सऊदी अरब में फंसा बिहार का ये शख्स, बोला- मुझे यहां से निकालने में मदद करें
''पूरे दिन काम करने के बाद जब हम लौट रहे थे तो इन लोगों ने मुझे जुबैल शहर में उतार दिया। उसके बाद पूरी रात मैं सड़क पर सोया हूं।''
Ranvijay Singh 14 Dec 2018 1:30 PM GMT
लखनऊ। सऊदी अरब में भारतीयों के फंसे होने की खबरें अक्सर आती रहती हैं। ताजा मामला बिहार के गोपालगंज के रहने वाले रविशंकर तिवारी का है। रविशंकर पिछले साल दिसंबर में सऊदी अरब गए थे। फिलहाल वो वहां फंसे हुए हैं और भारत वापस आने के प्रयास में लगे हैं। लेकिन कंपनी रिलीविंग लेटर देने से पहले उनसे 12 हजार रियाल (2 लाख 30 हजार रुपए) मांग रही है। ऐसे में उनके वापस आने पर संशय बना हुआ है।
रविशंकर तिवारी ने गांव कनेक्शन से फोन पर बताया कि ''मैं 28 दिसंबर 2017 को सऊदी अरब आया था। यहां मुझे रावियाह इस्टर्न कंपनी में पाइप फीटर का काम काम मिला। पहले तो सब सही रहा। मुझे तय सैलरी 1600 रियाल (लगभग 30 हजार रुपए) भी मिल रही थी, लेकिन मई 2018 में मुझे 1300 रियाल (लगभग 25 हजार रुपए) दिया गया। जब मैंने कम सैलरी की शिकायत कंपनी में की तो उन लोगों ने कहा, अगले महीने आ जाएगी। इसके बाद जून की सैलरी भी 1300 रियाल आई तो मैंने फिर से इस बात की शिकायत की। लेकिन इस बार उन लोगों ने कहा, 'जो मिल रहा है करो, नहीं तो तुमको कंपनी से बाहर कर देंगे।' तब मैं इसी सैलरी पर काम करता रहा।''
रविशंकर बताते हैं, ''नवंबर में मेरे घर की स्थिति बहुत खराब थी। तो मैंने कंपनी के अफसर से कहा कि सर मेरी जितनी सैलरी कटी है उसे दिलवा दीजिए, मुझे घर पैसे भेजने हैं। इस पर उन्होंने कहा, 'मैं तुम्हारी दिक्कत नहीं जानता, तुम अपना समझो।' इसके बाद मैंने सोचा कि मैं काम नहीं करूंगा। ऐसे काम का क्या फायदा कि मेरे घर में दिक्कत रहे और मैं काम न आ सकूं। नाराजगी में मैं चार दिन तक काम पर नहीं किया, लेकिन मेरे दोस्तों ने कहा कि तुम्हारा पैसा फंस जाएगा तो मैं वापस कंपनी की साइट पर गया।
''पूरे दिन काम करने के बाद जब हम लौट रहे थे तो इन लोगों ने मुझे जुबैल शहर में उतार दिया। उसके बाद पूरी रात मैं सड़क पर सोया हूं। जब सुबह हुई तो मैं कंपनी के दम्माम वाले ऑफिस में गया। वहां मैंने ये सारी बात बताई और उनसे पूछा कि मुझे कैंप में क्यों नहीं जाने देते। इसपर कंपनी के अधिकारियों ने कहा, तुम कहीं चले जाओ कंपनी तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं लेती है।'' रविशंकर बताते हैं।
रविशंकर ने बताया कि कंपनी के अधिकारियों के ऐसा कहने के बाद वो 7 दिन तक सड़क पर सोए। इसके बाद गोपालगंज के सांसद जनक राम की मदद से वो जिआउल हक के संपर्क में आए। जिआउल हक वहां कंपनी चलाते हैं। रविशंकर बताते हैं कि जिआउल हक ने उनसे कहा कि तुम मेरे साथ रहो, जब तक तुम्हारे जाने की व्यवस्था नहीं हो जाती। और वो तबसे वहीं हैं।
रविशंकर परेशानी भरे लहजे में कहते हैं, ''अब भारत तो है नहीं कि कहीं भी रह सकता हूं। यहां एक समय का भोजन कराने वाला कोई नहीं। पुलिस भी मदद नहीं करती है। मैं सबसे मदद की मांग कर रहा हूं, पर कोई मदद नहीं कर रहा। यहां बिना कंपनी के परमिशन के हम सऊदी से बाहर नहीं जा सकते। कंपनी मुझसे कह रही है कि 12 हजार रियाल दो तब जाने देंगे। इंडियन एम्बेसी ने मुझसे संपर्क किया था, लेकिन वो भी कहते हैं कि जो एजेंसी मुझे यहां भेजी है वही कुछ कर सकती है।''
इस मामले पर जब हमने रविशंकर को सऊदी अरब भेजने वाली एजेंसी अलहिंद टूर एंड ट्रेवल्स से बात की तो वो रविशंकर को ही गलत बताते हैं। अलहिंद की ओर से राजकुमार राय बताते हैं, ''कंपनी ने इंडियन एम्बेसी को बताया है कि वो कंपनी से भाग गया है। वो वहां रिपोर्ट नहीं कर रहा। लेकिन हम प्रयास कर रहे हैं कि इंडियन एम्बेसी के द्वारा उसे वापस लेकर आएं। रविशंकर ने कंपनी से छुट्टी मांगी थी, लेकिन उसकी ठोस वजह नहीं दे सका। फर्जी दस्तावेज भी दिखाए, जिसकी वजह से उसे छुट्टी नहीं दी गई थी।''
कंपनी के इस आरोप पर रविशंकर कहते हैं, ''मैं खुद को गलत दस्तावेज देकर क्यों फंसाऊंगा। कंपनी और मुझे यहां भेजने वाली एजेंसी खुद को बचाने के लिए इस तरह की बात कर रही है। मुझे यहां से निकालने में आप सब मदद करें।''
फिलहाल रविशंकर जिआउल हक की एक कंपनी के कैंप में रह रहे हैं। लेकिन वो इस बात से परेशान हैं कि ऐसा कब तक चल सकेगा। क्योंकि कंपनी उनसे 12 हजार रियाल मांग रही है और जब तक वो इतने रुपए नहीं देते कंपनी उसे वहां से जाने की परमिशन नहीं देगी। ऐसे में रविशंकर सऊदी अरब में ही फंसे हुए हैं।
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