"मां अकेली काफी है बच्चों की जिंदगी बनाने के लिए"

मदर्स डे के अवसर पर महिला जज और प्रोफेसर ने सुनाई संघर्ष भरी दास्तां

Ajay MishraAjay Mishra   15 May 2018 6:54 AM GMT

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मां अकेली काफी है बच्चों की जिंदगी बनाने के लिए

कन्नौज। मदर्स डे के अवसर पर स्कूल और कॉलेजों में कई प्रोग्राम हुए। अपर मुख्य न्यायिक अधिकारी और असिस्टेंट प्रोफेसर ने जीवन के संघर्ष और कामयाबी की सच्ची दास्तां सुनाई। रविवार को शहर के पुलिस लाइन के निकट चल रहे सेंट जेवियर्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में जिला एवं सत्र न्यायालय कन्नौज की एसीजेएम गीतांजलि गर्ग ने बताया, "हमने जीवन में बहुत संघर्ष किया। शादी से पहले ही मां का साथ छूट गया। हमारे सपने साकार करने में शिक्षक साथ देते हैं। मदर्स डे पर बच्चे भाग ले रहे हैं अच्छा है।" उन्होंने आगे बताया, "शिक्षा ही आगे ले जाती है और कुछ नहीं, जो पूरी दुनियां में अलग दिखाई देती है। मदर अच्छी होती है तो परिवार भी अच्छा होता है। बेटियों को आगे बढ़ने का अवसर दें, क्योंकि वो दो परिवार को संभालती हैं।"


-मदर्स डे के अवसर पर महिला जज और प्रोफेसर ने सुनाई संघर्ष भरी दास्तांराजकीय महिला डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सोनू पूरी बताती हैं, "शुरुआती दौर में काफी तंगी रही। मां की व्याख्या शब्दों में नही कर सकती। मां की बदौलत पढ़ाई के बाद ऊंचाई मिली।"डॉ. पूरी ने आगे कहा, "हजारों फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए। हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए। हजारों बून्द चाहिए एक समुद्र बनाने के लिए, पर मां अकेली काफी है बच्चों की जिंदगी बनाने के लिए।" प्रबंधक सुनील कुमार ने बताया, "परिवार की कामयाबी के लिए शिक्षा सबसे जरूरी है। इसमें बेटियों को जरूर आगे बढ़ाना चाहिए।"बच्चों ने मां पर कई गीत, नाटक और भाषण दिये। प्रशासिका प्रियंका पाल और प्रधानाचार्य अचिंतो आरके पॉल ने भी अपनी बात कही।

    

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