उन्नाव रेप पीड़िता मामला: तीन सुरक्षाकर्मियों को सस्पेंड करने पर क्या बाेले पूर्व डीजीपी
Ranvijay Singh 1 Aug 2019 1:30 PM GMT
लखनऊ। उन्नाव रेप पीड़िता के एक्सीडेंट मामले में उसके साथ तैनात तीन सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। उन्नाव एसपी ने तीनों को लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड किया है। इनके नाम हैं- कॉन्स्टेबल सुधेश, कॉन्स्टेबल रूबी और सुनीता।
अप्रैल 2018 में जब पीड़ित लड़की के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी उसके बाद ये पूरा मामला सुर्खियों में आया था, उसी वक्त सरकार ने पीड़ित लड़की की सुरक्षा में कुछ पुलिसकर्मी तैनात किए थे। पीड़ित लड़की की सुरक्षा में नौ पुलिसकर्मी लगे हैं जो तीन शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं। इसमें एक वक्त में दो महिला पुलिसकर्मी और एक पुरुष गार्ड होते हैं। घटना की रोज सुधेश, रूबी और सुनीता की ड्यूटी थी।
Three police personnel - including two women cops, appointed for the security of Unnao rape survivor, have been suspended. pic.twitter.com/VfiaCkEZxJ
— ANI UP (@ANINewsUP) August 1, 2019
रायबरेली-उन्नाव रोड पर पीड़िता की कार के एक्सीडेंट के बाद से ही यह सवाल उठने लगा था कि उसके साथ सुरक्षाकर्मी क्यों मौजूद नहीं थे। इसके बाद सुधेश ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि, ''कार से रायबरेली जा रही पीड़िता ने बोला कि गाड़ी में जगह नहीं है और हम लोग दिन भर में ही लौट आएंगे, इसलिए आप मत चलिए। इसके बाद हम दिन भर घर पर ही रहे।"
घटना के बाद एएसपी उन्नाव को इस बात की जांच करने के आदेश दिए गए कि सुरक्षाकर्मी साथ क्यों नहीं गए थे। इसी कड़ी में घटना के चार दिन बाद गुरुवार (1 अगस्त) को तीन सुरक्षाकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया।
इस मामले में सुरक्षाकर्मियों को क्या कदम उठाने चाहिए थे इसपर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन कहते हैं, ''सबसे पहले तो इन्हें इस बात की जानकारी अपने उच्च अधिकारियों को देनी चाहिए थी कि साहब ये लोग बिना हमें (सुरक्षाकर्मियों) साथ लिए निकल जाते हैं, आज भी भी निकल गए हैं। इनकी सुरक्षा को कोई खतरा न बन जाए, ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि हम सूचित कर दें। इतना इन्हें कर देना चाहिए था। इनको रिपोर्ट करना चाहिए था, संबंधित एसएचओ को बता देना चाहिए था।''
वो आगे कहते हैं, ''वैसा तो इसमें कोई हार्ड एंड फास्ट रूल नहीं होता। अपेक्षा की जाती है कि अगर सुरक्षा दी गई है तो वो सुरक्षा को साथ लेकर चलेंगे। इसमें सुरक्षाकर्मियों की विशेष कोई गलती नहीं है। इसमें स्कॉर्ट व्हीकल जैसी व्यवस्था थी नहीं। अब गाड़ी में जगह नहीं थी तो सुरक्षाकर्मी कैसे जाते।''
अरविंद कुमार जैने से मिलती जुलती बात उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी एमसी द्विवेदी भी करते हैं। वो कहते हैं, व्यवहारिक बात यह है कि यह लोग कार से जा रहे थे तो उसमें जगह नहीं थी तो सिपाही कार कहां से लाएंगे। न ही उनको पकड़ कर रोक सकते हैं कि वो लोग जा ही नहीं सकते। यह तो पुलिस अधिकारियों की गलती है क्योंकि अगर यह सुरक्षाकर्मियों को रखते हैं तो उनके चलने के लिए साधन की व्यवस्था भी करें।''
एससी द्विवेदी कहते हैं, ''जब सिपाही न फिजिकली पकड़ कर रोक सकते हैं। न ही उनके साथ जाने की व्यवस्था है। ऐसे में वो क्या करें। अब उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। मैं होता तो सस्पेंड न करता।''
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