#स्वयंफेस्टिवल : हमने देखा यहां मदरसे हो रहे हाइटेक

Rishi MishraRishi Mishra   8 Dec 2016 2:20 PM GMT

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#स्वयंफेस्टिवल : हमने देखा यहां मदरसे हो रहे हाइटेकटिकैतगंज के मदरसा नूरुल मकातिब में स्वयं फेस्टिवल में बच्चों ने उत्साह से भाग लिया।

स्वयं डेस्क

बाराबंकी। अब मदरसों में केवल दीनी तालीम ही नहीं दी जा रही बल्कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे अब कम्प्यूटर पर हाईटेक तरीके से पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसा देखने को मिला बाराबंकी के टिकैतगंज के मदरसा नूरुल मकातिब में जहां स्वयं फेस्टिवल का आयोजन किया गया। सोमवार को मदरसा नूरुल मकातिब में स्वयं फेस्टिवल के अन्तर्गत टाटा ट्रस्ट के नालंदा फाउंडेशन की ओर से जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

स्वयं फेस्टिवल के तहत अपनी बात कहता मदरसे का एक बच्चा।

इस मौके पर बच्चों को 1090 के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही स्वयं फेस्टिवल और गाँव कनेक्शन के बारे में जानकारी दी गई और बच्चों को पात्रकारिता के बारे में जागरूक किया गया। बच्चों ने साइंस पर बनाए गए प्रोजेक्ट को प्रोजेक्टर पर वहां मौजूद लोगों को दिखाया। मदरसे के बच्चों ने वायुदाब, वायुभार, ऊष्मा चालक व कुचालक और साफ-सफाई आदि के बारे में प्रोजेक्ट तैयार किए थे।

इस मौके पर नालंदा फाउंडेशन के आईटीई विशेषज्ञ स्वामी सरन ने छात्र-छात्राओं का ज्ञान बढ़ाते हुए बताया, "आईटी तकनीक की मदद से शिक्षा का विस्तृत दायरा जाना और सीखा जा सकता है। उन्होंने बच्चों को तकनीक इस्तेमाल करके हर विषय पर गहन रिसर्च करने की जानकारी देने के साथ ही बच्चों का हौसला बढ़ाया।"

उन्होंने कहा कि आज के समय में बच्चों को तकनीक से जोड़कर उन्हें पेपरलेस तरीके से ज्ञान दिया जा सकता है। देश के कई राज्यों में ऐसा किया जा रहा है। पुस्तकालय की कमी से जूझ रहे बच्चों के लिए इंटरनेट एक वरदान है। बस जरूरत है कि वे इंटरनेट से जुड़कर विषयों का गहन अध्ययन करें और अपने ज्ञान की सीमा को स्वत: बढ़ाएं।

बच्चों ने भी कार्यक्रम में आईटीई विशेषज्ञ से कम्प्यूटर से जुड़े कई सवाल भी पूछे। वहीं स्वयं टीम ने बच्चों को मदरसों के शिक्षा के बारे में जानकारी दी और बताया कि कैसे बच्चे मदरसों में पढ़कर अपना और समाज का जीवन बदल रहे हैं। बच्चों को सुरक्षा से जुड़ी जानकारी भी दी गई।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  

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