मध्य प्रदेश में क्यों नाराज़ हैं गन्ना किसान

मध्य प्रदेश में सितंबर में देश में सबसे अधिक बारिश हुई, जिससे गन्ने के खेत चौपट हो गए और किसानों के मुताबिक उनकी आधी फसल बर्बाद हो गई। जबकि कीटों ने पहले से आतंक मचा रखा है।

Pooja YadavPooja Yadav   11 Oct 2023 5:57 AM GMT

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मध्य प्रदेश में क्यों नाराज़ हैं गन्ना किसान

भोपाल, मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश में अब से एक महीने बाद 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। किसानों को उम्मीद थी चुनाव तारीख़ की घोषणा से पहले भारी बारिश से हुए नुकसान को देखते हुए सरकार कुछ मदद जरूर करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मध्य प्रदेश में कई एकड़ गन्ने के खेत बारिश से तबाह हो गए हैं। बमुश्किल कोई गन्ने का डंठल सीधा खड़ा होता है, उनमें से ज़्यादातर ज़मीन पर गिर गए हैं या फिर जड़ से उखड़ गए हैं। बाकी बची कसर चूहे फसल को कुतर कर पूरी कर देते हैं।

बुरहानपुर जिले की नेपानगर तहसील के टिटगाँव के किसान हरिओम अग्रवाल 15 साल से गन्ने की खेती कर रहे हैं। “मेरी 15 एकड़ ज़मीन पर गन्ना था और 12 एकड़ की फसल बर्बाद हो गई। सितंबर में भारी बारिश से कुछ नुकसान हुआ, लेकिन बारिश के बाद चली तेज़ हवाओं ने खड़ी फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। ” उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया।

उन्होंने कहा, "मैंने अपने गन्ने पर प्रति एकड़ 25 हज़ार रुपये ख़र्च किए हैं और जो 400 क्विंटल उत्पादन होना चाहिए था, अगर किस्मत अच्छी रही तो भी 200 क्विंटल से ज़्यादा उत्पादन नहीं होगा। " उन्होंने कहा। किसान की शिकायत है कि अभी तक प्रशासन की ओर से कोई भी नुकसान का आकलन करने नहीं आया और न ही मुआवजे की कोई बात हुई।

"आचार संहिता लागू होने से पहले मुआवजे की घोषणा की जानी चाहिए थी। किसानों को उम्मीद थी कि सरकार कम से कम मुआवजे को लेकर कोई घोषणा करेगी, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। इसका चुनाव में असर होगा और किसान भूलेंगे नहीं,'' भारतीय किसान संघ, नर्मदापुरम के सदस्य सुरेंद्र राजपूत ने गाँव कनेक्शन को बताया।


पिछले महीने 22 सितंबर को खरगोन के किसानों ने बर्बाद हुई गन्ने की फसल के मुआवजे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था।

राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों को मुआवजे के लिए आवेदन करने की सलाह दी और उन्हें आश्वासन दिया कि आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। लेकिन अब तक इस मामले पर कोई प्रगति नहीं हुई है, किसानों की शिकायत है।

खेती की मुश्किलों का एक साल

यह साल किसानों के लिए कठिन मुश्किल भरा रहा है। जून के बाद से हालात ख़राब हैं, जब दक्षिण-पश्चिम मानसून देर से आया और बारिश नहीं हुई। अगले महीने जुलाई में थोड़ी बारिश हुई जिससे कुछ राहत मिली।

लेकिन इस साल अगस्त गर्म था और अब तक की सबसे कम बारिश दर्ज़ की गई। सूखे जैसी स्थिति में, गन्ना, जो अत्यधिक पानी की खपत वाली नकदी फसल है, मुरझाकर सूखने लगा। किसानों को अपनी फसलों को बचाए रखने के लिए जल पंपों (भूजल) की मदद से अपनी फसल की सिंचाई करनी पड़ी थी।

लेकिन, सितंबर में हुई मूसलाधार बारिश और उसके बाद तेज़ हवाओं ने नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, बैतूल और दतिया सहित कई जिलों में फसलें बर्बाद कर दीं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, मध्य प्रदेश में सितंबर के महीने में 70 प्रतिशत की 'बड़ी अधिक' बारिश हुई, जो इतनी भारी बारिश पाने वाला देश का एकमात्र राज्य है। 166.9 मिलीमीटर की सामान्य वर्षा के मुकाबले, 1 सितंबर से 30 सितंबर के बीच 284.2 मिमी वर्षा हुई (नीचे नक्शा देखें)।


