दक्षिण कश्मीर में फिर खड़ा हो रहा है आतंकी नेटवर्क

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दक्षिण कश्मीर में फिर खड़ा हो रहा है आतंकी नेटवर्कGaon Connection

अनंतनाग (भाषा)। घाटी में राजनीतिक रूप से सबसे संवेदनशील माना जाने वाला दक्षिण कश्मीर का इलाका तेजी से आतंकवादियों के लिए फलने फूलने की जगह बनता जा रहा है और कई युवक ऐसे संगठनों में शामिल हो रहे हैं या उनसे सहानुभूति रखने वालों में तब्दील हो रहे हैं।

आतंकवादियों का बेहतर खुफिया नेटवर्क, स्थानीय आतंकवादियों को लोगों की मदद, स्थानीय आतंकवादियों को जनता से मिलने वाली मदद, आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में होने वाला भारी जमावड़ा और मुठभेड़ों के दौरान भी सुरक्षाबलों पर पथराव इस क्षेत्र में आए दिन होने वाली घटनाएं हो गई हैं। दक्षिण कश्मीर में चार जिले अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां आते हैं। पिछले साल नवंबर में एक भीषण मुठभेड़ में प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के चीफ कमांडर अबु कासिम को मार गिराए जाने के बाद से इस क्षेत्र में तनाव पसरा हुआ है। इस क्षेत्र में पर्यटकों को आकर्षित करने वाले कई स्थल हैं लेकिन क्षेत्र की धूलभरी सड़कों से गुजरने पर आपको ‘आजादी' के समर्थन में नारे, आतंकी संगठनों के समर्थन और सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गये आतंकवादियों की शान में शब्द लिखे हुए मिल जाएंगे।

इलाके के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ‘‘मारे गये आतंकवादियों को सलामी'' देने के लिए हवा में गोलियां चलाने जैसे नये घटनाक्रम को लेकर सतर्क हैं। मारे गये आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में प्रमुख आतंकवादी शामिल हो रहे हैं और पुलिस तथा सुरक्षा बल केवल मूक दर्शक बने रहते हैं।

पिछले साल आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले 90 युवकों में से 80 प्रतिशत दक्षिण कश्मीर के ही विभिन्न जिलों के रहने वाले हैं। इस साल के आंकडों को एकत्रित किया जा रहा है लेकिन खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कुलगाम, पुलवामा और तराल क्षेत्रों के 17 युवक चुपचाप गायब होकर आतंकवादी संगठनों में शामिल हो गये। क्षेत्र के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके शोपियां जिले का हेफ शरीमल, पुलवामा जिले के समबूरा, लिलाहर, पुलवामा शहर और तराल हैं। अधिकारियों का कहना है कि सेब के बागों और घने जंगलों वाले इस इलाके में आतंकवादियों ने अपने ठिकाने बनाए हैं।

सेना का दबाव बनने पर वे भागकर स्थानीय आबादी में शामिल हो जाते हैं। अधिकारियों ने कहा कि 1990 के दशक के मध्य में ध्वस्त हुआ आतंकवादी संगठनों के खुफिया नेटवर्क के फिर से जिंदा होने की खबर है और आतंकवादियों को सुरक्षाबलों की गतिविधियों का पता चल जाता है जिससे उन्हें क्षेत्र से फरार होने में मदद मिल जाती है। अधिकारियों ने बताया कि पास के जंगल आतंकवादियों को नए भर्ती हुए लड़कों को प्रशिक्षण देने का मंच देते हैं। अधिकारियों के पास सूचना थी कि शोपियां जिले के कमला जंगल में आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है लेकिन जब छापे मारे गये तो कोई नहीं मिला। अधिकारियों ने कहा कि जिन आतंकवादियों के सिर पर इनाम घोषित है, उन्हें मारे गये आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हुए देखा जा सकता है। अधिकारियों ने तस्वीर दिखाकर बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के माजिद जरगर संगठन के एक अन्य आतंकवादी शौकत गोजरी के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे।

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्वदेशी आतंकवादियों की संख्या बढ़ना हमारे लिए बढ़ी समस्या है। इन लड़कों को स्थानीय समर्थन मिलता है और उन्हें पकड़ना मुश्किल है। जब वे किसी स्थान पर फंस भी जाते हैं तो सेना को मुठभेड़ के अलावा स्थानीय लोगों का भी सामना करना पड़ता है जो जवानों पर पथराव करना शुरु कर देते हैं।

 

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