टेक्सटाइल क्षेत्र में मिलेंगी एक करोड़ को नौकरियां

अमित सिंहअमित सिंह   8 July 2016 5:30 AM GMT

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लखनऊ। केंद्र सरकार ने कपड़ा और सिले-सिलाए वस्त्रों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र को छह हजार करोड़ रुपए का विशेष पैकेज दिया है। इस पैकेज से टेक्सटाइल क्षेत्र में एक करोड़ नई नौकरियों के अवसर मिलेंगे। साथ ही अगले वित्तीय वर्ष तक निर्यात भी बढ़ने की संभावनाएं हैं।

कपड़ा मंत्रालय की सचिव रश्मि वर्मा के मुताबिक़, ‘’टेक्सटाइल सेक्टर को 6,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज मिलने से इस क्षेत्र में एक करोड़ नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे जिससे वित्तीय साल 2016-17 में टेक्सटाइल निर्यात के 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है जो 2015-16 में 38 अरब डॉलर था।’’ नाबार्ड के जनरल मैनेजर एके सिंह के मुताबिक़, ‘’सरकार के राहत पैकेज से टेक्सटाइल सेक्टर को नई जान मिलेगी। फिलहाल टेक्सटाइल सेक्टर में करीब एक करोड़ लोग काम कर रहे हैं।”

सरकार के नए ऐलान के बाद इस सेक्टर में करीब एक करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी लेकिन सिर्फ राहत पैकेज से काम नहीं चलेगा। सरकार को इस सेक्टर के लिए अभी बहुत काम करना बाक़ी है। इस सेक्टर को और ज्यादा लागत को ठीक करने और मार्केट ओरिएंटेड बनाने की ज़रूरत है। सरकार को चाहिए की वो लेबर इंसेंटिव रिफॉर्म पैकेज का ऐलान करे।’’

पीएचडी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के रीज़नल डायरेक्टर आर के सरन के मुताबिक़, ‘’पीएचडी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स टेक्सटाइल सेक्टर को सरकार द्वारा दिए गए 6,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज का स्वागत करता है। सरकार के बूस्टर से इस सेक्टर में नई जान आ जाएगी। टेक्सटाइल सेक्टर और कपास की खेती करने वाले किसानों की हालत कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है। सरकार के इस कदम से उनका बहुत फायदा होगा। ये उत्तर प्रदेश के टेक्सटाइल सेक्टर के लिए भी एक सकारात्मक ख़बर है।’’

बिज़नेस चैंबर फिक्की के यूपी हेड अमित गुप्ता कहते हैं, ‘’टेक्सटाइल सेक्टर को सरकार के इस फैसले का आने वाले सालों में बहुत फायदा मिलेगा। उत्तर प्रदेश के लिए ये ख़बर सबसे ज्यादा अच्छी है। यूपी से बड़े पैमाने पर बाहरी मुल्कों को कपड़े निर्यात किए जाते हैं। बात अगर टेक्सटाइल की हो तो यूपी में बहुत पोटेंशियल है।’’

नए बाज़ार तलाशने की ज़रूरत

टेक्सटाइल सचिव रश्मि वर्मा के मुताबिक, ‘’भारतीय टेक्सटाइल सेक्टर को दुनियाभर में बाज़ार तलाशने की ज़रूरत है। अमेरिका और यूरोप हमेशा से भारतीय कपड़ों के लिए बड़े बाज़ार रहे हैं। हमें अपना टेक्सटाइल कारोबार रूस, ईरान और दक्षिण अमेरिका तक भी पहुंचाने की ज़रूरत है।’’

चीन के आयात रोकने से ख़ास फर्क नहीं

टेक्सटाइल सचिव ने कहा कि भले ही चीन ने भारतीय कपास का आयात कुछ वक्त के लिए रोक दिया हो लेकिन उससे कोई ख़ास फर्क़ नहीं पड़ेगा। भारतीय कपड़ा बाज़ार इस दिक्कत से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

ब्रिटेन के बाहर होने से थोड़ा असर पड़ेगा

टेक्सटाइल सचिव ने कहा, ‘’ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से बाहर होने से भारतीय कपड़ा बाज़ार पर थोड़ा फर्क़ ज़रूर पड़ेगा। भारत यूरोपीय यूनियन को करीब 10 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात करता है जिसका करीब 23 फीसदी ब्रिटेन के हिस्से में आता है, जो की करीब ढाई अरब डॉलर है। ब्रिटेन से बेहतर कारोबार जारी रखने के लिए हमारा ध्यान इस वक्त पीटीए यानि प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट की ओर है ताकि भविष्य में ब्रिटेन के साथ और अच्छे तरीके से कारोबार किया जा सके।’’ 

 

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