डीजे वाले युग में शादियां ऐसी भी होती हैं...

Divendra SinghDivendra Singh   11 March 2019 7:33 AM GMT

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नारायणपुर (छत्तीसगढ़)। अभी तक आपने शादियों में बैंड और डीजे की धुनों पर नाचते-गाते लोगों को देखा होगा, लेकिन ये शादी बिल्कुल अलग है।

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में आज भी आदिवासी परिवारों में शादियां परंपरागत तरीके से ही होती हैं। शादी के कई दिन पहले ही तैयारी शुरू हो जाती है। नारायणपुर के प्रमोद पोटाई गोंड शादी के बारे में बताते हैं, "बस्तर में शादी-विवाह की परंपरा बहुत ही अनोखी है, क्योंकि बस्तर के गोंड आदिवासी प्रकृति से जुड़े हुए हैं वो शादी-विवाह का रस्मों-रिवाज करते आ रहे हैं।"


गोंड जाति के लोगों ने नाचना-गाना प्रकृति से सीखा है, यहां पर जन्म, विवाह, मरण कोई भी पर्व या अनुष्ठान होता है बिना संगीज अधूरा होता है। इनके विवाह संस्कार में तो गोंडीयन संगीत की धूम रहती है।

इस बारे में प्रमोद पोटाई कहते हैं, "शादी हो और छठी हो या फिर मरनी हो, तीनों कार्यक्रमों में एक प्रकृति के अनुकूल उनका रस्मों रिवाज होता है।"

विवाह में एक महूए का छोटा पौधा मंडप के बीचों-बीच गाड़ दिया जाता है, उसके बाद वहां लड़का और लड़की पक्ष के लोग मिलकर सारे रस्म-रिवाज करते हैं।


गोंड आदिवासी अपने सारे रस्म रिवाज उल्टी दिशा में करते हैं। "स्वागत से लेकर नाच-गान तक उसका परंपरा और विधि विधान के साथ करते हैं। एंटी क्लॉकवाइज जो भी है घूमने का परिक्रमा करने का ये सबसे मजबूत एक परंपरा है जोकि प्रकृति का नियम निर्वहन करते हुए जीवन से लेकर मृत्यू तक अपनी पंरपरा को बनाए रखते हैं, "प्रमोद पोटाई ने आगे बताया।

हंसी-मजाक के साथ होते हैं सारे कार्यकम

मंडप बनाते समय दोनों पक्ष एक दूसरे के ऊपर लाल चीटिंया फेंकते हैं, जिसका वैज्ञानिक महत्व भी होता है।

      

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