तो इस लिए आधार को पैन से कराया जा रहा है लिंक

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
तो इस लिए आधार को पैन से कराया जा रहा है लिंकआधार कार्ड

नई दिल्ली (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने आधार संख्या को स्थायी खाता संख्या (पैन) से जोड़ने तथा आयकर रिटर्न दाखिल करने में आधार को अनिवार्य करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि इसका मकसद एक व्यक्ति को कई पैन कार्ड रखने से रोकना है।

महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी तथा न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ से कहा कि लोगों तथा शेल कंपनियों (नाम भर की कंपनी) के कई पैन कार्ड रखने से सरकार को हजारों करोड़ रुपये के कर का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से सरकार केवल कर संग्रह का ही काम नहीं कर रही, बल्कि धनशोधन, काले धन तथा आतंकवादी वित्तपोषण पर भी लगाम लगा रही है।

देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

आयकर अधिनियम में धारा 139एए को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए महाधिवक्ता ने कहा कि सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत लाभार्थियों के आधार नंबर को उनके बैंक खाते से जोड़कर सरकार ने 50,000 करोड़ रुपये की रकम बचाई है। रोहतगी ने कहा कि साल 2009 में सरकार ने पैन प्लस जारी करने पर विचार किया था, जो आयरिस तथा फिंगर इंप्रेशन से लैस होता, लेकिन तब आधार के आने से उस योजना को आगे नहीं बढ़ाया गया।

उन्होंने पीठ से यह भी कहा कि पैन को भी एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन डॉक्युमेंट के तौर पर लाया गया था और अब आधार को पैन से जोड़ दिया गया है, क्योंकि पहले से मौजूद पहचान संबंधी दस्तावेज जैसे राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस तथा अन्य दस्तावेजों में हेरफेर हो सकता था। पीठ से यह कहते हुए कि नकली आधार कार्ड नहीं बनाया जा सकता, रोहतगी ने आइरिस तथा फिंगर प्रिंट स्कैन के डिजिटल रिकॉर्ड के लीक होने की आशंका को दरकिनार कर दिया। महान्यायवादी ने कहा, ''पुलिस द्वारा अपराधियों की जांच को छोड़कर, आधार के तहत कोई भी आंकड़ा किसी के साथ भी साझा नहीं किया जाएगा।''

उल्लेखनीय है कि शीर्ष न्यायालय ने 11 अगस्त, 2015 को अपने आदेश में कहा था कि सरकार या उसकी कोई अन्य एजेंसी यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर या आधार कार्ड का इस्तेमाल जन वितरण योजना तथा खासकर खाद्यान्नों तथा केरोसिन के वितरण के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं कर सकती।

न्यायालय ने एलपीजी वितरण योजना के लिए इसके इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। न्यायालय का यह अवलोकन आयकर अधिनियम में धारा 139एए को जोड़ने को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं की सुनवाई के दौैरान आया है। केंद्र सरकार ने काले धन पर लगाम लगाने के मकसद से वित्तीय अधिनियम, 2017 के माध्यम से आयकर अधिनियम में धारा 139एए को जोड़ा है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता बिनय विस्मान, भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी एसजी वोंबातकेरे तथा सफाई कर्मचारी आंदोलन के संस्थापक तथा संयोजक वेजवाडा विल्सन ने आयकर अधिनियम की नई धारा को चुनौती देते हुए याचिकाएं दाखिल की थीं।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

          

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.