चीफ जस्टिस मामले का राष्ट्रपति लें संज्ञान: प्रगतिशील महिला संगठन

सर्वोच्च न्यायालय के दो संगठनों ने अब तक हुई कार्रवाई को किया खारिज। मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन हुआ। अगली सनवाई बुधवार 24 अप्रैल को होगी।

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चीफ जस्टिस मामले का राष्ट्रपति लें संज्ञान: प्रगतिशील महिला संगठन

लखनऊ। प्रगतिशील महिला संगठन ने कहा कि, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों का राष्ट्रपति राम नाथ कोवन्दि को संज्ञान लेना चाहिए। संगठन ने सर्वोच्च न्यायालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया।

संगठन ने कहा कि राष्ट्रपति को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के पदानुक्रम में दूसरे वरिष्ठ न्यायाधीश को शिकायतकर्ता द्वारा बताए गए समूचे प्रकरण का संज्ञान लेने और निष्पक्ष तथा निर्धारित समय के भीतर जांच के निर्देश देने चाहिए।

संगठन ने एक बयान में कहा, एक देश के नाते हमें शिकायतकर्ता और उसके परिवार की सुरक्षा और आजादी की रक्षा के लिए खड़े होना चाहिए। संगठन ने बार काउन्सिल ऑफ इंडिया की आलोचना करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता को सुने बिना या बिना जांच के शीर्ष बार निकाय ने घोषित कर दिया कि आरोप फर्जी और मनगढंत हैं।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन ने जताई कार्रवाई पर नारज़गी-

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों में हुई सुनवाई को खारिज कर दिया। सामाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, सोमवार 22 अप्रैल को इन दोनों संगठनों ने कार्रवाई को 'प्रक्रियात्मक असंगतता' और प्रक्रियाओं का 'उल्लंघन' करार दिया।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने सोमवार को आकस्मिक कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलाई। एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि, "शीर्ष अदालत की एक पूर्व कर्मचारी ने चीफ जस्टिस के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। इस मामले में तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा की गई सुनवाई कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का उल्लंघन है।"

एसोसिएशन ने उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों से आग्रह किया है कि ऐसे मामलों में कानूनन ज़रूरी सभी आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। एसोसिएशन ने ये भी कहा कि, कोई भी जांच पक्षपात के बिना शुरू की जा सकती है। पूर्ण अदालत को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया और अन्य उपलब्ध जगहों से आरोपों के संबंध में सभी तथ्यों को देखना चाहिए, जिन पर इसकी अगली बैठक में विचार किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन ने इस मामले में एक प्रस्ताव पारित किया। एसोसिएशन ने कहा कि मामले में कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप कार्यवाही की जानी चाहिए। कानून सभी मामलों में एक समान तरीके से लागू होना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय कर्मचारी कल्याण संघ ने आरोपों को झूठा बताया-

वहीं उच्चतम न्यायालय कर्मचारी कल्याण संघ ने महिला द्वारा लगाए गए आरोपों को मनगढ़ंत, झूठा और निराधार करार दिया। संघ ने इस घटना के संदर्भ में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ इन आरोपों की निन्दा करते हुए कहा कि इसका मकसद न्यायपालिका की छवि को धूमिल करना है।

प्रस्ताव में कहा गया है, उच्चतम न्यायालय कर्मचारी कल्याण संघ सभी कर्मचारियों की ओर से प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ लगाये गये झूठे, मनगढ़ंत और निराधार आरोपों की कड़े शब्दों में निन्दा करता है। इस तरह के बेबुनियाद आरोपों का मकसद इस संस्थान की छवि खराब करना है। संघ इस संस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए पूरी मेहनत से काम करने का अपना संकल्प दोहराता है। भारतीय न्यायपालिका को निशाना बनाने की बाहरी ताकतों कोशिशों को विफल करने के लिये पूरा स्टाफ एकजुट है और पूरी तरह प्रधान न्यायाधीश के साथ है।

जूनियर असिस्टेंट रही महिला ने हलफनामा दायर कर चीफ जस्टिस पर लगाए थे यौन उत्पीड़न के आरोप-

सर्वोच्च न्यायालय में जूनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत महिला ने शनिवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला मई 2014 से दिसंबर 2018 तक न्यायलय में कार्यरत थी। सर्वोच्च न्यायालय को सम्बोधित करते हुए लिखे गए हलफनामे (एफिडेविट) में महिला ने बताया था कि यौन उत्पीड़न की घटना के बाद उसे अचानक उसके पद से निकाल दिया गया।

