आरबीआई ने ब्याज दरें यथावत रखीं, सरकार और कॉरपोरेट जगत निराश
Sanjay Srivastava 7 Jun 2017 5:38 PM GMT
मुंबई (आईएएनएस)। सरकार और कॉरपोरेट जगत को निराश करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2017-18 की अपनी दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में बुधवार को प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है।
शीर्ष बैंक ने लगातार चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो या अल्पकालिक ब्याज दरों को यथावत रखा है। इससे पहले साल 2016 के अक्टूबर में आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कमी की थी, तब से यह 6.25 फीसदी पर बरकरार है।
बुधवार को लिए गए फैसले में मौद्रिक समीक्षा समिति के पांच सदस्यों ने ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने के पक्ष में मतदान किया, जबकि एक सदस्य इसके खिलाफ थे।
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आरबीआई ने अप्रैल में की गई अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था, लेकिन रिवर्स रेपो रेट को बढ़ा कर छह फीसदी कर दिया था।
आरबीआई ने अप्रैल में की गई अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था, लेकिन रिवर्स रेपो रेट को बढ़ा कर छह फीसदी कर दिया था। वहीं, शेयर बाजारों पर आरबीआई के इस फैसले का कोई खास असर देखने को नहीं मिला। निफ्टी 26.75 अंकों या 0.28 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 9,663.90 अंक पर बंद हुआ और सेंसेक्स 80.72 अंकों या 0.26 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 31,271.28 पर बंद हुआ।
आरबीआई मुख्य बातें
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की आज सम्पन्न द्वैमासिक समीक्षा बैठक की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:-
- रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर बरकरार।
- रिवर्स रेपो छह फीसद।
- सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 0.5 प्रतिशत घटाकर 20 फीसद किया गया।
- चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि का अपना अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.3 प्रतिशत किया। अप्रैल-मार्च 2017-18 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 2 से 3.5 प्रतिशत, दूसरी छमाही में 3.5 से 4.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान(
- जीएसटी से महंगाई बढने का खतरा नहीं(
- कृषि ऋण माफी की होड़ के प्रति आगाह किया गया,इससे राजकोषीय स्थिति बिगडने, मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम बढ़ेगा।
- सातवें वेतन आयोग की सिफारिश, भूस्थैतिक एवं वित्तीय जोखिमों से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है।
- निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ाने, बैंकों की हालत सुधारने, बुनियादी ढांचे की बाधाएं दूर करने की जरुरत पर बल।
- बैंकों के बही खातों में दबाव के समाधान के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करेगा रिजर्व बैंक।
- एमपीसी के पांच सदस्यों ने मौद्रिक नीति में यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में वोट डाला जबकि एक की राय भिन्न थी।
- मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक एक अगस्त को होगी।
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