कोटा: "डॉक्टर के लिए हीटर और बच्चों के लिए सर्द हवाएं"
कोटा के जेके लोन अस्पताल में एक महीने में 100 बच्चों की मौतों को गंभीरता से लेने की जगह राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त हैं
Chandrakant Mishra 2 Jan 2020 1:21 PM GMT
"डॉक्टर के लिए हीटर लगे हुए हैं और बच्चों के लिए सर्द हवा है। बीमार बच्चों का सही इलाज नहीं हो रहा, लापरवाही पूरी है। एक महीने में 100 बच्चों की मौतों को गंभीरता से लेने की जगह राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त हैं। इससे शर्मनाक क्या हो सकता है। "
ये कहना है राजस्थान के कोटा जिले में रहने वाले चन्द्र सिंह हाडा (56वर्ष) का। राजस्थान के कोटा जिले के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। दिसंबर 2019 के आखिरी दो दिन में 9 बच्चों की मौत के बाद अस्पताल में मरने वाले बच्चों की संख्या 100 पार पहुंच गई है। 23-24 दिसंबर के बीच भी अस्पताल में इलाज करा रहे 10 शिशुओं की मौत हो गई थी।
जेके लोन अस्पताल कोटा संभाग का बच्चों का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां कोटा और आसपास के कई जिलों झालावाड़, बारा, बूंदी और दूसरे प्रदेशों से मरीज आते हैं। अस्पताल में नवजात बच्चों की हो रही मौत पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण ने कोटा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को तलब करने के साथ ही राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। मंगलवार को कांता कर्दम और जसकौर मीणा समेत भाजपा सांसदों के एक संसदीय दल ने अस्पताल का दौरा किया और पाया कि एक ही बेड पर दो-तीन बच्चे थे। अस्पताल में पर्याप्त नर्सें भी नहीं थीं। इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य की कांग्रेस सरकार को नोटिस जारी किया था।
MP from Kota & Lok Sabha Speaker, Om Birla: The untimely death of 10 newborns in 48 hours at a maternal&child hospital in Kota, is a matter of concern. Rajasthan government should take immediate action in this matter with empathy. pic.twitter.com/r3DXP9egG0
— ANI (@ANI) December 27, 2019
कोटा में स्वास्थ्य मुद्दों पर काम करने वाली संस्था सुभाषराया फाउंडेशन के अभिषेक ने गाँव कनेक्शन को बताया, "अस्पताल में दम तोड़ने वाले ज्यादातर बच्चों के परिजन ग्रामीण क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। अधिकतर गरीब और अनपढ़ हैं। इतनी संख्या में बच्चों की मौतें बहुत शर्म की बात है। ऐसे मामलों में अपनी जवाबदेही तय करने के बजाय पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ने में लगे हुए हैं। "
अस्पताल में बच्चों की मौत क्यों हो रही है इस बारे में जेके लोन अस्पताल के चिकित्सक अधीक्षक डॉक्टर एससी दुलारा गाँव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "दिसंबर माह के आखिरी दो दिनों में 9 बच्चों की मौत हुई है, लेकिन उनकी मौत इलाज में किसी तरह की कमी के कारण नहीं हुई। हमारे अस्पताल में आए ज्यादातर बच्चे प्रीमेच्योर थे। ज्यादातर के वजन बहुत कम थे।"
Rajasthan: 8 newborns have lost their lives at J.K. Lon Hospital in Kota in the last two days. Dr Amrit Lal, HOD, Pediatrics Department says, "8 newborns have died due to various reasons in the last two days. There have been 100 deaths in the month of December". pic.twitter.com/jEt2G0o9qL
— ANI (@ANI) January 1, 2020
कोटा के स्थानीय पत्रकार अनवर खान तो कुछ और ही बताते हैं। वे इसके लिए अस्पताल में व्याप्त बदइंतजामी को जिम्मेदार बताते हैं। वे कहते हैं, " जेके लोन अस्पताल में हर तरफ बदइंतजामी है। अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा रहता है। आईसीयू और एनआईसीयू में मेडिकल उपकरणों की कमी है। वेन्टिलेटर, वार्मर और निमूलाइजर जैसे जरूरी उपकरणों में ज्यादातर खराब हैं। अस्पताल की खिड़कियां टूटी हुई हैं जिस कारण मरीजों तीमारदारों को ठंड में रहना पड़ता है। ठंड की वजह से संक्रमण फैल रहा है जो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।"
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2016 के अनुसार राजस्थान के कोटा जिले में लगभग 71 प्रतिशत बच्चों को जन्म के 1 घंटे में दिया जाने वाला मां का दूध भी नसीब नहीं होता। अप्रैल 2014 से मार्च 2015 के बीच जहां 29 गर्भवती माताओं की मौत होती है तो वहीं वर्ष 2019 में यह घटने की बजाय बढ़कर 51 पर पहुंच जाती है।
