आपके बच्चों के कंधे के बोझ को कम करेगा ये स्कूल बैग: रिसर्च

इस बैग को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसमें भारी किताबों को रीढ़ के करीब और हल्की किताबों को रीढ़ से दूर रखा जा सकता है।

Divendra SinghDivendra Singh   29 Sep 2018 7:59 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
आपके बच्चों के कंधे के बोझ को कम करेगा ये स्कूल बैग: रिसर्च

नई दिल्ली। स्कूल बैग का भारी वजन बच्चों के लिए हमेशा एक समस्या रही है। एक ऐसा स्कूल बैग का डिजाइन तैयार किया है जो बच्चों के कंधे और रीढ़ की हड्डी पर पड़ने वाले बोझ को कम करने में मददगार हो सकता है।

इस बैग को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसमें भारी किताबों को रीढ़ के करीब और हल्की किताबों को रीढ़ से दूर रखा जा सकता है। बैग की पट्टियों को इस तरह लगाया गया है, जिससे बैग का निचला सिरा कमर से दो सेंटीमीटर ऊपर रहता है।

पीईसी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में औद्योगिक और उत्पाद डिजाइन में उत्कृष्टता केंद्र के शोधकर्ता ईशांत गुप्ता ने बताया, "हमने रीढ़ और कंधों से भार को कम करने और इसे पेड़ू क्षेत्र में वितरित करने के लिए एक आंतरिक फ्रेम बैग में शामिल किया है। नया डिजाइन धड़ पर भी भार को समान रूप से वितरित करने में मददगार होगा।"

ये भी पढ़ें : रिसर्च : मधुमेह रोगियों के घावों को जल्द भरेगी ये पट्टी

पहले के अध्ययनों में ऊर्जा खपत का संबंध धड़ के आगे की ओर झुकाव से पाया गया है। पारंपरिक स्कूल बैग बैकपैक लोड को शरीर के द्रव्यमान के केंद्र के करीब रखते हैं, जिसके परिणामस्वरूप चाल के साथ-साथ ऊर्जा व्यय में परिवर्तन होता है। इस तरह के बैग उठाते समय शरीर आगे की ओर झुक जाता है, जहां शरीर के ऊपरी हिस्से, सिर, खोपड़ी और बैग के वजन को संतुलित करना होता है। नए डिजाइन में रीढ़ की हड्डी को ऊपरी शरीर के वजन को संतुलित करने की आवश्यकता नहीं होती है और कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

इस अध्ययन में 11 से 13 साल के स्कूली बच्चों में संशोधित बैग और मौजूदा बैग्स के बीच चाल संबंधी मापदंडों, शरीर की मुद्रा, धड़ के कोण और ऊर्जा व्यय अंतर की जांच की गई है। शरीर के 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की लोडिंग स्थितियों के तहत नए और मौजूदा बैग्स का 26 बच्चों में परीक्षण किया गया है

अपने शरीर के 30 प्रतिशतस वजन के बराबर भारी मौजूदा बैग उठाने वाले बच्चों में ऊर्जा व्यय सबसे ज्यादा होता है।जबकि, अपने शरीर के 30 प्रतिशत वजन के बराबर संशोधित बैग उठाने पर ऊर्जा व्यय कम पाया गया है। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, संशोधित बैग के उपयोग से 6.7 कैलोरी प्रति मिनट ऊर्जा की खपत होती है, जबकि मौजूदा बैग के साथ 8.4 कैलोरी प्रति मिनट ऊर्जा खर्च होती है।

ये भी पढ़ें : रिसर्च : अब आसानी से हो सकेगी स्तर कैंसर की पहचान

नई दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स के प्रोफेसर डॉ दविंदर सिंह के अनुसार, "शोधकर्ताओं ने बैकपैक वजन का अध्ययन करते समय कई मानकों पर विचार किया है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उपयोगकर्ता को यह पता हो कि अपने बैग को सही ढंग से कैसे पैक किया जाना चाहिए। आमतौर पर बच्चों के बैग का वजन उनके शरीर के वजन के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। भारी बैग पॉस्चर संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।"

शोधकर्ताओं के अनुसार, संशोधित बैकपैक सीधे खड़े होने की मुद्रा, सामान्य चाल और ऊर्जा खपत में कमी को सुनिश्चित कर सकता है, जिससे स्कूली बच्चों में पीठ दर्द और थकान के कारणों को कम किया जा सकता है।

यह अध्ययन शोध पत्रिका करंट साइंस में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं में पीईसी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के ईशांत गुप्ता एवं प्रवीण कालरा के अलावा मुंबई स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग से जुड़े रऊफ इकबाल शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)


     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.