हनुमानगढ़ी के लड्डू को मिल गया जीआईटैग, अब नहीं बेच सकेंगे किसी और शहर में यहाँ के ख़ास लड्डू

अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर के लड्डुओं को भी जीआई टैग मिल गया है। जीआई टैग मिलने के बाद यहाँ के दुकानदारों की उम्मीदें बढ़ गईं हैं।

Manvendra SinghManvendra Singh   11 Jan 2024 2:10 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

इन दिनों देश ही नहीं दुनिया भर में राम मंदिर चर्चा का विषय है, ऐसे में अयोध्या के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है।

यहाँ के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर में चढ़ाए जाने वाले लड्डू को जीआई टैग मिल गया है।

जीआई टैग यानी 'ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग'। जिस भी वस्तु शिल्प या कला को ये टैग मिलता है इसका सीधा मतलब होता है उस चीज़, कला या शिल्प की उत्पत्ति उसी जगह से हुई है। इस टैग के मिलने से अयोध्या के हनुमानगढ़ी के लड्डुओं को अपनी नयी पहचान मिल गई है; और इस बात से अयोध्या के स्थानीय लोग बेहद खुश हैं।

हनुमानगढ़ी मंदिर की सीढ़ियों के नीचे एक लाइन से लड्डू की दुकानें आपको मिल जाएँगी। इन्हीं में से है 75 साल पुरानी दुकान प्रभात स्वीट्स, जो 42 वर्षीय निशांत की है। जीआई टैग मिलने की ख़बर से निशांत बहुत खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।


निशांत गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "हमको इस फैसले को सुनकर बहुत अच्छा लग रहा है, कम से कम यहाँ की ये विशेषता लोगों के सामने उजागर हुई; पब्लिक यहाँ पर आएगी तो प्रसाद के रूप में चाहेगी लड्डू मिले। जैसे आप वैष्णो देवी के मंदिर जाएँ तो वहाँ प्रसाद के रूप में अख़रोट और नारियल मिलता है। इसी तरह अयोध्या के प्रसाद को भी एक पहचान मिली है।"

वो आगे कहते हैं, "सरकार ने जीआई टैग देकर बहुत अच्छा किया; प्रसाद के रूप में बेसन का लड्डू ही यहाँ की मुख्य मान्यता है जो शुरू से है। हनुमान जी को तो लड्डू ही चढ़ना है, इसके अलावा आप उनको चाहे जो चढ़ा दीजिए, चाहे मेवा चढ़ा दीजिए या फिर सोना चढ़ा दीजिए लेकिन प्रिय उनका लड्डू ही है। आप लड्डू चढ़ाइए, चाहे चीनी का चढ़ाइए, पर लड्डू ही चढ़ना चाहिए।"

"अयोध्या का लड्डू आप प्रसाद के रूप में ले जाएँगे तो अगर इसे पानी से बचा ले तो ये जल्दी ख़राब नहीं होता है; इसको फ्रीज़ की ज़रूरत नहीं है, बस आप इसको पानी से बचा के रखना होता है। बाकी सारी मिठाईया तो हफ्ता, दो दिन रखो तो ख़राब हो जाती हैं। लड्डू अपनी पारम्परिक पुरातन मिठाई है। अन्न से जो मिठाई बनती है वो अपने देश की पुरातन मिठाई है।" निशांत ने आगे कहा।


इससे पहले तिरुपति बालाजी के प्रसाद लड्डू को जीआई टैग मिला हुआ है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की चूड़ियाँ, बनारसी साड़ी, बनारसी पान,कन्नौज के इत्र को भी जीआई टैग मिला हुआ है।

75 साल से भी पुरानी श्री नैवेद्यम प्रसादम के नाम से चलने वाली दुकान वैशाली के पिता जी चलाते आ रहे हैं। 25 साल की वैशाली गाँव कनेक्शन से कहती हैं, "भगवान राम की कृपा से अब हनुमानगढ़ी के पास मिठाइयों और प्रसाद की दुकानों पर रौनक पहले से बढ़ने वाली है; अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से पहले ही लोगों का आना यहाँ शुरू हो गया है, जिससे लड्डुओं की बिक्री पर भी बहुत असर पड़ा है। वैसे तो यहाँ दुकाने काफी ज़्यादा हैं, फिर भी मेरे यहाँ दिन भर में 25 किलो से ज़्यादा लड्डू बिक जाते हैं। प्रसाद के रूप में सबसे ज़्यादा यही लड्डू लोकप्रिय है।"

अगर हम जीआई टैग्स की बात करें तो उत्तर प्रदेश इसमें देश में दूसरे नंबर पर है; जहाँ कुल 48 जीआई टैग्स हैं। तमिलनाडु अभी भी 55 जीआई टैग्स के साथ पहले स्थान पर है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या की हनुमानगढ़ी के लड्डुओं को मिला जीआई टैग प्रदेश के टैग्स के आँकड़ों में एक अंक का इज़ाफ़ा और किया है।

#ayodhya #Ram mandir 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.