मधुमक्खी पालन शुरू करने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

Divendra Singh | Apr 20, 2019, 11:37 IST
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लखनऊ। पिछले कुछ वर्षों में मधुमक्खी पालन का व्यवसाय तेजी से बढ़ा है, इसकी सबसे खास बात ये होती है, शहद अलावा मोम, पराग जैसे दूसरे उत्पादों से भी मधुमक्खी पालक अच्छा मुनाफा कमा सकता है।

मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ निमित कुमार सिंह बताते हैं, "ये एक भूमिहीन व्यवसाय होता है, इसके लिए किसान को जमीन की अवश्यकता ही नहीं है, सबसे अच्छी बात इसकी ये होती है, इसको शुरू करने के लिए बहुत ज्यादा पैसों की भी जरूरत नहीं पड़ती है।"

वो आगे कहते हैं, "अगर कोई किसान मधुमक्खी पालन शुरु करना चाहता है तो एक बक्से से भी शुरू कर सकता है। एक बक्से में खर्च तीन हजार तक आता है। अगर किसान ने अपने गाँव या खेत के मेड़ पर एक बक्सा रखा हुआ है तो एक बक्से से छह महीने में औसतन पचास किलो शहद मिल जाता है।।

शहद के साथ ही दूसरे उत्पाद

इसके साथ ही शहद के अलावा दूसरे पदार्थ जैसे मोम, पराग, रायल जेली, वी वेनम से भी मुनाफा कमा सकता है। क्योंकि पराग पर काम करना तो बहुत आसान होता है। इसके लिए एक ट्रे लगाना होता है, जिसका दाम दो-तीन सौ रुपए होता है। अगर आप पूरा राइप्ड हनी निकालते हैं तो आपको वैक्स मिलना ही मिलना है।

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मौसम के साथ करें तैयारी

मार्च के बाद जब फूल खत्म हो जाते हैं, तब बॉक्स का माइग्रेशन करना होता है, ऐसे समय ये ध्यान देना है कि कहां बक्से ले जा रहे हैं। जैसे की इस समय शीशम, लीची में फूल आए होते हैं। इसके लिए देखना होता है कि इन सबकी व्यवस्था सबसे ज्यादा कहां हो सकती है, जैसे कि लीची के बिहार होता है। इसके लिए अगर हम अपने बक्से को ले जाते हैं तो जो हमारा फील्ड सर्वे होता है वो अच्छी तरह से होना चाहिए। और सबसे जरूरी बात कि हमें रातों-रात माइग्रेशन करना होता है, ताकि उसमें कोई गलतियां न हों, अगर हमने जरा सी भी गलती की तो सारी-सारी मधुमक्खियां मर जाएंगी।

वहां पर जाने के बाद जब हम लीची का शहद निकालते हैं, तो ये ध्यान देना चाहिए कि उस समय मौसम काफी चेंज होता है। इसलिए जब हम लीची का शहद निकालते हैं तो ये ध्यान देना चाहिए कि जब हम शहद निकाल रहे होते हैं तो मौसम काफी बदल रहा होता है। कई बार जब हम शहद निकालते हैं तो ये ध्यान दें कि मौसम बदल रहा है, आपने सारा शहद निकाल लिया तो मधुमक्खियों के खाने के लिए शहद ही बचेगा।

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मधुमक्खी पालन शुरू करने से पहले करें एक साल की ट्रेनिंग

अगर कोई नया किसान मधुमक्खी पालन करने जा रहा उसे एक साल की ट्रेनिंग जरूर लेनी चाहिए। दो-तीन या चार दिन की ट्रेनिंग से कोई नहीं सीख सकता है, क्योंकि हर एक मौसम में मधुमक्खी पालन के तरीके अलग-अलग होते हैं। जैसे कि बरसात में अलग, ठंड में अलग, गर्मी के मौसम में अलग जो शहद निकालने की प्रक्रिया होती है उसमें अलग होता है। तो इसी लिए मेरा ये कहना है कि अगर कोई किसान कामर्शियल तरीके से मधुमक्खी पालन करना चाहता है तो एक साल की ट्रेनिंग जरूर लेनी चाहिए। अगर एक-दो बक्से अपने खेत में रखकर वो सीख रहा है तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर सौ बक्से डेढ़ सौ बक्से तो एक साल सीख ले तभी ये काम शुरू करें।

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