उधर इस मामले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने प्रदेश सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने राज्यपाल से इस मामले को देखने का आग्रह किया है। पुनिया का कहना है, अस्पताल में मेडिकल उपकरणों की भारी कमी है। इसके साथ साफ-सफाई की कमी के कारण हर जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जिस वजह से बच्चों में संक्रमण फैलने की संभावना है।"
हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करके मौत के कारणों पर तो कुछ नहीं लिखा लेकिन इस पर राजनीति न करने की बात की और कांग्रेस की पिछली सरकार के कामों को भी गिनाया। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, " जेके लोन अस्पताल, कोटा में हुई बीमार शिशुओं की मृत्यु पर सरकार संवेदनशील है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कोटा के इस अस्पताल में शिशुओं की मृत्यु दर लगातार कम हो रही है। हम आगे इसे और भी कम करने के लिए प्रयास करेंगे। मां और बच्चे स्वस्थ रहें यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। राजस्थान में सर्वप्रथम बच्चों के ICU की स्थापना हमारी सरकार ने 2003 में की थी। कोटा में भी बच्चों के ICU की स्थापना हमने 2011 में की थी।"
जेके लोन अस्पताल, कोटा में हुई बीमार शिशुओं की मृत्यु पर सरकार संवेदनशील है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कोटा के इस अस्पताल में शिशुओं की मृत्यु दर लगातार कम हो रही है। हम आगे इसे और भी कम करने के लिए प्रयास करेंगे। मां और बच्चे स्वस्थ रहें यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 2, 2020
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राजस्थान में सर्वप्रथम बच्चों के ICU की स्थापना हमारी सरकार ने 2003 में की थी। कोटा में भी बच्चों के ICU की स्थापना हमने 2011 में की थी।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 2, 2020
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स्वास्थ्य सेवाओं में और सुधार के लिए भारत सरकार के विशेषज्ञ दल का भी स्वागत है। हम उनसे विचार विमर्श और सहयोग से प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं में इम्प्रूवमेंट के लिये तैयार हैं। #NirogiRajasthan हमारी प्राथमिकता है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 2, 2020
मीडिया किसी भी दबाव में आये बिना तथ्य प्रस्तुत करे, स्वागत है।
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वे आगे और लिखते हैं, "स्वास्थ्य सेवाओं में और सुधार के लिए भारत सरकार के विशेषज्ञ दल का भी स्वागत है। हम उनसे विचार विमर्श और सहयोग से प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं में इम्प्रूवमेंट के लिये तैयार हैं। निरोगी राजस्थान हमारी प्राथमिकता है। मीडिया किसी भी दबाव में आये बिना तथ्य प्रस्तुत करे, स्वागत है।"
ट्वीट करके उन्होंने यह भी बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से उन्होंने इस मुद्दे पर की है और उन्हें कोटा भी बुलाया है।"
नेशनल कमीशन फॉर प्रॉटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने अस्पताल में अपने दौरे के दौरान पाया कि अस्पताल की खिड़कियों में शीशे नहीं हैं और दरवाजे टूटे हुए हैं, जिसके कारण बच्चों को ठंड लग गई। अस्पताल का रखरखाव भी सही नहीं है।
वर्ष 2019 में मृतक बच्चों की संख्या (महीनेवार)
जनवरी 72
फरवरी 61
मार्च 63
अप्रैल 77
मई 80
जून 65
जुलाई 76
अगस्त 87
सितंबर 90
अक्टूबर 91
नवंबर 101
दिंसबर 100
सोर्स- जेके लोन अस्पताल, कोटा
जेके लोन अस्पताल आने वाले मरीजों की मदद करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता श्याम नामा (52वर्ष) गाँव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "कोटा में बच्चों का मरना कोई नया मामला है। यहां एक दशक से बच्चे मर रहे हैं। आज जब मीडिया में ये बातें आ गईं तब हर कोई हो-हल्ला कर रहा है। इतनी संख्या में बच्चों की मौत का जिम्मेदार सिर्फ जेके लोन प्रसाशन नहीं है, बल्कि पूरी सरकार जिम्मेदार है। अगर जेके लोन अस्पताल आने वाले बीमार बच्चों को स्थानीय स्तर पर इलाज मिल गया होता तो शायद इतनी गंभीर स्थिति नहीं बनती। छोटे शहरों के सरकारी अस्पताल रेफरल सेंटर बन कर रह गए हैं। सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए।"
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