उत्‍तर प्रदेश: विधानभवन की ओर कूच कर रहे किसानों को मिला टोकन, जल्द होगी धान की खरीदी

धान का सरकारी रेट 1750 रुपए है। सरकार ने 638 खरीद केंद्रों के माध्यम से 50 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य भी रखा, लेकिन एक अक्टूबर से शुरू हुई उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद लक्ष्य के अनुरूप काफी कम है।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   17 Nov 2018 1:15 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
उत्‍तर प्रदेश: विधानभवन की ओर कूच कर रहे किसानों को मिला टोकन, जल्द होगी धान की खरीदी

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश में सरकारी क्रय केंद्रों पर धान की खरीद की धीमी गति से नाराज भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले सैकड़ों किसान बाराबंकी से ट्रैक्टर ट्रॉली पर धान लादकर विधानभवन आ रहे थे। लेकिन तुरंत एक्शन में आए अधिकारियों ने उन्हें वहीं रोक दिया और आश्वासन दिया और टोकन बांटने का काम शुरू कर दिया। किसान सरकारी खरीद की जटिल प्रक्रिया और मिल, कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से अपनी उपज सरकार क्रय केंद्रों पर नहीं बचे पा रहे थे।

भाकियू के प्रदेश प्रवक्‍ता आलोक वर्मा ने बताया, '' जनपद में एक नवंबर से क्रय केंद्र खुलने थे लेकिन केंद्र खुले ही नहीं। अब हमें डीएम से आश्वासन मिला है कि सभी किसानों से दो दिनों के अंदर धान खरीद लिया जाएगा। टोकन बंटने का काम शुरू हो चुका है।"

एसडीएम अजय द्विवेदी ने कहा कि धान क्रय केंद्रों पर खरीद शुरू हो गई है। इनकी मांग के अनुरूप पहले आओ पहले पाओ की नियमावली के तहत काम हो रहा है। किसानों की सूची के अनुसार उनको टोकन बांटने का काम हो रहा है। बाराबंकी के जिला पंचायत भवन में हुई मीटिंग के बाद ये आश्वासन दिया गया। भवन के ठीक पीछे गन्ना केंद्र में किसानों ठहरे हैं जहां वे आज रात तक रुकेंगे।

गाैरतलब है कि धान का सरकारी रेट 1750 रुपए है। सरकार ने 638 खरीद केंद्रों के माध्यम से 50 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य भी रखा, लेकिन एक अक्टूबर से शुरू हुई उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद लक्ष्य के अनुरूप काफी कम है। वहीं, सरकारी खरीद की जटिल प्रक्रिया की वजह से सरकारी केंद्र पर धान बेचना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। हालात ये है कि किसान 11 से 12 सौ रुपये तक में निजी व्यापारियों को धान बेच रहे हैं। जबकि लखनऊ मंडल में एक नवंबर से धान खरीद होनी थी लेकिन १३ किसी केंद्रों पर आवक नहीं पाई थी।


बाराबंकी, दुंदपुर के किसान संजय कुमार ने कहा "मंडी में धान खरीद के लिए हम यहां आए हैं। पता चला कि टोकन बंटेगा। किसान का क्या है, १० रुपए के फायदे के लिए कहीं भी चले जाएंगे। टोकन मिल जाएगा तो लाैट जाएंगे।" वहीं प्रदर्शन में आये किसान जीतेंद्र ने कहा "मैंने अपना धान १२५० रुपए में बेच दिया। सरकारी क्रय केंद्रों पर बाबू लेने से मना कर दिया था।"

ये भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश: सरकारी धान क्रय केंद्रों पर सन्नाटा, प्रति कुंतल 300 से 400 रुपए का घाटा उठा रहे किसान

13 नवंबर तक खाद्य व रसद विभाग में हड़ताल के चलते धान क्रय केद्रों पर ताले लटके रहे। विभिन्न मांगों को लेकर पूरे प्रदेश में मार्केटिंग इंस्पेक्टर (खाद्य विपणन विभाग) कर्मचारी हड़ताल पर रहे। जिसके चलते धान की खरीद पूरी तरह ठप्प रही। लगभग दो सप्ताह तक सहकारी समितियों पर ताले लगे रहे, ऐसे में 14 को केंद्र तो खुले लेकिन किसान नदारद रहे। लखनऊ गल्ला मंडी में धान क्रय केंद्र के मार्केटिंग इंस्पेक्टर आदित्य सिंह बताते हैं "हमारी हड़ताल तो खत्म हो चुकी है, लेकिन अभी हमारे यहां बोहनी नहीं हुई है। किसान आ ही नहीं रहे। हालांकि मिलर्स की हड़ताल अभी जारी है।" धान बेचने के लिए किसानों के विभागीय वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराने की अंतिम तिथि 15 नवंबर निर्धारित है।


धान क्रय नीति के तहत सीतापुर, लखीमपुर, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़ और झांसी में एक अक्टूबर से 31 जनवरी 2019 तक और लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव व हरदोई, चित्रकूट, कानपुर, फैजाबाद, देवीपाटन, बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर और इलाहाबाद मण्डलों में एक नवंबर, 2018 से 28 फरवरी, 2019 तक धान की खरीद की जाएगी। लेकिन प्रदेश के लगभग सभी जिलों में धान की खरीदी अपेक्षा अनुसार नहीं हो पा रही है। लखनऊ में 14 धान क्रय केंद्र बनाए गए हैं जहां एक नवंबर से खरीद शुरू होनी थी, लेकिन आंकड़ों के अनुसार 15 नवंबर तक राजधानी के किसी भी केंद्र पर धान की आवक नहीं हुई।

गन्ने की खोई से बने सेल्यूलोज नैनोफाइबर करेंगे कीटनाशकों का नियंत्रण

उत्तर प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश चंद्र मिश्रा गांव कनेक्शन से फोन पर कहते हैं "हमारी हड़ताल अभी तक जारी है। हमने इस सत्र में कहीं भी धान नहीं कूटा है, हमारी हड़ताल मांगें पूरी न होने तक जारी रहेंगी।" उमेश आगे कहते हैं "सरकारी क्रय केंद्रों से लेकर कुटाई तक की प्रक्रिया बहुत ही कठिन और पेंचिदा है। भारतीय खाद्य निगम के मानक के अनुसार धान की रिकवरी करीब 52-55 प्रतिशत तक आती है। खंडा आदि लेकर यह करीब 58 से 60 फीसदी पहुंच जाती है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार मिलरों से 67 प्रतिशत धान की रिकवरी करती है। इस हिसाब से मिलर को हर साल 12 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है।"

13 नवंबर तक के मिले सरकार आंकड़ों के अनुसार अमेठी में मात्र एक क्रय केंद्र पर 50 कुंतल, बहराइच में 300 कुंतल, लखीमपुर खीरी में 21 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद हुई। बलरामपुर में लक्ष्य के हिसाब से 2.91 फीसदी खरीद हुई तो वहीं श्रावस्ती में एक केंद्र पर ही धान खरीद हुई। वहीं लखनऊ, गोंडा, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, रायबरेली और हरदोई में खाता ही नहीं खुला।

  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.