फरवरी-मार्च के महीने में क्यों गिर रही है आकाशीय बिजली ?

फरवरी-मार्च के महीने में आकाशीय बिजली गिरने से उत्तर प्रदेश में कई मौतें हो गईं, आखिर क्यों बढ़ रहीं हैं बिजली गिरने की घटनाएँ और इससे कैसे बचा जा सकता है। पढ़िए गाँव कनेक्शन की ग्राउंड रिपोर्ट ..

Brijendra DubeyBrijendra Dubey   12 March 2024 2:00 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)

तेरह फरवरी, दोपहर तीन बजे, हर दिन की तरह ही उस दिन भी उषा जंगल से लकड़ी लेने गईं थीं; लेकिन उस दिन जो हुआ उनका परिवार कभी नहीं भूल पाएगा।

दोपहर में अचानक से गरज के साथ बारिश होने लगी, बारिश से बचने के लिए 35 साल की उषा और उनके साथ गए शिव प्रसाद, सरोज, इंद्रावती और कलनी बाँस के झुरमुट के नीचे बैठ गए। तभी उनके ऊपर आकाशीय बिजली गिरी और वहीं झुलसकर ऊषा की दर्दनाक मौत हो गई; बाकी लोग भी झुलस गए।

मिर्जापुर जिले के पटेहरा कला ब्लॉक के पटेहरा फारम मौजा गाँव में हुए इस दर्दनाक हादसे से अभी भी लोग सदमे में हैं।


ऊषा की माँ गाँव कनेक्शन से कहती हैं, "तकलीफ बर्दाश्त नहीं हो रही है; ऊषा जब छोटी थी तभी उसके पिता छोड़कर चले गए थे, बहुत दुख झेलकर तीनों बच्चों को खिलाया-पिलाया, जिंदा रखा, अब हमें ऊषा भी छोड़कर चली गई।" इतना कहकर 57 साल की सुदेवी दहाड़ मारकर रोने लगीं।

आकाशीय बिजली गिरने की घटना आमतौर पर मानसून के सीजन में होती है, लेकिन मिर्जापुर और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फरवरी-मार्च के महीने में बिजली गिरने की घटनाएँ हुई हैं। 13 फरवरी को मिर्जापुर में उषा के साथ तीन और लोगों की मौत हो गईं थी। वहीं मार्च महीने में भी बिजली गिरने से लखीमपुर खीरी, हरदोई, सीतापुर, शाहजहाँपुर में छह लोगों की मौत हो गई।

मुश्किरा गाँव में रहने वाली ऊषा की बड़ी बहन सरोज देवी भी उस दिन झुलस गईं थीं, वो गाँव कनेक्शन से कहती हैं, "जंगल पहुँचकर जल्दी-जल्दी लकड़ी काटने लगे; 5-5 गट्ठल लकड़ी काटकर रख दिए, अचानक से तेज़ हवाएँ तूफान में बदल गईं, बादल गरज रहे थे, बिजली कड़कने लगी और बारिश शुरू हो गई, हम लोग छुपने के लिए बाँस की झाड़ियों में सुरक्षित रास्ता तलाशने लगे।"


"जैसे ही वहाँ बैठे तभी अचानक एक तेज़ चमक हुई और हम बेहोश हो गए, तीन घंटे बाद जब होश आया तो दर्द के मारे हमारे होश उड़ गए; अगले पल जो मैंने देखा, वह काफी भयानक था, मेरी बहन ऊषा मेरी गोद में मौत की नींद सो रही थी बाकी लोग बेहोशी की हालत में दर्द से बुरी तरह कराह रहे थे, सबका शरीर जल चुका था।" उस दिन को याद करके सरोज ने कहा।

इन राज्यों में अधिक हुई बिजली गिरने की घटनाएँ

वार्षिक लाइटिंग रिपोर्ट 2023 के अनुसार कई ऐसे राज्य हैं जहाँ बिजली गिरने में 300 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। मध्य भारतीय राज्य जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र बिजली गिरने और मृत्यु दर दोनों में वृद्धि के साथ सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।

मिर्जापुर जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जिले में पिछले पाँच वर्षों में अब तक कुल 132 लोगों की मौतें हुई हैं। इस साल फरवरी महीने में अकेले मिर्जापुर में इस तरह 4 लोगों की जान चली गई। मिर्जापुर में हर साल बिजली गिरने से औसतन 30 लोगों की जान जा रही है और ये घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं।

मिर्जापुर में पिछले पाँच साल के आंकड़े देखें तो साल 2019 में कुल 30 मौतें हुई, 2020 में 28 मौतें, 2021 में 23 मौतें, 2022 में 24 मौतें हुई, साल 2023 में अब तक 23 मौतें हुई। वर्ष 2024 के फरवरी माह में 04 लोगों की इससे जान गई।

क्यों बढ़ रही हैं बिजली गिरने की घटनाएँ

आखिर फरवरी-मार्च के महीने में बिजली गिरने की घटनाएँ की क्यों बढ़ रहीं हैं, इस बारे में गाँव कनेक्शन ने महाराष्ट्र के पुणे में स्थित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ योगेश तिवारी से बात की।

