सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता... 'तोड़ती पत्थर'.. नीलेश मिसरा की आवाज़ में
Neelesh Misra 21 Feb 2020 11:57 AM GMT
कवि और साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी की कविताएं अमर हैं। उनका जन्म 21 फरवरी 1896 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में हुआ था। हिंदी साहित्य में छाया वाद के प्रमुख स्तंभ निराला जी का 15 अक्टूबर 1961 में निधन हो गया। #PoetryProject सुनिए उनकी कविता " तोड़ती पत्थर" देश के चहेते किस्सागो नीलेश मिसरा की आवाज में।
वह तोड़ती पत्थर,देखा मैंने उसे
इलाहाबाद के पथ पर वह तोड़ती पत्थर।
कोई न छायादार पेड़
वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,
गुरु हथौड़ा हाथ, करती बार-बार प्रहार:-
सामने तरु-मालिका अट्टालिका, प्राकार।
चढ़ रही थी धूप; गर्मियों के दिन,
दिवा का तमतमाता रूप;
उठी झुलसाती हुई
लू रुई ज्यों जलती हुई भू,
गर्द चिनगीं छा गई,
प्रायः हुई दुपहर :-
वह तोड़ती पत्थर।
देखते देखा मुझे
तो एक बार उस
भवन की ओर देखा,
छिन्नतार; देखकर कोई नहीं,
देखा मुझे उस दृष्टि से
जो मार खा रोई नहीं,
सज़ा सहज सितार,
सुनी मैंने वह नहीं
जो थी सुनी झंकार।
एक क्षण के बाद
वह काँपी सुघर,
ढुलक माथे से गिरे सीकर,
लीन होते कर्म में फिर ज्यों कहा-
"मैं तोड़ती पत्थर।"
सर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
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