया होते है मगर लोगो की आँखे अभी भी नहीं खुली, अभी भी लोगो की आवाज दबी रह जाती है, हर छोटी समस्या के लिए आवाज उठनी चाहिए लोगो तक जागरूकता पहुचनी चाहिए। लोगो की सोच बदलने से ही समाज को समृद्ध बना सकते है।"

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उसके बाद कविशाला ने कविताओं के माध्यम से समाज से जुड़े कई पहलुओं पर से बात की गयी, निर्भया और समाज में हो रहे अत्याचारों और समस्याओ पर कविताओं के माध्यम से कवियों ने अपने बात रखी। आज कविशाला भी एक ऐसी ही विचारधारा के लिए काम कर रहा है, जो कभी भी कवियों को वाधित नहीं करती किसी विशेष धारा को फॉलो करने के लिए, हर एक कवि स्वतन्त्र है अपने विचारो को अपनी धारा और लय में लिखने के लिए। कोई भी धारा या विचारधारा किसी इंसान के द्वारा ही निजात की गयी है। हो सकता है आज के युवा एक नयी विधा निजात कर ले, साहित्य और कविता में स्वतंत्रता ही किसी नए अविष्कार में सहायक होती है।

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