ओडिशा: जंगल काटकर नहीं लगेगी बियर फैक्‍ट्री, गांव वाले बोले- ये हमारी जीत

एक फैक्चुअल रिपोर्ट औद्योगिक विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी गई है। इसमें बियर फैक्‍ट्री को दी गई जमीन को निरस्‍त करने का आदेश है।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   21 Nov 2018 10:12 AM GMT

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ओडिशा: जंगल काटकर नहीं लगेगी बियर फैक्‍ट्री, गांव वाले बोले- ये हमारी जीत

आखिरकार ओडिशा के ढेंकनाल जिले के बलरामपुर गांव में जंगल को बचाने के लिए हो रहे प्रदर्शन के आगे सरकार ने घुटने टेक दिए। अब पेड़ों को काटकर बियर फैक्‍ट्री नहीं लगाई जाएगी। इस आदेश पर खुशी जाहिर करते हुए बलरामपुर गांव के सेक्रेटरी सुशांत धल कहते हैं, ''ये हमारी जीत है, हमारे जैसे कइयों को जीवन देने वाले इस जंगल की जीत है।''

ओडिशा के ढेंकनाल जिले के बलरामपुर गांव में P & A Bottlers Pvt Ltd को बियर फैक्‍ट्री के लिए जमीन दी गई थी। गांव वालों का आरोप है कि ओडिशा इंडस्ट्रियल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (IDCO) ने जंगल की जमीन पर फैक्‍ट्री लगाने की अनुमति दी। वो 96 एकड़ में फैले इस जंगल को 1972 से संरक्षि‍त कर रहे थे, ऐसे गांव वाले इस जगह फैक्‍ट्री लगाने का विरोध कर रहे थे। इस विरोध के चलते सरकार ने बियर फैक्‍ट्री का प्‍लांट यहां लगाने का आदेश वापस ले लिया है।

जंगल न काटने के आदेश की कॉपी।

ग्राम समिति के कानूनी सलाहकार शंकर प्रसाद पानी बताते हैं, ''मीडिया में इस खबर के आने के बाद मुख्‍यमंत्री कार्यालय से इस मामले की जांच के आदेश दिए गए थे। जांच का जिम्‍मा रेवेन्‍यू डिविजनल कमिशनर डीवी स्‍वामी को दिया गया। हालांकि, जब तक जांच होती तब तक फॉरेस्‍ट डिपार्टमेंट की ओर से पेड़ काटे जाने लगे थे। फॉरेस्‍ट डिपार्टमेंट ने 954 पेड़ों को काटने के लिए मार्क किया था, जिसमें से लगभग 700 पेड़ 17 नवंबर को काटे गए।'' (पेड़ काटने का आंकड़ा अनुमान पर आधारित है, हो सकता है 954 पेड़ भी काटे गए हों)

''जब पेड़ काटे जा रहे थे उसी वक्‍त ओडिशा की विधानसभा में विपक्ष इस मामले पर हंगामा कर रहा था। इसके बाद 18 नवंबर को मुख्‍यमंत्री कार्यालय की ओर से रेवेन्‍यू डिविजनल कमिशनर डीवी स्‍वामी से रिपोर्ट मांगी गई। इसपर डीबी स्‍वामी ने एक फैक्चुअल रिपोर्ट औद्योगिक विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी, जिसमें बियर फैक्‍ट्री को दी गई जमीन को निरस्‍त करने की बात कही गई है।''- शंकर प्रसाद पानी

प्रमुख सचिव को भेजी गई इस रिपोर्ट में लिखा है कि, ''फैक्चुअल रिपोर्ट के आधार पर बियर फैक्‍ट्री को दी गई जमीन को निरस्‍त किया जाता है और फैक्‍ट्री को कहीं दूसरी जगह जमीन दी जाएगी। जंगल में पेड़ों का कटान भी तत्‍काल रोक दिया गया है। साथ ही काटे गए पेड़ों की जगह नए पौधे लगाए जाएंगे। वहीं, इस मामले पर फील्‍ड रिपोर्ट भी दी जाएगी।''

