Gaon Radio: कृषि सलाह- बारिश आने के साथ ही करें इन खरीफ फसलों की तैयारी

इस समय ज्यादातर प्रदेशों में मानसून आ गया है, मानसून आने के साथ ही किसान खरीफ की फसलों की बुवाई शुरू कर देते हैं। ऐसे में किसानों के लिए जानना सबसे जरूरी है कि वो इस हफ्ते खेती-किसानी में क्या करें। गाँव रेडियो में सुनिए इस हफ्ते की कृषि सलाह ..

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Gaon Radio: कृषि सलाह- बारिश आने के साथ ही करें इन खरीफ फसलों की तैयारी

आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान हर हफ्ते किसानों के लिए मौसम आधारित संबंधित कृषि सलाह जारी करता है। गाँव रेडियो में सुनिए इस हफ्ते की कृषि सलाह ..

वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए सभी किसानों को सलाह है की खड़ी फसलों व सब्जी नर्सरी में जल निकास का उचित प्रबंधन करें।

जिन किसानों की धान की नर्सरी लग गयी हो वे बकानी रोग के लिए नर्सरी की लगातार निगरानी करते रहें और लक्षण पाए जाने पर कार्बेन्डाजिम 2.0 ग्राम/लीटर पानी घोल कर छिड़काव करें।

धान की नर्सरी में अगर पौधों का रंग पीला पड़ रहा है तो इसमे लौह तत्व की कमी हो सकती है। पौधों की ऊपरी पत्तियां यदि पीली और नीचे की हरी हो तो यह लौह तत्व की कमी दर्शाता है। इसके लिए 0.5% फेरस सल्फेट +0.25% चूने के घोल का छिड़काव करें।

इस मौसम में किसान मक्का फसल की बुवाई के लिए खेतो को तैयार करें। संकर किस्में एएच-421 व ए एच-58 और उन्नत किस्में पूसा कम्पोजिट-3, पूसा कम्पोजिट-4 बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें। बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हेक्टेयर रखें। लाइन से लाइन की दूरी 60-75 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 18-25 सेमी. रखें। मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम/हेक्टेर 800 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।

यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए सही होता है, इसलिए किसान पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 या अन्य संकर किस्मों की बुवाई करें बीज की मात्रा 40 किलोग्राम/हेक्टेयर रखें और लोबिया की बुवाई का भी यह उपयुक्त समय है।

यह समय सितम्बर में तैयार होने वाली सब्जियों की फसलों जैसे मिर्च, बैंगन व फूलगोभी की नर्सरी बनाने के लिए उपयुक्त है। किसान भाई नर्सरी में कीट अवरोधी नायलॉन की जाली का प्रयोग करें, ताकि रोग फैलाने वाले कीटों से फसल को बचा सकें। पौधशाला को तेज धूप से बचाने के लिए छायादार नेट द्वारा 6.5 फीट की ऊंचाई पर ढक सकते है। बीजों को केप्टान (2.0 ग्राम/ किग्रा बीज) के उपचार के बाद पौधशाला में बुवाई करें।

जिन किसानों की मिर्च, बैंगन व फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को देखते हुए रोपाई की तैयारी करें।

कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें लौकी की उन्नत किस्में पूसा नवीन,पूसा समृद्वि करेला की पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी, सीताफल की पूसा विश्वास, पूसा विकास तुरई की पूसा चिकनी धारीदार, तुरई की पूसा नसदार और खीरा की पूसा उदय, पूसा बरखा आदि किस्मों की बुवाई करें।

मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। उसके बाद इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मिली/लीटर की दर से छिड़काव करें।

फलों के नए बाग लगाने वाले गड्ढों की खुदाई कर उनको खुला छोड़ दें ताकि हानिकरक कीटों-रोगाणु और खरपतवार के बीज आदि नष्ट हो जाएं।

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