फसल खराब होने पर बुंदेलखंड के किसान ने की आत्महत्या, बेटा बोला, "शायद मैं भी यही कदम उठाऊं"
Arvind Singh Parmar | Oct 14, 2019, 10:17 IST
ललितपुर(उत्तर प्रदेश)। घर पर बैंक से आयी नोटिस और बारिश से बर्बाद हुई फसल ने किसान को इस कदर तोड़ दिया कि चारों तरफ कर्ज से घिरे साठ वर्षीय रतन राजपूत ने बीते छह अक्टूबर को कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली।
बुंदेलखंड के ललितपुर जिला मुख्यालय से लगभग 17 किमी दूर दक्षिण-पूर्व दिशा में विरधा ब्लॉक के ऐरावनी गाँव के किसान रतन राजपूत पर बैंक के केसीसी कर्ज के साथ ट्रैक्टर और आपसी पहचान वालों से 10 लाख से ज्यादा कर्ज था। उड़द की फसल की देखरेख और सुरक्षा को लेकर हाड़तोड़ मेहनत की। अच्छी फसल से रतन सिंह को भरोसा था कि कुछ तो कर्ज चुका पाएंगे, ट्रैक्टर की किस्ते भर पाएंगे। अत्यधिक बारिश से पूरी फसल नष्ट हो गई।
करीब डेढ़ वर्ष पहले यह सोचकर ट्रैक्टर खरीदा था कि अच्छी खेती बाड़ी करके बैक का कर्जा चुका पाएंगे। इस बार का जिक्र करते हुए रतन राजपूत के एकलौते बेटे गब्बर राजपूत (25 वर्ष) कहते हैं, "पापा के नाम दो लाख का केसीसी, मम्मी के नाम साढ़े तीन लाख का केसीसी, मेरे नाम ट्रैक्टर का 4.40 लाख का कर्ज (प्राईवेट फाईनेंस) से है, आपसी वालों से एक लाख का कर्जा सब मिलाकर ग्यारह लाख के करीब कर्ज हैं। आशा थी कि इस साल उड़द की अच्छी पैदावार से कर्ज चुकाने में सहुलियत मिलेगी, लेकिन आखिरी बारिश ने सब चौपट कर दिया, मेरा घर बर्बाद हो गया।"
मृतक किसान रतन राजपूत की पत्नि शीलन दुलैया
रतन सिंह की तरह जिले के अधिकतर किसानों ने 1.80 लाख हेक्टेयर में उड़द की फसल बोई थी, जो बारिश से पहले काफी अच्छी थी। किसानों ने खरपतवार, कीटनाशक, फल-फूल की दवा फसल में डाली, अन्ना (छुट्टा जानवरों) से फसल बचाने के लिए दिन-रात उड़द की रखवाली की। लेकिन सितम्बर माह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक हुई बेवक्त बारिश ने दलहनी (उड़द, सोयाबीन, तिलहन) जैसी महत्वपूर्ण फसलें बर्बाद हो गई। उड़द की फलिया सड़ने के साथ खेतों में टपकने लगी, कईयों ने खडे फसल जोत दी कईयों किसानों ने अन्ना जानवरों के हवाले कर दी। किसानों को तमाम खर्च और अगली फसल की तैयारी किसी चुनौती से कम नहीं है। किसान कर्ज से छुटकारा पाने के बजाए फिर उसी कर्ज में रतन राजपूत की आत्महत्या के बाद उनके लड़के गब्बर राजपूत की तरह फंसे हैं।
भारत में आत्महत्याओं के आंकड़ों को दर्ज करने वाली संस्था नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में पूरे देश में 11172, वर्ष 2014 में 12,360 और 2015 में 12,602 किसानों ने जान दी। जिसमें 8,002 किसान और 4,595 खेतिहर मजदूर शामिल थे।
लोन लेकर खरीदा गया ट्रैक्टर
पहले फसल अच्छी थीं, अधिक पानी बरसने से उड़द खराब हो गयी। सभी खेतों के एक जैसे हाल की बात करते हुए गब्बर बताते हैं, "15 दिन से पापा परेशान थे, वो कह रहे थे दो एकड़ जमीन बेचकर कर्ज चुका देंगे। समय पर ग्राहक नहीं मिला इसी बीच बैंक का वसूली नोटिस आ गया, कर्ज के दबाब में पापा ने कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली। कर्ज का बोझ हमारे सर पर आ गया, छह एकड़ में ढाई कुंतल उड़द पैदा हुई बाकी खेत में सड़ी हैं, इसमें तो कटाई की लागत भी नहीं निकली। पूरी लागत करीब 65 हजार के करीब आयी थी, उड़द के नुकसान से कर्जा घटने के बजाए और बढ़ गया।"
