देश के चीफ जस्टिस के साथ 7 जजों के खिलाफ जारी किया गया समन

गाँव कनेक्शनगाँव कनेक्शन   14 April 2017 11:16 AM GMT

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देश के चीफ जस्टिस के साथ 7 जजों के खिलाफ जारी किया गया समनकोलकाता हाई कोर्ट के जस्टिस सी एस कर्णन।

लखनऊ। कोलकाता हाई कोर्ट के जस्टिस सी एस कर्णन ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) जे एस खेहर और सुप्रीम कोर्ट के 6 जजों के खिलाफ समन जारी किया है। 28 अप्रैल को इन्हें आवासीय अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है। कर्णन का दावा है कि 7 जजों की बेंच ने बेवजह, जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से उनका अपमान किया। उन्होंने नौ पेज के अपने 'आदेश' की कॉपी पत्रकारों में बांटी।

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उन्होंने कहा कि 31 मार्च को देश के चीफ जस्टिस ने उनके मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठाए और बाकी जजों ने सवाल का अनुमोदन किया, जो खुली अदालत में उनके अपमान के बराबर है। अह को बता दें कि इससे पहले चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने जस्टिस कर्णन को अवमानना नोटिस का जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया।

जस्टिस कर्णन का कहना है कि सीजेआई ने उनकी मेरी मानसिक स्थिति खराब बताई है इसलिए अवमानना कार्यवाही को 4 हफ्ते के लिए टाला जाता है। उन्होंने कहा, “यह खुली अदालत में मेरा एक और बड़ा अपमान था और इस बात का भी बाकी माननीय जजों ने अनुमोदन किया।”

सातों माननीय न्यायाधीश 28 अप्रैल 2017 को सुबह साढ़े ग्यारह बजे मेरे रोजडेल आवासीय अदालत में पेश होंगे और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के उल्लंघन को लेकर कितनी सजा हो, इसके बारे में अपनी राय रखेंगे।
जस्टिस सी एस कर्णन

इससे पहले जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 20 मौजूदा जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इसके लिए 23 जनवरी को प्रधानमंत्री से लिखित शिकायत की थी। अब उन्होंने सीबीआई को इस शिकायत की जांच कर उसकी रिपोर्ट संसद को सौंपने के लिए कहा है। इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए सीजेआई ने इसे अदालत की अमनानना बताया था। इसके बाद 7 जजों की एक खंडपीठ का गठन किया गया, जिसने जस्टिस कर्णन के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना से जुड़ी कार्रवाई शुरू की।

एससी-एसटी ऐक्ट का किया गया उल्लंघन

जस्टिस कर्णन ने कहा कि जजों को उनके द्वारा अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के उल्लंघन के आरोपों का बचाव करने को कहा गया है। उनका कहना है कि दलित होने की वजह से उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।

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