शारदा चिट फंड घोटाला: गरीबों की कमाई से खड़ा किया अरबों का साम्राज्य
शारदा चिट फंड घोटाले की सीबीआई जांच को लेकर उठे सियासी तूफान के बीच केन्द्र और ममता बनर्जी सरकार आमने सामने हैं। जानें क्या है पूरा मामला? गरीबों की कमाई से कैसे खड़ा हुआ अरबों का साम्राज्य?
Manish Mishra 4 Feb 2019 10:33 AM GMT
लखनऊ। शरादा चिट फंड घोटाले का खुलासा होने के बाद दर्जनों एजेंट और आम लोगों ने आत्महत्या कर ली। किसी ने पाई पाई जोड़ के बेटी की शादी के सपने संजोए थे, तो किसी व्यापार करने को सोचा था। वर्ष 2008 में शुरू हुए शारदा ग्रुप ने प. बंगाल में गरीबों और मजदूरों को सबसे अधिक निशाना बनाया गया। इस कंपनी के मालिक सुदिप्तो सेन ने सियासी प्रतिष्ठा और ताकत हासिल करने के लिए राजनेताओं पर खूब पैसे लुटाए।
कुछ ही सालों में कंपनी ने गाँव के भोले भाले लोगों को चूना लगा कर अरबों का कारोबार खड़ा कर लिया। शारदा ग्रुप के खिलाफ पहला मुकदमा 16 अप्रैल और इसके बाद शुरू हो गया निवेशकों और एजेंट की आत्महत्या का सिलसिला।
इस घोटाले का खुलासा होने के बाद सबसे अधिक दबाव था लोगों का पैसा जमा कराने वाले एजेंट पर, लोगों ने उनसे अपना पैसा मांगना शुरू कर दिया, और एजेंट्स पर हमले शुरू हो गए। समामाजिक बदनामी के डर से कई एजेंट्स ने खुदकुशी तक कर ली।
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शारदा ग्रुप के मालिक सुदिप्तो सेन की गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने एक जांच समिति बनाई जिसने कंपनी के सारे दफ्तर सील कर दिए। इसी के साथ सुदिप्तो सेन की 36 गाड़ियों का काफिला और उसके चार दफ्तर सील कर दिए गए।
इस कंपनी के व्यापार की जड़ें इतनी गहरी थीं कि एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार केवल दक्षिण 24 परगना जिले में 120 कंपनियां लोगों से पैसे ऐंठने का काम कर रही थीं।
इस घोटाले के सामने आने के बाद प. बंगाल में मची अफरा-तफरी के बीच ममता बनर्जी सरकार ने 500 करोड़ का फंड बनाया और कहा गया कि निवेशकों और ऐजेंट़्स के पैसे वापस करने का काम शुरू किया गया।
चिट फंड के इस धंधे में एजेंट ने सबसे पहले कंपनी के एजेंट दो लोगो से पैसे लेते हैं फिर उन्हें पैसे वापस करने के लिए तीन और लोगों से पैसे लेते हैं, इसके बाद वापस करने के लिए दस और लोगों से पेसे वापस लेते हैं। इस तरह ये सिलसिला चलता रहता है।
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मंत्रियों और सांसदों को लिया भरोसे में
सुदीप्तो सेन ने चिट फंड के इस काम को विस्तार देने के लिए सियासी दल त्रणमूल कांग्रेस से ही ज्यादा नजदीकी बनाई। निवेशको ने मंत्रियों और रसूख वाले लोगों से कथित नजदीकी को देखकर निवेश जारी रखा।
शारदा ग्रुप नहीं थी रजिस्टर्ड
चिट फंड कंपनियां, चिट फंड एक्ट-1982 के तहत संचालित होती हैं। इसके तहत पूरे देश में करीब 10,000 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, लेकिन शारदा ग्रुप चिटफंड कंपनी के तौर पर रजिस्टर ही नहीं थी। ऐसी कंपनियां अखबार और न्यूज चैनल जैसे किसी कारोबार में निवेश भी नहीं कर सकती हैं।
एसआईटी की जांच को लेकर क्या है बवाल
शारदा चिट फंड घोटाले की जांच के लिए बने विशेष जांच दल (एसआईटी) के मुखिया कोलकाता मौजूदा कमिश्नर राजीव कुमार थे। उन पर आरोप है कि जांच के दौरान उन्होंने कई ऐसे दस्तावेज हैं जो सीबीआई को नहीं सौंपे। सीबीआई इसी को लेकर उनसे पूछताछ करना चाहती है।
राजीव कुमार की गिनती सीएम ममता बनर्जी के करिबियों में की जाती है। राजीव कुमार ने एसआईटी प्रमुख के रूप में राजीव कुमार ने जम्मू कश्मीर में शारदा ग्रुप के प्रमुख सुदीप्तो सेन गुप्ता और उनके सहयोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था। जिनके पास से डायरी मिली थी, ऐसा कहा जाता है कि इस डायरी में चिटफंड से रुपये लेने वाले नेताओं के नाम थे। राजीव कुमार पर इसी डायरी को गायब करने आरोप है। कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने राजीव कुमार को आरोपी बनाया था।
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