'मुझे सीने और पेट में दो बार गोली मारी गई फिर भी आतंकियों को मार गिराया'

कीर्ति चक्र से सम्मानित सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट राहुल माथुर दूसरे सैनिकों के लिए मिसाल है। जम्मू-कश्मीर के बटमालू के फिरदौसाबाद में गोलियां खाने के बावज़ूद उन्होंने आतंकियों को ढ़ेर कर दिया।

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17 सितंबर, 2020 की रात सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट राहुल माथुर के लिए कभी न भूलने वाली है। इस दिन देश की रक्षा के लिए उन्होंने अपनी जान की परवाह किये बगैर आतंकियों को ढ़ेर कर दिया था। उनके इस अदम्य साहस के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।

आख़िर उस रात में क्या हुआ था, राहुल बताते हैं, "मेरी छत्तीसगढ़ में पोस्टिंग रही है, फिर मैं कश्मीर में भी रहा हूँ। कश्मीर में मेरी पोस्टिंग थी और क्योंकि मेरे लिए वो एरिया नया था, थोड़ा समझने के बाद हमने ऑपरेशन शुरू कर दिए थे।"

वो आगे कहते हैं, "मैं एक बर्थडे पार्टी में था, फिर एकदम से हमें जानकारी मिली कि हमें ज़ल्द से ज़ल्द निकलना है। जैसे ही हमें कोई सूचना मिलती है हमें आधे घंटे में वहाँ पहुँचना होता है। किसी भी लोकेशन पर जाने से पहले हम प्लानिंग करते हैं कि कौन सी टीम कहाँ पर जाएगी।"


जैसे ही राहुल माथुर और उनकी टीम को पता चला वो आधी रात में ऑपरेशन के लिए निकल गए, राहुल कहते हैं, "रात के करीब एक-डेढ़ बजे हमने उस एरिया को घेर लिया और उसके बाद हम धीरे-धीरे उस एरिया को क्लियर कर रहे थे, तभी एक घर में हमें कुछ संदिग्ध लगा और उसकी लगभग छह फीट की दीवार थी, वहाँ हम दीवार फांदकर अंदर पहुँचे।"

"फिर हम पीछे के दरवाजे से घर के अंदर गए, मैं टीम को लीड कर रहा था और जैसे ही मैं कमरे से दूसरे कमरे में जाने के लिए गैलरी में गया हूँ, वैसे ही मुझे एक आतंकी दिखा। हमारा आई कॉन्टैक्ट हुआ और उसने अपना हथियार निकाला और मुझ पर फायर कर दिया, गोली मेरे सीने में लगी और मेरे पेट में, "राहुल ने आगे कहा।


लेकिन दो गोली लगने के बाद भी राहुल ने हार नहीं मानी, उन्हें झटका लगा लेकिन इससे पहले कि आतंकी उन पर दोबारा हमला करता, उन्होंने उस आतंकी पर फायर किया और वह नीचे गिर गया। लेकिन वहाँ पर एक ही आतंकी नहीं था, राहुल ने बताया जैसे ही मैं उसे ख़त्म करने के लिए आगे बढ़ रहा था, मैंने देखा कि दूसरा भी आतंकी वहीं खड़ा हुआ है, वो मुझ पर फायर करता उससे पहले मैंने उस पर फायर कर दिया।"

तब तक पूरी टीम वहाँ पहुँच गई थी, वो बाहर निकले और बेहोश हो गए। "जब मुझे होश आया तो मैं वेंटिलेटर पर था। एक महीने तक इलाज़ कराने के बाद मैं घर आया हूँ, "राहुल ने कहा।

राहुल के पिता राज सिंह माथुर भी बीएसएफ में रह चुके हैं, उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। उस घटना को याद करके वो कहते हैं, "न्यूज़ में मैंने सुना कि सीआरपीएफ ने एक एनकाउंटर किया है और तीन आतंकियों को मार गिराया है। न्यूज़ में ये भी था कि सीआरपीएफ का एक डिप्टी कमांडेंट भी घायल हो गया है। जैसे ही मैंने सुना मुझे लगा कि ये तो हमारा बेटा भी हो सकता है।"

राहुल के इस अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। कीर्ति चक्र भारत का शांति के समय वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों को असाधारण वीरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरांत भी दिया जा सकता है। वरियता में यह महावीर चक्र के बाद आता है।


"मुझे लगा था कि मेरे बेटे को मेडल तो मिलेगा ही, लेकिन कीर्ति चक्र जैसा सम्मान मिलेगा, वो हमने कभी नहीं सोचा था, "राज सिंह माथुर ने गर्व से कहा।

बेटे के इस साहस पर राहुल के पिता के साथ उनकी माँ को गर्व है, राहुल की माँ निर्मल माथुर कहती हैं, "मैं तो बोलती हूँ, ऐसे बेटे हर घर में हों, तो हमारा देश सुरक्षित रहेगा सबका मान सम्मान बढ़ेगा, देश के टुकड़े नहीं होंगे अगर हर घर में ऐसे जाबांज बेटा हो तो हमें बहुत गर्व है।"

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