महिला ने ये भी आरोप लगाया कि नौकरी चले जाने के बाद भी उसे प्रताड़ना सहनी पड़ी। उसने कहा कि इस साल मार्च में उसके और उसके परिवार के खिलाफ एक घटिया एफआईआर भी दायर की गई।

शनिवार 20 अप्रैल को चीफ जस्टिस सहित तीन सदस्यीय पीठ ने इस मामले की 'न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े अति महत्वपूर्ण विषय' के रूप में सुनवाई की थी।। इसमें चीफ जस्टिस ने जोर देकर कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप 'अविश्वसनीय' हैं।

नई बेंच का गठन-

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन की नारज़गी के बाद इस मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन किया गया। सोमवार को जस्टिस अरूण मिश्रा, रोहिंटन नरिमन और दीपक गुप्ता की बेंच ने कार्यवाही आगे बढ़ाई।

बेंच ने उस वकील को नोटिस जारी किया जिसने दावा किया था कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के आरोपों में फंसाने का षड्यंत्र रचा गया है।

वकील उत्सव बैंस का दावा: झूठे केस में फंसाया जा रहा है चीफ जस्टिस को-

वकील उत्सव बैंस ने सोमवार को न्यायालय में ये दावा किया कि यौन उत्पीड़न का ये पूरा मामला चीफ जस्टिस से इस्तीफा दिलाने की साजिश है। इस मामले में दाखिल अपने हलफनामे में बैंस ने यह दावा किया है कि उन्हें शीर्ष अदालत की पूर्व महिला कर्मचारी का प्रतिनिधत्वि करने के लिए और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में संवाददाता सम्मेलन का आयोजन करने वाले व्यक्ति का इंतजाम करने के लिए अजय नामक एक व्यक्ति ने डेढ़ करोड़ रूपए की पेशकश की थी।

बैंस ने अपने हलफनामे में कहा कि वह ऐसे गंभीर आरोप सुनकर हैरान हो गए। वह शिकायतकर्ता का प्रतिनिधत्वि करना के लिए राज़ी हो गए लेकिन जब अजय कुमार ने इस मामले से संबद्धित पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया तो उन्हें तसल्ली नहीं हुई। उन्होंने पाया कि अजय के विवरण में कई खामियां हैं।

हलफनामे के अनुसार तब उन्होंने दावों के सत्यापन के लिए शिकायतकर्ता से मिलना चाहा लेकिन जब इस बात से इनकार कर दिया गया तो उन्हें संदेह पैदा हुआ। ऐसे में जब उन्होंने प्रधान न्यायाधीश को फंसाने के लिए अजय कुमार द्वारा की गयी 50 लाख रूपए की रश्वित की पेशकश ठुकरा दी तो अजय ने राशि बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रूपये कर दी जिसके बाद उन्होंने तत्काल उसे कार्यालय से चले जाने को कहा।

हलफनामे में कहा गया कि, बैंस को भरोसेमंद सूत्रों से जानकारी मिली है कि जो लोग नकद धन देकर फैसले को अपने पक्ष में कर लेना चाहते हैं, वे लोग ही इस साजिश के पीछे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चीफ जस्टिस ने उन लोगों के विरूद्ध निर्णायक कार्रवाई की है।

वकील (बैंस) ने अपने हलफनामे में कथित रूप से ऐसा करने वाले कुछ लोगों के नामों का ज़िक्र भी किया है। उन्होंने अपनी जानकारी के सूत्रों का खुलासा नहीं किया है।

बैंस बाबा आसाराम के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में पीड़िताओं एवं उनके रिश्तेदारों समेत कई मामलों तथा गवाह सुरक्षा मामले में पेश हो रहे हैं। हलफनामे में कहा गया है कि, वकील किसी भी स्थिति में सूत्रों के नाम नहीं बताएगा क्योंकि ये अधिवक्ता अधिनियम के तहत विशेषाधिकार संवाद है।

सर्वोच्च न्यायालय ने वकील बैंस को नोटिस जारी कर मामले की अगली सुनवाई के लिए बुधवार का दिन तय किया है।

(नोट- खबर में सभी तथ्य और बयान समाचार एजेंसी भाषा से लिए गये हैं)

     

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