बिगड़े हालात में भी अव्वल आने की प्रेरणा देती है नेशनल हॉकी स्टार मुमताज़ की ये कहानी

कभी लखनऊ की तंग गलियों में हॉकी खेलने वाली मुमताज़ को आज पूरी दुनिया जानती है, इस साल भारत की जूनियर महिला हॉकी टीम ने पहली बार जूनियर एशिया कप जीत कर इतिहास रचा है। उनके अम्मी-अब्बा सब्जी का ठेला लगाते हैं।

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के तोपखाना की तंग गलियों में जब अपनी हॉकी स्टिक लेकर मुमताज़ निकलती, तो हर किसी की नज़रें उन पर रहती, क्योंकि यहाँ पर हॉकी जैसे खेल को खेलना तो दूर पढ़ने के लिए भी लड़कियाँ घर से दूर नहीं जाती हैं।

आखिर मुमताज़ कैसे हॉकी प्लेयर बनी के सवाल पर वो गाँव कनेक्शन से बताती हैं, "मैं जब स्कूल में पढ़ती थी तो वहाँ एथलेटिक्स होता था, मेरी रनिंग में अच्छी थी तो एक दिन मेरे कोच ने बोला कि तुम हॉकी भी ज्वाइन कर सकती हो। मैंने हॉकी ज्वाइन कर लिया और मुझे हॉकी से प्यार हो गया, आज इसकी वजह से मुझे सम्मान मिल रहा है।"

लेकिन मुमताज़ की राह इतनी आसान नहीं थी, उनकी अम्मी कैसर जहाँ सब्ज़ी का ठेला लगाती हैं और उनके अब्बा हाफिज खान पहले रिक्शा चलाते थे अब दुकान में ही मदद करते हैं। सात भाई-बहनों में मुमताज़ चौथे नंबर पर हैं।


मुमताज़ की इस यात्रा में उनकी बड़ी बहन फराह ने पूरा साथ दिया, फरहा गाँव कनेक्शन से बताती हैं, "मैंने सोचा कि जो मैं नहीं कर पायी हूँ, मेरे भाई बहन बहुत अच्छे हों, अच्छी सोसाइटी में रहें। अच्छे से पढ़े-लिखे खूब अच्छे इंसान बने। इसलिए मैं मुमताज़ और अपनी बहन भाई का पूरा साथ देती हूँ।"

भारत की फारवर्ड हॉकी खिलाड़ी मुमताज़ खान इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन की राइजिंग स्टार ऑफ द ईयर बनी हैं। 20 वर्षीय मुमताज़ को साल 2022 में दक्षिण अफ्रीका में हुए वर्ल्ड कप के दौरान उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए इस ख़िताब से नवाजा गया।

एक समय ऐसा भी था जब मुमताज़ को बाहर जाने रोका जाता था, मुमताज़ कहती हैं, "एक बार मेरी मम्मी ने कहा था कि अगर बाहर खेलने गई तो तुम्हारी टाँग तोड़ दी जाएगी, इसलिए चुपचाप स्कूल में खेलने लगे।"


लेकिन अब मुमताज़ की माँ की सोच अलग है, वो कहती हैं, "अब अफ़सोस करते हैं कि हमने ऐसा क्यों करा, नहीं करना चाहिए था, अब तो बहुत अच्छा लगता है। मेरा सपना है वे अच्छे से रहे और बहुत अच्छा खेले, देश का नाम रोशन करें।"

भारत की जूनियर महिला हॉकी टीम ने पहली बार जूनियर एशिया कप जीत कर इतिहास रचा है। इस टीम में मुमताज़ भी शामिल हैं। जापान के काकामिगहारा में महिला जूनियर एशिया कप 2023 के फ़ाइनल मैच में 25 जून को भारतीय महिला हॉकी टीम ने रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया के ख़िलाफ़ 2-1 से जीत दर्ज करते हुए ऐतिहासिक ख़िताब अपने नाम कर लिया।

मुमताज़ के इस संघर्ष में उनकी बहन ने उनका पूरा साथ दिया, मुमताज़ कहती हैं, "हर किसी के अपने सपने होते हैं, कॉलेज में पढ़ें, दोस्त बनाए, लेकिन मेरी बहन ने हम लोगों के लिया सब कुछ छोड़ दिया, पढ़ाई छोड़ दी, मम्मी के साथ दुकान पर रहने लगी, लेकिन अब मेरी कोशिश है कि मैं सबकी मदद करूँ।"


मुमताज़ की अप्पी फराह कहती हैं, "समझ लीजिए जब एक औलाद कुछ करती है तो माँ बाप का सर गर्व से ऊंचा हो जाता है। देश का नाम रोशन किया, बहुत फक्र होता है कि ये हमारे देश के लिए खेल रही है और हमें बहुत अच्छा लगता है। जब ये किसी के मुँह से सुनते हैं तो और भी अच्छा लगता है कि फराह की बहन हैं । पहले लोग फराह के नाम से जानते थे अब कही निकलते हैं तो कहते है मुमताज़ की अप्पी हैं।"

पहले मुमताज़ को घर बाहर भी मुश्किल से निकलने दिया जाता था आज पूरी दुनिया घूम रहीं हैं। "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं लखनऊ से क्या अपने एरिया से बाहर जाऊँगी, लेकिन अभी तो मैं ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, बेल्जियम, नीदरलैंड, कोरिया, जापान, बैंकॉक जैसे देश घूम रहीं हूँ।" मुमताज़ की नौकरी लग गई है, अभी वो बैंगलोर में हैं।

mumtaj khan #national sports day 

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