जैविक तरीके से चीकू और लोकाट की खेती करता है किसान, लॉकडाउन में भी हो रही कमाई

Mohit SainiMohit Saini   3 May 2020 7:58 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

मेरठ (उत्तर प्रदेश)। जब लॉकडाउन में ज्यादातर किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, जैविक तरीके से चीकू और लोकाट की खेती करने वाले किसान विजयपाल की बाग से लोग फल खरीदकर ले जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद मुख्यालय से लगभग 13 किलोमीटर दूर डोरली गांव के रहने वाले विजयपाल पिछले आठ साल से चीकू व लोकाट की बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं। वो कहते हैं, "पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर मैं एक अकेला किसान हूं जो चीकू व लोकाट की खेती कर रहा हूं, मैंने 15 बीघा में चीकू व लोकाट के पेड़ लगाए हुए हैं, जिसमें मेरा फल अन्य राज्यो में जाता हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते अपने फल को फर्म के बाहर ही रख कर बेचना पड़ रहा, नुकसान है लेकिन इतना नही हैं क्योंकि हमारा फल इस लिए बिक रहा हैं यहां लोग आते हैं खुद ही तोड़ कर ले जाते हैं ।

अधिकतर फोन पर ही मिलते हैं ऑर्डर

विजयपाल आगे बताते हैं कि हमें अधिकतर फोन पर ही आर्डर मिलते हैं, क्योंकि हमारा फल थोड़ा महंगा इसलिए भी है मेहनत ज्यादा लगती है और साफ व स्वच्छ प्राकृतिक चीकू व लोकाट है, हम कोई भी बाहर का उर्वरक नहीं डालते हैं जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं।


अपने फार्म पर पांच से सात मजदूरों को दिया है रोजगार भी

विजयपाल आगे बताते हैं कि हमारा 15 बीघा का फार्म है, जिसमें चीकू की पैदावार होती है, उसकी देखरेख करने के लिए हमने गांव की कुछ महिलाएं व पुरुष जिसमें 5 से 7 लोग को रोजगार दे रखा है। उनका घर का खर्च व रोजी-रोटी अच्छी चलती है, आज वह भी सोचते हैं कि अपने जमीन में हम भी चीकू की बागवानी कर लें।

देश के नहीं बल्कि विदेशो तक के किसान लोग खेती देखने आते हैं

विजयपाल आगे बताते हैं कि हमारी खेती को देश के अन्य राज्यों के किसान हमारी बागवानी को देखने आते हैं और सलाह लेते हैं कि किस प्रकार चीकू की खेती की जाती है। इतना ही नहीं विदेशों के बड़े किसान भी मेरे फार्म पर कई बार बागवानी को देखने आए हैं और वह सलाह लेते हैं लेकिन हमें अंग्रेजी तो नहीं आती जो उनके साथ आते है वो बताते हैं जिससे हमें काफी अच्छा लगता है।


बागवानी में करते हैं सहफसली खेती

विजयपाल आगे बताते हैं कि हमने अपनी बागवानी में चीकू व लोकाट के बड़े पैमाने पर पौधे लगाए हैं। उसके बीच हमने 30 से अधिक आंवले के पेड़ भी लगाए हैं, जिससे हमारे 12 महीने कुछ ना कुछ चलता रहता है। हमने खेती को न अपनाकर बागवानी को अपनाया है, जिससे अच्छा मुनाफा पा लेते हैं और मेहनत भी कम लगती है।

लॉकडाउन का असर पड़ा लेकिन उतना नही

विजयपाल आगे बताते हैं कि कोरोना वायरस के चलते देश में लॉकडाउन है और लोग परेशानी से जूझ भी रहे हैं। किसान पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं लेकिन अगर हम अपने बागवानी की बात करें तो हमारा फल मंडी तक पहुंच रहा है और अच्छा पैसा भी मिल रहा है क्योंकि अधिकतर हमने अपने फल को अपने फार्म के बाहर ही बेचना शुरू कर दिया और आसपास के लोग हमारे फार्म से फल खरीद कर ले जाते हैं।

हर साल पांच से सात लाख की हो जाती है कमाई

विजयपाल आगे कमाई की बात करते हुए बताते हैं कि हम चीकू व लोकाट आंवले की बात करें तो साल भर में 5 से 7 लाख रुपए आराम से कमा लेते हैं। और यह हमारे लिए काफी है इसमें हमारा कुछ खर्चा नहीं लगता जैविक खाद लगता है वह हमारी देसी गाय से तैयार हो जाता है। तो ज्यादा खर्चा नहीं आता लाने और ले जाने का ही खर्च आता है बाकी तो सब मुनाफा ही है।

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.