कर्ज में फंसे गब्बर सिंह की तरह जिले के किसान चिंतित हैं, वो कर्ज चुकाए या फिर बच्चों को पढ़ाएं या घर के खाने पीने की व्यवस्था करें या फिर रवी की फसल की तैयारी करें या कर्ज का पैसा चुकाएं। गब्बर सिह कहते हैं, "ये कर्ज भरना हमारे बस में नहीं हैं, सरकार हमारी मदद करे जिससे परिवार सभल सकें।" गब्बर और उनकी माँ शीलन दुलैया व पिता रतन सभी की मिलाकर 12 एकड़ जमीन हैं।
मृतक किसान रतन राजपूत का परिवार
"फसल होती तो बेचकर भर देते, किसी भी खेत में उड़द नहीं दिखी जिसमें ऐसा लगे कि कर्ज चुक जाएगा। बस, पति को एक ही चिंता लगी रहीं कहां से कर्ज भरें अपनी फसल में कुछ भी नहीं बचा, सभी खेतों को देखकर उन्हें धक्का लग गया। ट्रैक्टर की किस्त आ गयी कहां से भर दें, ऊपर से बैंक का नोटिस भी।" इन्ही शब्दों में रतन राजपूत की 60 वर्षीय पत्नी शीलन दुलैया ने बताया। अब तक ढाई बोरे उर्द निकले, कर्ज कहां से चुका देने की बात कहते हुऐ शीलन दुलैया ने बताया, "मोड़ा (लड़का) एक हैं, कमाई करता पर क्या कमाई करें। सड़ी फसल खेतों पर खड़ी हैं, उसमें हाथ भी नहीं डालना है। मूड़ से ऊपर हो गया कर्ज, फसल पर दम थी तभी तो भर पाते। बर्बाद फसल ने पति को छीन लिया।"
जिले में खरीब 2019-20 की दलहनी फसल दिनांक - 30/09/2019 में प्रदर्शित कृषि विभाग के आंकड़े के अनुसार, "जिले में 2,61,776 हेक्टेयर में खरीब में दलहन और तिलहन बोयी गयी, जिसमें से सर्वाधिक रकबा 1.80965 हेक्टेयर अर्थात (4.46827 लाख एकड़) में किसानों के द्वारा उड़द की फसल बोयी गई।" ज्यादा बारिश से ललितपुर का किसान बर्बादी के साथ कर्ज से उभरने की बजाए कर्जदार बन गया।"
बुंदेलखंड के ललितपुर जिला मुख्यालय से लगभग 17 किमी दूर दक्षिण-पूर्व दिशा में विरधा ब्लॉक के ऐरावनी गाँव के किसान रतन राजपूत पर बैंक के केसीसी कर्ज के साथ ट्रैक्टर और आपसी पहचान वालों से 10 लाख से ज्यादा कर्ज था। उड़द की फसल की देखरेख और सुरक्षा को लेकर हाड़तोड़ मेहनत की। अच्छी फसल से रतन सिंह को भरोसा था कि कुछ तो कर्ज चुका पाएंगे, ट्रैक्टर की किस्ते भर पाएंगे। अत्यधिक बारिश से पूरी फसल नष्ट हो गई।
रतन सिंह के आत्महत्या से 15 दिन पहले ट्रैक्टर फाईनेंस वाले से 80 हजार की किस्त तीन अक्टूबर तक जमा करने की बात कहीं थी। इसी बीच बैंक का केसीसी जमा करने का नोटिस आ गया। चारों तरफा कर्ज से घिरे किसान रतन सिंह ने इस महीने छह अक्टूबर की रात को कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली।
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रतन सिंह की तरह जिले के अधिकतर किसानों ने 1.80 लाख हेक्टेयर में उड़द की फसल बोई थी, जो बारिश से पहले काफी अच्छी थी। किसानों ने खरपतवार, कीटनाशक, फल-फूल की दवा फसल में डाली, अन्ना (छुट्टा जानवरों) से फसल बचाने के लिए दिन-रात उड़द की रखवाली की। लेकिन सितम्बर माह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक हुई बेवक्त बारिश ने दलहनी (उड़द, सोयाबीन, तिलहन) जैसी महत्वपूर्ण फसलें बर्बाद हो गई। उड़द की फलिया सड़ने के साथ खेतों में टपकने लगी, कईयों ने खडे फसल जोत दी कईयों किसानों ने अन्ना जानवरों के हवाले कर दी। किसानों को तमाम खर्च और अगली फसल की तैयारी किसी चुनौती से कम नहीं है। किसान कर्ज से छुटकारा पाने के बजाए फिर उसी कर्ज में रतन राजपूत की आत्महत्या के बाद उनके लड़के गब्बर राजपूत की तरह फंसे हैं।
