खेती में उपकरणों को बढ़ावा देने के बजट को खर्च नहीं कर पा रहे राज्य

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खेती में उपकरणों को बढ़ावा देने के बजट को खर्च नहीं कर पा रहे राज्यgaon connection, गाँव कनेक्शन

नई दिल्ली। देश की खेती को सुधारने के लिए केंद्र सरकार लगातार नई तकनीकों और उन्नत कृषि यंत्रों के प्रयोग को बढ़ावा देने की बात कह रही है। लेकिन असलियत यह है कि केंद्र की ओर से राज्यों को जो बजट दिया गया, वो अधिकतर राज्यों में इस्तेमाल ही नहीं किया गया।

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो वर्ष 2014-2015 में प्रदेश में कृषि के उन्नत उपकरणों और तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए 27 करोड़ 33 लाख रुपए का बजट जारी हुआ था। अपार संभावनाओं के बावजूद इसका पूरी तरह प्रयोग नहीं हो पाया।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गाँव कनेक्शन को बताया, ''देश में मिशन बनाकर कृषि यंत्रों को बढ़ावा देने के लिए सभी राज्यों को बजट दिया जाता है, अधिकतर राज्य इसका इस्तेमाल ही नहीं कर पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के पास 9-10 करोड़ रुपए अभी भी बचा पड़ा है।"

दरअसल देश में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता को बढ़ाने और लागत कम करने के लिए मशीनों व उपकरणों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र द्वारा 'राष्ट्रीय यंत्रीकरण उप-मिशन' संचालित है। इस मिशन के तहत राज्यों को जो बजट जारी किया जाता है उसमें 75 प्रतिशत हिस्सा केंद्र व 25 प्रतिशत हिस्सा राज्य को देना होता है। मिशन महत्वपूर्ण इसलिए भी हो जाता है क्योंकि लगातार तीन फसलें प्राकृतिक आपदाओं में गंवा चुके देश में चल रहे कृषि संकट से निपटने में मशीनें और उपकरण, समय व लागत को घटाकर बड़ा सहयोग दे सकते हैं।

उत्तर प्रदेश में मिशन क्यों धीमा है इस पर जानकारी देते हुए प्रदेश के सहायक कृषि निदेशक (अभियंत्रण) आनंद त्रिपाठी ने गाँव कनेक्शन को बताया, ''प्रदेश में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए सबसे कठिन हिस्से बुंदेलखण्ड और पूर्वी उत्तर प्रदेश हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इतने छोट-छोटे किसान हैं कि वो अकेले यंत्र नहीं खरीद सकते हैं।"

खेती में प्रति हेक्टेयर उपकरणों की जितनी क्षमता प्रयोग हो रही है उस आधार पर देश के तीन राज्य पंजाब, हरयाणा और उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय औसत से भी आगे हैं। देश का औसत प्रति हेक्टेयर यांत्रिक ऊर्जा प्रयोग 1.73 किलोवॉट है, जबकि पंजाब व हरियाणा का औसत प्रयोग दो किलोवॉट से अधिक और उत्तर प्रदेश का 1.85 किलोवॉट है। उत्तर प्रदेश के इस आंकड़े का भी बड़ा हिस्सा अकेले पश्चिमी भाग के जि़लों से आता है।

त्रिपाठी ने बताया कि हम पूर्वी उप्र और बुंदेलखण्ड जैस क्षेत्रों में कृषि उपकरण बैंक जैसी योजनाएं संचालित करने की योजना बना रहे हैं, जहां से किसान किराए पर उपकरण ले सकता है। प्रदेशभर के सभी 832 ब्लॉकों में  जो 'एग्री जंक्शन' स्थापित होने जा रहे हैं, उन्हें भी हम उनकी इच्छा के अनुसार यंत्रों का बैंक स्थापित करने में मदद उपलब्ध कराएंगे। 

उत्तर प्रदेश को वर्ष 2014-2015 में मिले बजट में से 09 करोड़ 86 लाख रुपए इस्तेमाल नहीं हो सका था, जिसे अगले वर्ष 2015-16 के बजट में आगे बढ़ा दिया गया था। हालांकि प्रदेश में अभी भी कृषि यंत्रीकरण की गति बहुत धीमी है। हालांकि प्रदेश ने वर्ष 2017 तक दो किलोवॉट प्रति हेक्टेयर औसत यांत्रिक ऊर्जा प्रयोग को पाने का लक्ष्य रखा है।

''इस बजट के समाप्त होने से पहले हम कई योजनाओं को आगे बढ़ा देंगे, इस बार लैप्स नहीं होगा बजट", सहायक कृषि निदेशक (अभियंत्रण), उप्र ने कहा।

 

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