पिता राजीव गांधी के नक्शे कदम पर प्रियंका गांधी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की गंगा में तीन दिवसीय नाव यात्रा के हैं कई मायने। जिनके लिए गंगा लाइफ-लाइन है उनसे धर्मिक और भावनात्मक रूप से है जुड़ने की कोशिश।

Manish MishraManish Mishra   18 March 2019 1:17 PM GMT

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लखनऊ। प्रियंका गाँधी ने लोकसभा चुनाव प्रचार की विधिवत शुरूआत प्रयागराज से वाराणसी तक नाव की यात्रा से शरू की। इससे पहले पिछले लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी ने भी कहा था-न मैं आया हूं, न भेजा गया है, मुझे तो माँ गंगा ने बुलाया है। इन नेताओं के गंगा के प्रति इस राजनीतिक प्रेम के कई मायने हैं।

अपने परनाना पंडित जवाहरलाल नेहरू और पिता राजीव गांधी की सोच को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गंगा के जरिए गाँवों से कनेक्शन जोड़ने की कोशिश की है।

प्रियंका की गंगा में नाव यात्रा को हम कई तरह से देख सकते हैं। वर्ष 2014 के चुनावी कैंपेन के दौरान नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है, पांच साल बाद प्रियंका गांधी की यह यात्रा पीएम मोदी की चुनावी प्रतिक्रिया है। इसके साथ ही गंगा जिनकी लाइफ-लाइन है उनके साथ भवनात्मक रिश्ता कायम करना, साथ ही संदेश देना कि गांधी परिवार भी धर्म में आस्था रखता है और उनके लिए मां गंगा और धार्मिक स्थलों के प्रति उतनी ही इज्ज्त है जितनी भाजपा भुनाने की हमेशा कोशिश करती है।

"पिता राजीव गांधी की तरह ही प्रियंका की भी इस रणनीति को शार्ट टर्म प्रयास के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। गंगा के जरिए गाँवों से जुड़ना महत्वपूर्ण है। कांग्रेस का पुराना पारंपरिक जनसमर्थन गाँवों में रहा है। कांग्रेस का पुनरुत्थान तभी होगा जब गाँवों से जुड़ेगी," बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में राजनीति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर रजनी रंजन झा कहते हैं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी की प्रचार कमान मिलने के बाद वह विधिवत प्रयागराज में बड़े हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना और अक्षयवट के दर्शन के बाद अपना वाराणसी तक अपनी नौका यात्रा शुरू की। जो तीन दिन तक जारी रहेगी।

भारत के पांच राज्यों से होकर गंगा गुजरती है, और इसके किनारे करीब 4.5 हजार गाँव पड़ते हैं। प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से देखें तो इन राज्यों की जनता का धार्मिक, आर्थिक और भावनात्म जुड़ाव गंगा नदी के साथ रहता है।

"इस यात्रा के दो कारण हो सकते हैं, एक तरफ गंगा सफाई की सच्चाई देखेंगी, दूसरे यह भी संदेश देंगी कि कांग्रेस गाँव और ग्रामीणों से जुंड़ने की कोशिश कर रही है," रजनी रंजन झा समझाते हैं, "साथ ही इस यात्रा के दौरान प्रियंका ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं से भी मिल रही हैं, जिससे कि कांग्रेस पर जमीनी कार्यकर्ताओं से कटने जैसी धारणाओं को दूर भी किया जा सके।"

भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने अपनी पुस्तक डिस्कवरी आफ इंडिया में गंगा के लिए लिखा है-गंगा भारत की नदी है जिसमें भारतीयों का दिल बसता है, और इतिहास के उद्भव से करोड़ों लोगों को अपने घाटों की खींचती रही है। नदी के उद्भव से लेकर समुद्र तक गंगा की कहानी भारत की सभ्यता और संस्कृति की कहानी कहती है। इससे बाद सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गंगा की सफाई के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हुए कदम उठाए थे।

प्रियंका गांधी वाड्रा की इस यात्रा के बारे में वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रहीश सिंह कहते हैं, "गंगा यूपी का सिंबल है, किसानों और मछुआरों की लाइफ लाइन हैं, नरेन्द्र मोदी तो श्रेय ले चुके लेकिन जितना प्रियंका गंगा के करीब जाएंगी निचले तबके और किसानों को अपनी ओर खींचेंगी।"

रहीश सिंह आगे कहते हैं, "हनुमान जी के दर्शन करके गंगा से नाव की यात्रा एक तरह से हिन्दुत्व के डायवर्जन का प्रयास है। प्रियंका गंगा के जितना करीब जाएंगी वह आस्था, सहानुभूति और आर्थिक रूप से नदी पर निर्भर लोगों को अपनी ओर खींचेंगी।"

प्रियंका गांधी की इस गंगा यात्रा और यूपी के विधानसभा चुनावों में राहुल की खाट पंचायत को देखें एक चीज साफ तौर पर दिखती है कि कांग्रेस लगातार गाँवों में मौजूद अपने पारंपरिक वोट बैंक से जुड़ने का प्रयास कर रही है।

"मुझे लगता है कि ये लोवर तबके को जोड़ने की कोशिश है, केवट, मल्लाह, निषाद आदि जातियों को जोड़ने की कोशिश है, वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान कहते हैं।

अपने पूर्वजों की विरासत को वापस पाने और मोदी के पिछले साल के गंगा अभियान और योगी सरकार के इस बार के भव्य कुंभ की काट के तौर पर प्रियंका की गंगा में नाव यात्रा को देखा जा सकता है।

   

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