बलरामपुर गांव के सेक्रेटरी सुशांत धल बताते हैं, ''इस आदेश के बाद 20 नवंबर को रेवेन्‍यू डिविजनल कमिशनर डीवी स्‍वामी हमारे गांव भी आए थे। उन्‍होंने हमसे जंगल को नष्‍ट न करने की बात कही है।'' सुशांत धल के मुताबिक, गांव वालों ने इस फैसले का स्‍वागत किया और डीवी स्‍वामी के प्रति आभार भी व्‍यक्‍त किया है। साथ ही मुलाकात के दौरान गांव वालों ने कुछ मांग भी रखी हैं-

1. जंगल में जितने पेड़ काटे गए हैं उतने ही पौधे फिर से लगाए जांए।

2. जो पौधे गांव वाले कहेंगे वही पौधे विभाग द्वारा लगाए जाएं।

3. काटे गए पेड़ों को वन विभाग न ले जाए। उन्‍हें गांव वालों को सौंपा दिया जाए।

4. साथ ही जंगल की जमीन को औद्योगिक जमीन के दायरे से बाहर किया जाए।

डीवी स्‍वामी ने इन मांगों को सुना और इन्‍हें पूरा करने का आश्‍वासन भी दिया है। इस मामले पर ढेंकनाल के जिलाधिकारी निखिल पवन कलयान कहते हैं, ''बियर फैक्‍ट्री के प्‍लांट को कैंसिल कर दिया गया है। अभी भी जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद एक रिपोर्ट जारी की जाएगी। अब वहां बियर फैक्‍ट्री नहीं लगेगी।''

गांव के लोगों ने पेड़ बचाने के लिए 'चिपको आंदोलन' की तरह का प्रदर्शन भी किया।

गांव कनेक्‍शन का किया शुक्रिया

ग्राम समिति के कानूनी सलाहकार शंकर प्रसाद पानी कहते हैं, ''गांव कनेक्‍शन पहला था जिसने हिंदी भाषा में इस मामले पर स्‍टोरी की। इसके बाद मीडिया के अन्‍य संस्‍थानों ने इस खबर का संज्ञान लिया। इसका बहुत बड़ा असर हुआ और लोगों के दबाव के आगे सरकार को झुकना पड़ा।'' शंकर प्रसाद पानी इस खबर के लिए गांव कनेक्‍शन का शुक्रिया भी करते हैं। बता दें, इस खबर को गांव कनेक्‍शन ने प्रमुख्‍ता से छापा था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर इस खबर को खूब शेयर किया गया और बाद में इसे अन्‍य मीडिया संस्‍थानों ने भी संज्ञान लिया।

ये भी पढ़ें: बियर फैक्‍ट्री के खिलाफ है ओडिशा का ये गांव, लोग बोले- 'मर जाएंगे लेकिन जंगल नहीं छोड़ेंगे'

बता दें, गांव वाले जिस बियर फैक्‍ट्री का विरोध कर रहे हैं, उस फैक्‍ट्री का प्रोजेक्‍ट P & A Bottlers को 2016 में दिया गया था। 102 करोड़ के इस प्रोजेक्‍ट को ओडिशा की राज्य स्तरीय सिंगल विंडो क्‍लियरेंस आथॉरिटी ने निवेश प्रस्ताव की मंजूरी दी थी। प्रस्तावित फैक्‍ट्री में 2.5 लाख हेक्टेलिटर सालाना की क्षमता होती।

जिस जंगल को गांव वाले बचाने की बात कर रहे हैं वो झिंकरगडा जंगल में पड़ने वाले टांस हिल से सटा हुआ इलाका है। झिंकरगडा जंगल 600 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें से 96 एकड़ जंगल का ये 12 गांव के लोग संरक्षण करते आ रहे हैं। गांव वालों को आरोप है कि सरकार ने पहले इस जंगल भूमि का कागजों में स्‍वरूप बदला और उसे औद्योगिक भूमि कर दिया। इसके बाद 12 एकड़ भूमि P & A Bottlers को बियर फैक्‍ट्री के लिए दे दी गई।

बलरामपुर ग्राम पंचायत सूखे से प्रभावित है। यहां भूजल की कमी की वजह से साल में सिर्फ एक बार मौसम आधारित खेती की जाती है। यहां के गांव वाले मुख्‍य तौर पर धान की खेती करते हैं क्‍योंकि इसमें बारिश से उन्‍हें पानी मिल जाता है। गांव वालों को ये भी कहना था कि बियर फैक्‍ट्री लगने से इस इलाके में भूजल की समस्‍या और विकराल हो जाती।


  

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