आपको भी ससुराल, ऑफिस या घर में परेशान किया जाता है तो यहाँ कर सकती हैं संपर्क

किसी महिला को घर, ऑफिस या काम पर आते-जाते परेशान किया जाता है, लेकिन वो समझ नहीं पाती कि कहाँ और किसके पास मदद के लिए जाए, ऐसे में सखी - वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी अर्चना सिंह जानकारी दे रहीं हैं कि कैसे उस महिला की मदद हो सकती है।

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अक्सर कुछ महिलाएँ घरेलू हिंसा से पीड़ित होने पर तय नहीं कर पाती हैं कि क्या करे? क्योंकि उसे मायके में बोला गया है कि हम आपको वापस नहीं रख पाएँगे और ससुराल में हिंसा का शिकार होते हुए भी वहाँ रहना पड़ता है। ऐसी महिलाओं की मदद के लिए देश भर में चलाए जा रहे हैं सखी वन स्टॉप सेंटर। यहाँ पीड़िता को हर तरह की मदद मिलती है।

यहाँ एक ही छत के नीचे पीड़ित महिला को वो सारी सुविधाएँ दी जाती हैं, जिसकी उसे तुरंत ज़रूरत होती है। जैसे कि रेस्क्यू करना, मेडिकल सहायता, कानूनी सलाह, काउंसलिंग और साथ ही कुछ दिनों के लिए रखा भी जाता है, जब तक उसकी पूरी मदद नहीं हो जाती है।

यहाँ जो केस आते हैं, उनमें हिंसा से पीड़ित महिला, वो चाहे घरेलू हिंसा हो या छेड़खानी या फिर दहेज को लेकर प्रताड़ना, यही नहीं कार्यस्थल पर भी अगर हिंसा हो रही है तो महिलाएँ यहाँ आ सकती हैं।


किसी भी तरह की महिला के साथ हिंसा हो या वो निराश्रित है या लावारिस है, मानसिक रूप से विक्षिप्त, ऐसी महिलाओं की भी पूरी मदद की जाती है।

पुलिस थाने जाने की ज़रूरत नहीं

कई बार महिलाएँ शिकायत इसलिए भी दर्ज नहीं कराती हैं, क्योंकि उनके अंदर पुलिस को लेकर डर रहता है। कई बार थाने में ऐसी रिपोर्ट लिखी जाती है, जिससे केस कमजोर हो जाता है।

वन स्टॉप सेंटर की मदद से महिलाओं की विधि सहायता भी की जाती है, जैसे कि वो केस की ड्राफ्टिंग कैसे करें। ऐसी ही कई तरह की मदद की जाती है। और इसमें महिलाएँ भी कानूनी सहायता चाहती हैं खास कर तब जब कोर्ट के जरिए उनका मुकदमा पंजीकृत हो गया हो। उसके जरिए वो कोर्ट में सहायता चाहती हैं वो भी दिया जाता है। अगर मुकदमा दर्ज करने से पहले वे कुछ पूछताछ करना चाहती हैं, तो उसकी भी पूरी जानकारी उन्हें दी जाती हैं।

बिना नाम बताए भी दर्ज करा सकती हैं शिकायत

कोई पीड़िता अगर अपना नाम नहीं सामने लाना चाहती हैं तो इसमें भी मदद की जाती है। पॉक्सो में नाबालिग पीड़िता के साथ तो यह नियम ही है तो उसका नाम हम ले ही नहीं सकते हैं या कहीं अंकित करके नहीं भेजना होता है तो एक्स एक्स करके ही हम डालते हैं।

अगर बालिग महिला है और वो नहीं चाहती है कि उसका नाम लिया जाए तो सभी हेल्प लाइन नम्बर उसका नाम गोपनीय रखते हैं।


यही कोशिश हम वन स्टाप सेंटर में भी करते हैं कि अगर डायरेक्ट हमारे पास 181 के ज़रिए कोई आता है तो हम कॉलर का नाम गोपनीय रखते हैं।

पीड़िता को सिखाए जाते हैं रोज़गार से जुड़े काम

अगर पीड़िता वापस अपने घर नहीं जाना चाहती है तो ऐसी स्थिति में उसको महिला शरणालय में हम स्थायी आश्रय दिलाते हैं। साथ ही अगर महिलाएँ कुछ काम करना चाहती हैं तो कौशल विकास मिशन के तहत उन्हें काम भी सिखाए जाते हैं। नौकरी से जुड़ गयीं हैं तो इससे भी वो अपना खर्च निकाल सकती हैं।

अगर केस न करना चाहे तो क्या करें

कई बार महिला घरेलू हिंसा होने पर मुकदमा दर्ज़ नहीं करना चाहती हैं, तब भी वो अपनी चोट या अपने साथ हुई हिंसा को सबूत के तौर पर रखना चाहती हैं तब भी वो वन स्टॉप सेंटर आ सकती हैं। बस उनका मेडिकल कराकर रिपोर्ट रख ली जाती है, जिससे वो आगे कभी भी केस दर्ज़ करा सकती हैं, यही सबूत कोर्ट में भी काम आते हैं।

मानसिक रूप से पीड़ित महिलाओं की होती है काउंसलिंग

वन स्टॉप सेंटर पर मनोवैज्ञानिक महिलाओं की काउंसलिंग करते हैं, जिससे वो आगे बढ़ पाएँ।

अगर आप भी पीड़ित हैं या आपके जानने में कोई इस तरह की समस्या से जूझ रहा है तो वन स्टॉप सेंटर के टोल फ्री नंबर 181 पर संपर्क कर सकता है।

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