एक बेरोजगार युवा क्या चाहता होगा? और आपका जवाब गलत है!
अयोध्या में हुई वीएचपी और शिवसेना की रैलियों में आए लोगों की संख्या की बात करें तो अयोध्या में करीब 1 लाख बाहरी लोग आए थे। इन लोगों में बड़ी संख्या युवाओं की थी।
Ranvijay Singh 26 Nov 2018 2:01 PM GMT
अयोध्या। एक बेरोजगार युवा आखिर क्या चाहता होगा? इस सवाल का एक ही जवाब है- रोजगार। लेकिन अयोध्या में मंदिर निर्माण की मांग लेकर पहुंचे युवा इस जवाब को गलत ठहरा देते हैं। उनके मुताबिक, ''बेरोजगारी बड़ा मुद्दा हो सकता है, लेकिन मंदिर उनकी आस्था का सवाल है। कई युवा तो ये भी कहते रहे कि अगर मंदिर बन जाएगा तो सब सही हो जाएगा।'' यानि सीता राम सीता राम सीता राम कहिये, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये।
24 नवंबर को अयोध्या में हुई शिवसेना की रैली में मुंबई से पहुंचे हेमंत तिवारी कहते हैं, ''ये कौन कहता है कि हमारे लिए बेरोजगारी मुद्दा नहीं? हां राम मंदिर आस्था का सवाल है और सबसे पहले है। सरकार को समझना होगा कि हम बचपन से ये सुनते आ रहे हैं कि राम जी आयोध्या में पैदा हुए, लेकिन उन्हीं की जगह पर उनके लिए स्थान नहीं है। ये सही है क्या? जिस दिन सरकार ये बात समझ जाएगी उस दिन सारे मामले खत्म हो जाएंगे।''
वहीं, हेमंत के साथ आए सिद्धार्थ मिश्रा से जब पूछा गया कि आखिर युवा मंदिर के लिए मुंबई से आयोध्या क्यों आ जाता है? इसपर सिद्धार्थ खुद सवाल करते हुए जवाब देते हैं, ''हम क्यों न आएं? हम हिंदू समाज से हैं। राम जी हमारे परम पुज्य हैं। राम मंदिर जरूरत की चीज नहीं है। वो हमारी आस्था की चीज है। राम हमारी मर्यादा हैं।''
''अगर हम दर्शन करने जाते हैं और देखते हैं कि राम जी तिरपाल में हैं तो हमें दुख होता है। रोजगार हमारी जरूरत हो सकती है, लेकिन मंदिर हमारी आस्था है और सबसे पहले है।''- सिद्धार्थ मिश्रा
इसके अलावा शिवसेना की रैली में अयोध्या के ही रहने वाले जितेंद्र कुमार मिश्रा भी पहुंचे थे। जितेंद्र बीटीसी पास बेरोजगार युवा हैं। वो मानते हैं कि देश में बेराजगारी बड़ा मुद्दा है। हालांकि ये भी कहते हैं कि, ''युवा के लिए रोजगार बड़ा मुद्दा है, लेकिन आस्था जरूरी है। हां, इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए। राम जब चाहेंगे उनका मंदिर बन जाएगा।'' जितेंद्र हाल ही में हुए TET के पेपर का उदाहरण भी देते हैं और कहते हैं, ''पेपर बनाने वाले इतने ज्ञानी हैं कि उत्तर में विकल्प ही नहीं रखते। हम लोगों ने आपत्ति दर्ज की है। देखिए आगे क्या होता है।'' जितेंद्र के साथ रैली में आए उनके दो दोस्त पहले ही लौट गए थे। जितेंद्र आखिर तक रुक रहे और उद्धव ठाकरे के जाने के बाद ही यहां से गए।
इसके अलावा अगले दिन (25 नवंबर) अयोध्या में वीएचपी की रैली हुई। इस रैली में भी दूर दराज के युवा पहुंचे। ये युवा झुंड बनाकर 'जय श्री राम' का नारा लगाते हुए आगे बढ़ते। एक युवा तेज स्वर में कहता 'जय श्री राम', बाकी के युवा उसका साथ देते हुए जयकारा लगाते- 'जय-जय श्री राम'। इन युवाओं से जब बात की गई तो सबने बताया कि वो जौनपुर से आए हैं। जानपुर से आए विजय बताते हैं, 'उन्होंने बीए किया हुआ है। फिलहाल नौकरी की तलाश में हैं। घर पर ही रहते हैं। स्थानीय नेता के साथ वीएचपी की रैली में आए हैं और शाम तक लौट जाएंगे।' विजय कहते हैं, ''हम राम जी के लिए समर्पित हैं। उनके लिए कुछ भी कर गुजरेंगे।'' उनसे जब पूछा गया कि रोजगार बड़ा मुद्दा है या राम मंदिर? इसपर विजय कहते हैं, ''दोनों ही बड़े मुद्दे हैं, लेकिन राम मंदिर की जगह कोई नहीं ले सकता।''
इतने युवाओं की शहर में आमद पर अयोध्या के रहने वाले एक युवा भानु मिश्रा कहते हैं, ''मैं समझ नहीं पाता इनके पास इतना वक्त कैसे है। मुझे अपने व्यापार से थोड़ी भी फुर्सत नहीं। सच कहूं, अब मंदिर पर सिर्फ राजनीति हो रही है। युवाओं को ये बात समझनी चाहिए। पता नहीं देश के युवा किस ओर जा रहे हैं।''
बात करें देश में बेरोजगारी की तो ये एक बहुत बड़ा मुद्दा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) नाम की संस्था ने अक्टूबर महीने में बेरोजगारी को लेकर एक सर्वे किया। इस सर्वे के मुताबिक, अक्टूबर के महीने में बेरोजगारी का स्तर 6.9% रहा जो पिछले दो साल में सबसे ज्यादा है। देश में अक्टूबर 2017 में कुल 40.7 करोड़ लोग नौकरियां कर रहे थे, लेकिन अक्टूबर 2018 में ये आंकड़ा 39.7 करोड़ गिर गया। एक साल के भीतर 1 करोड़ लोगों की नौकरी छूट गईं। बता दें, हर साल करीब 1 करोड़ 20 लाख नए लोग भारत के लेबर मार्केट में नौकरी के लिए उतरते हैं। लेकिन देश में नौकरियां के गिरते स्तर की वजह से बेरोजगारी बड़ी समस्या बन कर उभरी है।
गौरतलब है कि अयोध्या में हुई वीएचपी और शिवसेना की रैलियों में आए लोगों की संख्या की बात करें तो अयोध्या में करीब 1 लाख बाहरी लोग आए थे। इन लोगों में बड़ी संख्या युवाओं की थी। ये युवा माथे पर भगवा बांधकर 'मंदिर वहीं बनाएंगे' का नारा लगाते हुए यहां पहुंचे थे। ऐसे में समझा जा सकता है कि देश में शिक्षित बेरोजगार किस ओर बढ़ रहे हैं।
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