डॉ. योगेश तिवारी कहते हैं, "फरवरी महीने में आकाशीय बिजली का गिरना तो बहुत आकस्मिक है; ऐसा कभी नहीं होता है, ज़्यादातर आकाशीय बिजली गिरने का समय मानसून जब आता है तभी गिरती है, वह समय मार्च माह के बाद ही शुरू होता है अप्रैल माह के बाद से गिरती है।"

वार्षिक लाइटिंग रिपोर्ट-2023 के अनुसार देश भर में 70 फीसदी जन हानियों का मुख्य कारण आकाशीय बिजली है। बारिश के मौसम में पेड़ की छांव में खड़े रहना, वर्षा संभावित आकाशीय बिजली के मौसम में जब लोग खुले खेत में फंस जाते हैं या बिजली के खंभों साधारण पोल के बगल में खड़े रहते हैं। खुले में साइकिल या बाइक पर सवार रहते हैं या किसी तालाब इत्यादि के बगल में रहते हैं तब वह आकाशीय विद्युत के शिकार हो जाते हैं।


डॉ. योगेश आगे कहते हैं, "मिर्जापुर सोनभद्र ही ऐसा नहीं है, महाराष्ट्र के कुछ ऐसे इलाके आते हैं जहाँ आकाशीय बिजली गिरती है; ज़्यादातर किसी इलाके में आकाशीय बिजली गिरती है तो उस इलाके में शोध करने की ज़रूरत है, वहाँ का 20 वर्ष पुराना आंकड़ा देखना पड़ता है अगर पहले ऐसी घटना नहीं हुई है, तो वह एक आकस्मिक घटना है।"

बिजली गिरने की घटनाओं को वो जलवायु परिवर्तन को ज़िम्मेदार बताते हुए कहते हैं, "देखिए पर्यावरण तो समय के साथ बिल्कुल बदल रहा है , तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है; हमारे देश में मानसून में बदलाव देखा जा रहा है ठंड के समय गर्मी, मानसून के समय गर्मी, गर्मी के समय बर्फबारी, यह मानसून के समय का बदलाव हो रहा है।"

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नई रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में प्राकृतिक कारणों से होने वाली 8,060 आकस्मिक मौतों में से 35.8 प्रतिशत मौतें आकाशीय बिजली गिरने से हुई हैं।

मिर्जापुर के अपर जिलाधिकारी शिवप्रताप शुक्ला ने गाँव कनेक्शन को बताया कि बिजली के खिलाफ एहतियाती उपायों के बारे में ग्रामीण निवासियों को शिक्षित करने के लिए सरकार जागरूकता अभियान चलाने के लिए मास मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करती है।


शुक्ला ने कहा, "बिजली गिरने से मड़िहान और चुनार तहसील से 4 मौतों की पुष्टि हुई है, प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत हम मृतकों के परिजनों को चार लाख रुपये मुआवजा देने की प्रक्रिया में हैं, हम बिजली से बचाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए रोज़ नियमित रूप से रेडियो पर कार्यक्रम प्रसारित करते हैं।"

क्यों गिरती है आसमान से बिजली?

आसमान में बिजली हवा और जल कणों के बीच घर्षण की वजह से पैदा होती है। धनात्मक और ऋणात्मक यानी अपोजिट एनर्जी के बादल हवा में उमड़ते-घुमड़ते हुए जब एक-दूसरे के पास आते हैं तो टकराने (घर्षण) से उच्च शक्ति की बिजली उत्पन्न होती है। इससे दोनों तरह के बादलों के बीच हवा में बिजली पैदा होती है और रोशनी की तेज़ चमक पैदा होती है जो कई बार धरती पर रहने वाले लोगों के लिए काफी ख़तरनाक साबित हो जाती है।

बिजली गिरने के पूर्वानुमान के लिए मोबाइल ऐप

आईएमडी के साथ-साथ बिहार सरकार सहित कई राज्य सरकारें, एक निश्चित जगहों पर बिजली गिरने के खतरे के बारे में जनता को सूचित करने के लिए मोबाइल फोन एप्लीकेशन लेकर आई हैं।

2018 में, आईएमडी ने 'दामिनी लाइटिंग अलर्ट' मोबाइल फोन ऐप लॉन्च किया था। इसका इस्तेमाल यूजर के आस-पास की जगहों पर बिजली के बारे में चेतावनी देने के लिए किया जाता है। एप यूजर अपने आसपास के क्षेत्रों को दर्शाने वाले मानचित्र पर अगले पाँच मिनट, 10 मिनट और 15 मिनट में गिरने वाली बिजली की जानकारी ले सकते हैं।

इसी तरह बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने जुलाई, 2020 में 'इन्द्रवज्र' नाम से एक एप्लिकेशन लॉन्च किया था। दामिनी एप्लिकेशन से अलग, बिहार सरकार का ऐप उपयोगकर्ता को सचेत करने के लिए फ़ोन की रिंगटोन का उपयोग करके बिजली गिरने के ख़तरे के बारे में सूचित करता है।

इसके साथ ही बिहार के आईआईटी पटना में आकाशीय बिजली और अन्य मौसमी संबंधी जानकारी को लेकर नीतीश (नोवेल इनिशिएटिव टेक्नोलॉजिकल इंटरवेंशन फॉर सेफ्टी ऑफ ह्यूमन) नामक उपकरण लॉन्च किया गया है।

#lightning #uttarpradesh 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.