गांव बंद को बदनाम करने की साजिश? तस्वीरें जो आपको नहीं दिखाई गईं… जरूरतमंदों में दूध बांट रहे हैं आंदोलनकारी किसान
इस आंदोलन का एक और रूप है, आंदोलनग्रस्त अधिकांश हिस्सों में किसान सब्जी और दूध फेंक नहीं रहे हैं बल्कि जरूरतमंदों में बांट रहे हैं या सस्ती दर पर बेच रहे हैं
Alok Singh Bhadouria 6 Jun 2018 8:18 AM GMT
अपने पांचवे दिन भी किसान आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी है। लोगों के बीच किसानों की मांगों और आंदोलन के उनके तौर-तरीकों पर चर्चा हो रही है। लेकिन यह चर्चा तब तक अधूरी है जब तक हमें इस आंदोलन की एक ही तस्वीर दिखे या दिखाई जाए। सड़कों पर दूध और सब्जियां फेंकते हुए किसानों की तस्वीरें इस आंदोलन की पहचान बन चुकी हैं लेकिन यह अधूरा सच है। इस आंदोलन का एक और रूप है, आंदोलनग्रस्त अधिकांश हिस्सों में किसान सब्जी और दूध फेंक नहीं रहे हैं बल्कि जरूरतमंदों में बांट रहे हैं या सस्ती दर पर बेच रहे हैं।
मीडिया के एक छोटे से हिस्से में आंदोलन के इस दूसरे रूप की खबरें छपीं हैं पर उतनी प्रमुखता से नहीं जितनी सड़क पर दूध उंडेलने वाली खबरें। हमने किसानों के मुद्दों और उनके आंदोलन से जुड़े कृषि जानकार रमनदीप सिंह मान से बातचीत की तो उन्होंने कहा, यह सही है कि मीडिया में किसानों के दूध फेंकने की खबरें को ज्यादा अहमियत मिली है। असल में सड़क पर सब्जियां या दूध फेंकता हुआ किसान लोगों को ज्यादा आकर्षित करता है। क्योंकि यह किसान की अन्नदाता वाली इमेज से एकदम उलट इमेज है। पर हकीकत ऐसी नहीं है। मैं मानता हूं कि आंदोलन के शुरू में किसानों ने अपना विरोध जताने के लिए प्रतीक के तौर पर 40-50 लीटर वाला दूध का कैन सड़क पर पलटा लेकिन इसके बाद यही किसान इसी दूध से घी बना रहे हैं, खीर बनाकर गांव में बांट रहे हैं, कई जगह अस्पतालों में जा कर मरीजों को दूध दिया जा रहा है। मसलन मध्य प्रदेश के हरदा में किसानों ने मरीजों को दूध बांटा। हरियाणा में कुछ किसान अपने खेतों के किनारे भी सस्ते दाम पर सब्जी बेच रहे हैं जिसे शहरों से लोग आकर खरीद रहे हैं।
Madhya Pradesh: Farmers in Mandsaur on 10-day 'Kisan Avkash' strike prepared 'Kheer' and distributed it among villagers. The farmers during the ten-day strike are not supplying vegetables, fruits, grains and milk to cities. (01.06.2018) pic.twitter.com/c9aCnb4zKf
— ANI (@ANI) June 2, 2018
#Farmers will not send their #milk/#veg to the cities for 10 days i.e 1-10 June. Today we distributed #milk to the poor & the needy,but will not sell our produce in d cities for 10 days.
— Ramandeep Singh Mann (@ramanmann1974) June 1, 2018
Hope @PMOIndia understands the pain of the #farmers & adress the issue of falling farm income pic.twitter.com/Crxpx9Jpbv
इसी मुद्दे पर गांव कनेक्शन ने बात की भगवान मीना से जो राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ से जुड़े हुए हैं। उनका कहना था किसान आंदोलन पूरी तरह से सकारात्मक और शांतिपूर्ण तरीकों से चलाया जा रहा है। शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन चलाकर ही हम सफल हो सकते हैं। भविष्य में भी इसमें किसान तभी भागीदार बनेंगे जब उन्हें किसी जोखिम का डर नहीं होगा। जयपुर, झुंझनू, मालवा, निमाड़ जैसी जगहों से खबरें आ रही हैं कि किसान भाई मरीजों को और जरूरतमंदों को दूध बांट रहे हैं। पर अफसोस है कि इन्हें प्रमुखता नहीं मिली।
उन्होंने बताया कि फिलहाल मध्य प्रदेश के उज्जैन से दिल्ली दूध भेजा जा रहा है। दिल्ली में आम जनता को दूध की आपूर्ति के लिए स्थानीय प्रशासन और डेयरी व्यवसाय से जुड़े उद्योगपति ऐसा कर रहे हैं। हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है। हमें अपनी बात जनता तक पहुंचानी है और वह पहुंच रही है।
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