पश्चिम बंगाल से शुरू हुई डॉक्‍टरों की हड़ताल दूसरे राज्‍यों तक पहुंची, डॉक्‍टर दे रहे इस्‍तीफा

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पश्चिम बंगाल से शुरू हुई डॉक्‍टरों की हड़ताल दूसरे राज्‍यों तक पहुंची, डॉक्‍टर दे रहे इस्‍तीफा

लखनऊ। पश्चिम बंगाल से शुरू हुई जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल अब दूसरे राज्‍यों तक पहुंच गई है। दिल्‍ली के एम्स और सफदरजंग के रेजिडेंट डॉक्टर्स के साथ ही मुंबई के कई संस्थाओं के डॉक्‍टर हड़ताल पर हैं। इसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधा असर पड़ रहा है। बता दें, यह हड़ताल पश्‍चिम बंगला के एक अस्‍पताल में डॉक्‍टर्स की पिटाई के बाद शुरू हुई है।

डॉक्‍टर्स का कहना है कि वह साइलेंट प्रोटेस्ट कर रहे हैं। वो अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी मांग को जायज मानते हैं और इसका समर्थन कर रहे हैं। विभि‍न्‍न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में डॉक्टर हड़ताल पर जा रहे हैं।

गुरुवार को पश्‍चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता स्थित एक सरकारी अस्पताल एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल का दौरा किया था। उन्‍होंने हड़ताली डॉक्‍टर्स को तुरंत हड़ताल ख़त्म करने का अल्टीमेटम भी दिया। हालांकि हड़ताली डॉक्टर्स ने ममता के अल्टीमेटम को खारिज करते हुए आंदोलन जारी रखने की बात कही है।

डॉक्‍टर्स की हड़ताल की वजह से पश्‍चिम बंगाल में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सीधा असर पड़ा है। बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को नेशनल मेडिकल कॉलेज में इलाज के अभाव में एक 31 साल महिला ने दम तोड़ दिया। शिखा नाम की इस महिला को सांस लेने में तकलीफ़ थी। ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं। राज्य में कुल 18 मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें से 13 राज्य सरकार के हैं, लेकिन हर जगह काम लगभग ठप है।

ममता ने अस्पताल के दौरे के बाद पत्रकारों से कहा, "यह हड़ताल बीजेपी की साजिश है। आंदोलनकारियों ने स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दी हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। आंदोलन तुरंत खत्म नहीं हुआ तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। सरकार हर डॉक्टर पर 25 लाख रुपए ख़र्च करती है। डॉक्टर हड़ताल नहीं कर सकते। उनको मरीजों की सेवा करनी होगी।" उन्‍होंने कहा, ''बीजेपी माकपा की सहायता से हिंदू-मुस्लिम राजनीति कर रही है।''

वहीं हड़ताली डॉक्‍टर भी पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। उन्‍होंने सामूहिक इस्तीफ़े की योजना भी बनाई है। डॉक्टर्स के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मामले पर राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात भी की है और हस्‍तक्षेप की अपील की है।

आंदोलनकारी डॉक्टर अब सरकार पर दबाव बनाने के लिए सामूहिक इस्तीफ़े की योजना बना रहे हैं. सागर दत्त मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आठ डॉक्टरों ने आज इस्तीफ़ा दे दिया। वहीं, आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्‍पिटल में 16 डॉक्‍टर्स ने इस्‍तीफा दिया है। इस बीच, आंदोलनकारी डॉक्टरों की एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात कर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है।


क्‍या है घटना जिसके बाद शुरू हुई हड़ताल

यह घटना सोमवार शाम (10 जून) की है। कोलकाता के सरकारी एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक 75 साल के बुजुर्ग मोहम्मद सईद को दिल का दौरा पड़ने के बाद एडमिट कराया गया। वहां मोहम्‍मद सईद को दूसरा दिल का दौरा पड़ा। रात को ड्यूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टर्स ने सईद को जीवनरक्षक इंजेक्शन लगाया, लेकिन उसकी जान नहीं बचा पाए।

इसके बाद परिजन अस्‍पताल में हंगामा करने लगे। उन्‍होंने अपने इलाके से लोगों को बुलाया। रात में करीब 11 बजे दो ट्रकों में भरकर लोग अस्‍पताल में पहुंचे। लोगों ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर परिवह मुखर्जी और यश टेकवानी की बुरी तरह पीटाई कर दी। ईंट की चोट से मुखर्जी के सिर में फ्रैक्चर हो गया, जिन्‍हें एक निजी नर्सिंग होम में एडमिट कराया गया। इस घटना के विरोध में डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं।

इस मामले में राजनीति भी होने लगी। बीजेपी नेता मुकुल राय ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस से जुड़े लोगों ने डॉक्टरों पर हमला किया था। मामले में राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन कर दिया है। वहीं, पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

 

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