शायद जो कदम पापा ने उठाया वहीं हमें भी उठाना पड़े, जितने हमारे सर पर बाल नहीं उतना तो कर्ज हैं अकेले हम झेल नहीं पाएंगे। पापा जी थे तो टेंशन नहीं थी उनके जाने के बाद हम अकेले पड़ गये हमें नहीं लगता कि ये कर्ज चुका पाएंगे।" कर्ज के बोझ तले दबे रतन राजपूत के एकलौते पुत्र गब्बर सिंह राजपूत (25 वर्ष) ने दर्द भरी आवाज में बताया।
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पहले फसल अच्छी थीं, अधिक पानी बरसने से उड़द खराब हो गयी। सभी खेतों के एक जैसे हाल की बात करते हुए गब्बर बताते हैं, "15 दिन से पापा परेशान थे, वो कह रहे थे दो एकड़ जमीन बेचकर कर्ज चुका देंगे। समय पर ग्राहक नहीं मिला इसी बीच बैंक का वसूली नोटिस आ गया, कर्ज के दबाब में पापा ने कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली। कर्ज का बोझ हमारे सर पर आ गया, छह एकड़ में ढाई कुंतल उड़द पैदा हुई बाकी खेत में सड़ी हैं, इसमें तो कटाई की लागत भी नहीं निकली। पूरी लागत करीब 65 हजार के करीब आयी थी, उड़द के नुकसान से कर्जा घटने के बजाए और बढ़ गया।"
कर्ज में फंसे गब्बर सिंह की तरह जिले के किसान चिंतित हैं, वो कर्ज चुकाए या फिर बच्चों को पढ़ाएं या घर के खाने पीने की व्यवस्था करें या फिर रवी की फसल की तैयारी करें या कर्ज का पैसा चुकाएं। गब्बर सिह कहते हैं, "ये कर्ज भरना हमारे बस में नहीं हैं, सरकार हमारी मदद करे जिससे परिवार सभल सकें।" गब्बर और उनकी माँ शीलन दुलैया व पिता रतन सभी की मिलाकर 12 एकड़ जमीन हैं।
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"फसल होती तो बेचकर भर देते, किसी भी खेत में उड़द नहीं दिखी जिसमें ऐसा लगे कि कर्ज चुक जाएगा। बस, पति को एक ही चिंता लगी रहीं कहां से कर्ज भरें अपनी फसल में कुछ भी नहीं बचा, सभी खेतों को देखकर उन्हें धक्का लग गया। ट्रैक्टर की किस्त आ गयी कहां से भर दें, ऊपर से बैंक का नोटिस भी।" इन्ही शब्दों में रतन राजपूत की 60 वर्षीय पत्नी शीलन दुलैया ने बताया। अब तक ढाई बोरे उर्द निकले, कर्ज कहां से चुका देने की बात कहते हुऐ शीलन दुलैया ने बताया, "मोड़ा (लड़का) एक हैं, कमाई करता पर क्या कमाई करें। सड़ी फसल खेतों पर खड़ी हैं, उसमें हाथ भी नहीं डालना है। मूड़ से ऊपर हो गया कर्ज, फसल पर दम थी तभी तो भर पाते। बर्बाद फसल ने पति को छीन लिया।"
जिले में खरीब 2019-20 की दलहनी फसल दिनांक - 30/09/2019 में प्रदर्शित कृषि विभाग के आंकड़े के अनुसार, "जिले में 2,61,776 हेक्टेयर में खरीब में दलहन और तिलहन बोयी गयी, जिसमें से सर्वाधिक रकबा 1.80965 हेक्टेयर अर्थात (4.46827 लाख एकड़) में किसानों के द्वारा उड़द की फसल बोयी गई।" ज्यादा बारिश से ललितपुर का किसान बर्बादी के साथ कर्ज से उभरने की बजाए कर्जदार बन गया।"