पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की जैविक खेती करता है युवा किसान

Mohit SainiMohit Saini   20 Jan 2020 11:02 AM GMT

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मेरठ (उत्तर प्रदेश)। एमबीए की पढ़ाई के बाद जॉब कर रहे अंकुर को अपने पिता की तबियत खराब होने के कारण गाँव वापस आना पड़ा। गाँव आने पर शुरूआत में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन आज वो पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की जैविक खेती कर रहे हैं।

मेरठ जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर रजपुरा ब्लॉक के गेसुपुर गाँव के रहने वाले अंकुश चौहान दो एकड़ में ऑर्गेनिक शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। अंकुर बताते हैं, "एमबीए फाइनेंस का स्टूडेंट था मेरा अपना अच्छा कारोबार चल रहा था, अचानक पिताजी की तबीयत बिगड़ने के साथ मुझे अपने काम से दूर होना पड़ा। क्योंकि खेती ज्यादा थी जिसमें हमारे पिताजी ने गन्ने की बुवाई की थी उसके बाद मुझे खेती की तरफ रुख मोड़ना पड़ा।"

वो आगे कहते हैं, "मेरे ऑफिस पर कई लोग आकर हमारी जमीन लीज पर लेने की बात करते थे, हमें खेती करनी है हर किसान कोई ना कोई आकर लीज पर लेने की के लिए बात करता था। अच्छे पैसे देने की बात करते थे लेकिन मैंने सोचा जब यह किसान लीज पर जमीन लेकर खेती करते हैं। तो कितना मुनाफा होता होगा मैंने सोचा हमारी तो खुद की तरफ जमीन है तो क्यों ना खेती की जाए।"


पॉली हाउस में खेती के बारे में वो बताते हैं, "मेरा दोस्त है हरियाणा में पॉलीहाउस लगाकर खेती करता है तो मैं उसके पास जाकर जानकारी ली, कि कृषि वैज्ञानिकों से जानकारी दी। तब मैंने अपने खेत में पॉलीहाउस लगाकर शिमला मिर्च खेती करने का विचार बनाया और मैं आज ही यह कह सकता हूं। मेरठ में बड़े पैमाने पर शिमला मिर्च की खेती में करता हूं और अच्छा मुनाफा भी पा लेता हूं।"

गांव के युवा किसानों की मुझे देख कर सोच बदली

अंकुर चौहान बताते हैं कि पिछले 4 सालों से मैं अपने गांव में खेती कर रहा हूं और हर वर्ष अच्छा मुनाफा भी मुझे खेती से मिल जाता है। जो हमारे गांव के युवा किसान हैं वह मेरे फार्म पर आकर मुझसे जानकारी लेते हैं और जब मैं उन्हें बताता हूं कि यह फायदे का सौदा है तो कई लोगों ने मुझे देख कर युवा किसान खेती में जुट गए हैं और वह भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

गन्ने की खेती छोड़कर शिमला मिर्च की खेती की और हाथ बढ़ाया

अंकुर चौहान बताते हैं, "हमारा क्षेत्र गन्ना बाहुल्य क्षेत्र है क्योंकि यहां पर गन्ने की खेती ज्यादा होती है और हमारे पिताजी भी गन्ने की खेती करते थे तो समस्या आती थी। पैसों की समय से पेमेंट ना होना समय से पैसा ना मिलना तो मैंने सोचा क्यों ना ऐसी खेती की जाए जिसमें हमें अच्छा मुनाफा भी मिले और पैसा भी समय पर मिल जाए। तो मैंने शिमला मिर्च की खेती की और आज मैं बड़ा खुश हूं मुझे समय से पेमेंट भी मिल जाता है और अच्छे मुनाफा भी मिल रहा है।


फार्म को देखने दूर-दूर से आते हैं किसान

अंकुर चौहान बताते हैं कि मैं शिमला मिर्च की खेती कर रहा हूं किसान भाई दूर-दूर से मेरे फार्म पर आते हैं। और मुझसे सीखते हैं किस तरह से हम यह खेती कर सकते हैं। किस तरह से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है, लागत तो इसमें लगती है लेकिन उससे ज्यादा मुनाफा भी हम कमा लेते हैं कई लोगों ने शुरू भी की है खेती।

मैं अकेला युवा किसान डीएम से सम्मानित भी हुआ

अंकुर चौहान बताते हैं कि मैं पिछले चार-पांच सालों से खेती में हाथ आजमा रहा हूं और मुझे कृषि विभाग की ओर से सम्मानित भी हो चुका हूं। इतना ही नहीं मेरठ जनपद में रही बी चंद्रकला जिलाधिकारी ने मुझे प्रगतिशील युवा किसान से सम्मानित भी किया है।

मैंने गांव को लोगों को रोजगार भी दिया

अंकुर चौहान बताते हैं की वैसे तो हमारा गांव खुशहाल और संपन्न है लेकिन अपने फार्म पर कुछ महिलाओं को मैंने रोजगार दिया है। दस-बारह महिलाएं जो मेरे फार्म पर काम करती हैं और वह भी अब शिमला मिर्च की खेती करना सीख चुकी हैं।

10 लाख रुपए की प्रतिवर्ष कमा लेते हैं

अंकुर चौहान आगे बताते हैं कि हम इस खेती से प्रति वर्ष 10 लाख रुपए की कमाई कर लेते हैं जो हमारे लिए काफी है। मैं तो कहूंगा युवाओं किसानों के लिए कि वह वैज्ञानिक तरीके से खेती करें अच्छा मुनाफा भी है, समय भी कम लगता है, मेहनत भी कम है।

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