जहरीले केमिकल्स ने 2019 में ली 20 लाख से ज्यादा लोगों की जान, 2016 से 2019 के बीच मौतों की संख्या 28 फीसदी तक बढ़ी

वर्ष 2016 में हानिकारक केमिकल की वजह से दुनियाभर में 15.6 लाख लोगों की जान गई थी। वर्ष 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 20 लाख के पार पहुंच गया।

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जहरीले केमिकल्स ने 2019 में ली 20 लाख से ज्यादा लोगों की जान, 2016 से 2019 के बीच मौतों की संख्या 28 फीसदी तक बढ़ीजहरीले केमिकल्स की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही। (फाेटो- अरेंजमेंट)

हमारे आसपास फैला दूषित केमिकल हर साल लगभग 20 लाख लोगों की जान ले रहा है। प्रतिदिन का गणित बैठाएं तो दुनियाभर में करीब 5,480 लोगों की मौत प्रतिदिन हो रही है। और इससे भी भयावह तो यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की नई रिपोर्ट कह रही है कि 2016 से 2019 के बीच लीड, आर्सेनिक, एस्बेस्टस, बेंजीन जैसे खतरनाक केमिकल्स की वजह से होने वाली मौतों में 28.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार 2016 में दुनियाभर में हानिकारक केमिकल की वजहों से 15.6 लाख लोगों की जान गई थी। वर्ष 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 20 लाख के पार पहुंच गया। लेड की वजह से होने वाली मौतों में भी लगभग 67 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि ये हानिकारक रसायन मिट्टी, पानी हवा में मिल चुके हैं। इनसे कई तरह की बीमारी हो रही है। लोग मानसिक से रूप से तो बीमार हो ही रहे हैं, साथ ही मोतियाबिंद, अस्थमा, कैंसर और दूसरी गंभीर बीमारियां भी इनकी वजह से बढ़ रही हैं।

लेड सबसे खतरनाक

हानिकारक केमिकल्स की वजह से होने वाली कुल मौंतों में से लगभग 45 फीसदी मौतों के लिए लेड जिम्मेदार है। 2016 और 2019 के बीच इसमें 67 फीसदी की बढ़ोतरी भी हुई है। लेड या सीसे से कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां (सीवीडी), क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) और आईआई डी जैसी बीमारियां हो सकती हैं।


रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में लेड की वजह से 9 लाख लोगों की मौत हुई है, जिसमें से हर 10 में से 9 लोगों की मौत कार्डियोवैस्कुलर की वजह से हुई। रिपोर्ट डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने 7 जुलाई 2021 को 'बर्लिन फोरम ऑन केमिकल्स एंड सस्टेनेबिलिटी: एम्बिशन एंड एक्शन टु 2030' में आयोजित मंत्रिस्तरीय बातचीत के दौरान पेश किया।

लेड के दुष्प्रभावों को लेकर पहले भी कई रिपोर्टस में चिंता जाहिर की जा चुकी है।

2020 में यूनिसेफ की रिपोर्ट 'द टॉक्सिक ट्रुथ' में बताया गया था लेड बच्चों के बेहद खतरनाक है और दुनिया के हर तीसरे बच्चे के रक्त में लेड की मात्रा तय सीमा से कहीं ज्यादा है, जो बेहद खतरनाक है।

यूनिसेफ की रिपोर्ट में बताया गया था कि दुनियाभर के करीब 80 करोड़ बच्चों के खून में जहरीला सीसा धातु का स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर या उससे भी ज्‍यादा है। रिपोर्ट में बच्‍चों की जितनी संख्‍या बताई गई उसके मुताबिक दुनिया का हर तीसरा बच्‍चा इस जहर के साथ जी रहा है।


यूनिसेफ ने आगाह किया है कि खून में सीसा धातु के इतने स्तर पर मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। इस रिपोर्ट की दूसरी सबसे बड़ी चौंकानें वाली बात ये भी है कि इस जहर का मजबूरन सेवन करने वाले आधे बच्‍चे दक्षिण एशियाई देशों में रहते हैं।

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रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि लेड या सीसा नवजात शिशुओं और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है। इसकी वजह से उनके मस्तिष्कों में हमेशा के लिए दिक्कत हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक बचपन में ही सीसा धातु की चपेट में आने से बच्चों और बड़ों में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी परेशानियां देखने को मिलती हैं।

इसका एक असर अपराध और हिंसा में बढ़ोतरी के रूप में भी सामने आ सकता है। निम्‍न और मध्य आय वाले देशों में इस तरह के बच्चों और व्यस्कों से उनके जीवन काल में देशों की अर्थव्यवस्थाओं को खरबों डॉलर का नुकसान होता है।

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