आम की फसल पर बेअसर रहेगी पछुआ हवा

Sudha PalSudha Pal   27 Feb 2017 4:28 PM GMT

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आम की फसल पर बेअसर रहेगी पछुआ हवाबौरों के खिलने के लिए अच्छा है यह मौसम, फसलों की सिंचाई से लग सकता है रोग

सुधा पाल (स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क)

लखनऊ। जहां एक तरफ पछुआ हवाएंं किसानों के लिए चिंता की वजह बनी हुई हैं वहीं इन हवाओं से आम के बागवान संतुष्ट हैं। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले हफ्ते में तेज हवाओं और गर्माहट के साथ मौसम में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। इस वजह से गेहूं और सरसों की फसलों को भले ही नुकसान पहुंच सकता है लेकिन आम की फसल इससे सुरक्षित रहेगी।

“पछियांव (पछुआ हवा) से अभी तक तो कोई नुकसान नहीं हुआ है। आगे आने वाले समय में भी ऐसा कुछ नहीं हो सकता। सब पेड़ सुरक्षित हैं। पेड़ों में देर से बौर आए हैं तो देर से बौर भी फूलेंगे। अगर सही से बौर में फूल आ गए होते जो अभी नहीं आए हैं, तो शायद हवा से बौर गिर जाते लेकिन ऐसा नहीं हुआ”, राजधानी से लगभग 25 किमी दूर दशहरी के लिए मशहूर मैंगो बेल्ट कहे जाने वाले मलिहाबाद ब्लॉक के बागवान कलीमुल्लाह खान ने बताया।

मैंगोमैन के नाम से मशहूर पद्मश्री से सम्मानित 67 वर्षीय कलीमुल्लाह का कहना है कि इस बार पड़ी कड़ाके की ठंड से आम की फसल में बौर देर से निकले हैं। देर से बौर निकलने की वजह से जहां ये बौर पाले की मार से बचे रहे वहीं इस समय अब इन पर पछुआ हवाओं का भी असर बेअसर साबित हो रहा है। मैंगोमैन ने आगे बताया, “अभी बौर पूरी तरह से फूले नहीं हैं। अगले महीने के 15 से 20 दिनों में लगभग सभी बौर में फूल आ जाएंगे। इसके बाद उनमें फलों का आना भी शुरू हो जाएगा। ”

देश के आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के निदेशक एस इंसराम अली के मुताबिक, “पछुआ हवा से आम की फसल को कोई नुकसान नहीं है उल्टा फायदा ही है। इस समय जो मौसम बना हुआ है, जिस तरह से गर्मी हो रही है अगर ऐसा रहा तो यह बौर के लिए अच्छा ही है। इससे बौर में ज्यादा से ज्यादा फूल निकलेंगे जिससे उत्पादन भी अच्छा मिल सकता है।”

धुलाई से पेड़ रहेंगे कीटों से सुरक्षित

बागवान कलीमुल्लाह खान बताते, “इस समय बागों की धुलाई चल रही है, सभी पेड़ों को धोया जा रहा है। ज्यादातर लोगों ने दो बार धुलाई कर ली है। हमने अभी तक एक ही करी है, अब करेंगे। वैसे पांच से सात धुलाई इस समय की जाती है।” उन्होंने बताया कि बागों में लगे सभी आम के पेड़ों पत्तों से लेकर जड़ तक सफाई की जाती है। यह धुलाई फसल को तेज धूप से लगने वाले कीटों से बचाती है। इससे बौर में लगने वाले फूल भी सुरक्षित रहेंगे। इस समय लगने वाले फसल में भुनगा कीट भी इस धुलाई के बाद खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही बागवान भुनगा कीट से बचाव के लिए मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव कर सकते हैं।

फसल के लिए घातक हो सकती है सिंचाई

कलीमुल्ला लगभग 20 एकड़ में आम का उत्पादन करते हैं। एक एकड़ में लगभग 50 पेड़ लगे हुए हैं। इससे सालभर में वे 8 लाख रुपए तक का आम उत्पादन करते हैं। उनका कहना है कि इस समय फसल की सिंचाई उत्पादकों को नुकसान में ला सकती है। अगर इस समय सिंचाई की गई तो फसल में दहिया रोग लग सकता है। इसलिए जब तक बौर के फूलों में चने के आकार जैसे फल न निकलने लगे तब तक सिंचाई न करें। अगर एक बार यह रोग लग गया तो पेड़ों के पोषक तत्व खत्म हो जाएंगे। इसके साथ ही आने वाले फल कमजोर होकर गिरने लगेंगे।

  

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