रोजगार सेवकों से मंत्री बोले-अधिकतम मानदेय देंगे, पर अभी घोषणा नहीं कर सकते
Ranvijay Singh 23 Sep 2019 12:58 PM GMT
लखनऊ। ''मुझे दुख हो रहा है कि मैं चाह कर भी घोषणा नहीं कर पा रहा, क्योंकि आचार संहिता लगी हुई है। मैं कह रहा हूं जितना अधिकतम हो सकेगा उतना अधिकतम मानदेय हम करेंगे।'' यह बात उत्तर प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह ने ग्राम रोजगार सेवकों से कही है।
उत्तर ग्राम रोजगार सेवक संघ के बैनर तले सोमवार को प्रदेश भर से ग्राम रोजगार सेवक लखनऊ पहुंचे थे। यहां एक कार्यक्रम में रोजगार सेवक संघ की ओर से प्रदेश प्रभारी कमलेश कुमार गुप्ता ने आठ मांगों को ग्राम्य विकास मंत्री के सामने रखा।
इसके जवाब में ग्राम्य विकास मंत्री ने उन्हें आचार संहिता का हवाला देते हुए इन मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है। ग्राम्य विकास मंत्री ने कहा, ''आचार संहिता के बाद संघ के 11 लोगों के प्रतिनिधिमंडल को आप तैयार कर दें। इस प्रतिनिधिमंडल के साथ आपकी मांगों पर सकारात्मक रूप से हम चर्चा करेंगे।''
उन्होंने कहा, ''ग्राम विकास मंत्री के रूप में मेरे पास उत्तर प्रदेश की सभी ग्राम सभाएं हैं। उनको जब हम मिलाते हैं तो उत्तर प्रदेश का मानचित्र तैयार होता है। चाहे वो मनरेगा हो, एनआरएलएम का कार्यक्रम हो, किसानों को सहयोग देने का विषय हो या हर घर को नल से जल देने का विषय हो, यह काम किसके हाथ से पूरा होगा? यह काम हमारे 12 हजार ग्राम पंचायत अधिकारी नहीं पूरा कर सकते। इसके लिए हमें 37 हजार रोजगार सेवकों के मजबूत हाथों की जरूरत है।''
संघ की ओर से यह भी मांग रखी गई कि 2017 में लखनऊ में एक प्रदर्शन के दौरान 91 ग्राम रोजगार सेवकों पर मुकदमें दर्ज किए गए थे, इन मुकदमों को वापस लिया जाए। इसके जवाब में ग्राम्य विकास मंत्री ने कहा, ''ग्राम विकास विभाग अपने इन सहयोगियों के मुकदमें की वापसी के लिए गृह विभाग और न्याय विभाग में पूरी निष्ठा से पैरवी करेगा और कोशिश करेगा कि वो मुकदमें वापस लिए जाएं। हमारी कोशिश होगी कि हमारे परिवार के लोगों को उनका सम्मान वापस मिले।''
उन्होंने मंच पर बैठे एक वक्ता की बात को देहराते हुए कहा, ''तिवारी जी ने सही कहा कि 6 हजार के चक्कर में हम नौजवानों को ऐसी चौखन पर खड़ा कर देते हैं जहां से वो न पीछे घूमकर देख सकता है, न ही आगे बढ़ने का रास्ता उन्हें मिलता है। ऐसा नहीं है कि मुझमें मानवता नहीं है, मुझसे जो हो सकेगा आप लोगों के लिए करूंगा।''
इस आश्वासन पर उत्तर प्रदेश ग्राम रोजगार सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश कुमार सिंह कहते हैं, ''मंत्री जी की ओर से आश्वासन दिया गया यह अच्छी बात है। इसके बाद प्रदेश भर से आए रोजगार सेवक बेफ्रिक घर लौट सकेंगे। हमारा प्रतिनिधिमंडल जल्द ही अधिकारियों के साथ बैठेगा और हमारी मांगों पर चर्चा की जाएगी। इससे कुछ बेहतर होने की आशा है।''
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर से आए विजय मिश्रा कहते हैं, ''मानदेय को लेकर ग्राम रोजगार सेवक परेशान रहते हैं। प्रासंगिक मद के हिसाब से मिलने वाले मानदेय में कई बाद मानदेय 6 हजार तक भी नहीं आता है। यह बात भी मंत्री जी के सामने रखी गई थी, अब उन्होंने आचार संहिता का हवाला दिया है तो कुछ दिन देख लेते हैं। इसके बाद जब मीटिंग होगी तो सब साफ हो जाएगा।''
ग्राम रोजगार सेवकों की क्या थी मांग?
1. ग्राम रोजगार सेवकों को नियमित करते हुए राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
2. ग्राम रोजगार सेवकों के ऊपर से 3 हजार मानव दिवस की बाध्यता को खत्म किया जाए। रोजगार सेवकों के जॉब चार्ट में मनरेगा के अतिरिक्त अन्य कार्यों को जोड़कर कार्य लिया जाए।
3. नगर निकायों में शामिल हो चुके ग्राम पंचायतों के ग्राम रोजगार सेवकों को खाली पड़े ग्राम रोजगार सेवकों के पद समायोजित किया जाए।
4. ग्राम रोजगार सेवकों को ग्राम पंचायतों से नियंत्रण मुक्त रखा जाए।
5. ग्राम रोजगार सेवकों के मानदेश भुगतान के लिए अलग से बजट का प्रवाधान किया जाए1
6. ग्राम पंचायत अधिकारी/ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती में 12 वर्ष के अनुभव के आधार पर वरियता दी जाए।
7. ग्राम रोजगार सेवकों को कर्मचारी भविष्य निधि, दुर्घटना बीमा और स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाए।
8. 2017 में लखनऊ में एक प्रदर्शन के दौरान 91 ग्राम रोजगार सेवकों पर मुकदमें दर्ज किए गए थे। इन मुकदमों को वापस लिया जाए।
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