नरसिंहपुर के इमलिया गाँव के किसान मुकेश पटेल ने गाँव कनेक्शन को बताया, "यह पहली बार है कि बारिश ने गन्ने की फसल को इस तरह नुकसान पहुँचाया है।" उनके जिले में सितंबर में 46 फीसदी अधिक बारिश हुई। मुकेश की पाँच एकड़ फसल बर्बाद हो गई है।

उन्होंने कहा, पड़ोसी किसानों के साथ भी यही कहानी है। “इतनी तेज़ बारिश हुई कि लगभग आठ दिनों तक जलभराव रहा जिससे खेत दलदल में बदल गए। तेज़ हवाओं ने नुकसान को और भी बदतर बना दिया।'' उन्होंने कहा।

किसान ने अफसोस जताते हुए कहा, "अगर कीड़ों का प्रकोप होता, तो मैं कीटनाशकों और दवाओं का उपयोग करके अपनी फसलों को बचा सकता था, लेकिन मैं अपनी गिरी हुई फसलों को फिर से खड़ा नहीं कर सकता।"

बारिश और हवाएँ अपने साथ अन्य परेशानियां भी लेकर आई हैं।

नरसिंहपुर के करेली गाँव के शिव राजपूत ने गाँव कनेक्शन को बताया, "उखड़े हुए और टूटे हुए गन्ने के डंठल सड़ रहे हैं और इससे जंगली सूअर ज़्यादा आने लगे हैं, जो खेत में बचे कुछ गन्ने को खा रहे हैं।"

बैतूल जिले के बरसाली गाँव के महेश यादव की भी ऐसी ही शिकायत है। उनके जिले में पिछले महीने 102 फीसदी अधिक बारिश हुई।

“मैंने पाँच एकड़ में गन्ना लगाया था और उसका आधे से ज़्यादा हिस्सा बर्बाद हो गया है, ”किसान ने कहा। उन्हें अपनी फसल से लगभग 350 क्विंटल उपज मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अब निराशा है कि उन्हें इसका आधा भी मिलेगा या नहीं।

गन्ने की फसल में स्मट रोग लगने की भी आशंका है, जिससे डंठलों पर फंगस पनपने लगता है।

मध्य प्रदेश में बढ़ रही गन्ने की खेती

मध्य प्रदेश में गन्ने की खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है। 2007-08 में राज्य में 77,730 हेक्टेयर गन्ने के खेत थे। 2013-14 तक, क्षेत्रफल बढ़कर 144,000 हेक्टेयर हो गया। वर्तमान में, मध्य भारतीय राज्य में लगभग 2 लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती की जाती है।

गन्ने को एक लचीली फसल माना जाता है जो मौसम की काफी अनिश्चितताओं का सामना कर सकती है और इसमें बीमारी लगने का ख़तरा भी कम होता है। किसानों का दावा है कि यह मक्का, सोयाबीन, दाल, धान, गेहूँ से कहीं अधिक लाभदायक है। लेकिन यह साल मध्य प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए बुरा साल साबित होता नज़र आ रहा है।


नरसिंहपुर जिले के बिहोनी स्थित गन्ना अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रभारी बीके शर्मा ने माना कि राज्य में गन्ने की फसल को काफी नुकसान हुआ है।

“किसानों को समय पर अपने खेतों से पानी निकालना चाहिए। उनके पौधे साफ-सुथरी लाइन में होने चाहिए जिससे हवा बिना किसी रुकावट के आ सके। उन्हें गन्ने के डंठल को भी मजबूती से एक साथ बांधना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्होंने बीज गहराई में बोया है, ”शर्मा ने गाँव कनेक्शन को बताया।

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, "फसलों के भी स्मट रोग और रेड रूट रोग से प्रभावित होने की ख़बर है और कीटनाशकों का उपयोग ही अब एकमात्र विकल्प है।"

इस बीच, किसानों की शिकायत है कि उनकी फसल के नुकसान के आकलन और मुआवजे के संबंध में अब तक उन्हें सरकारी एजेंसियों से कोई जवाब नहीं मिला है।

बुरहानपुर जिले के नेपानगर तहसील के तहसीलदार दयाराम अवस्या ने गाँव कनेक्शन को बताया, "इस जिले में गन्ना किसानों को हुए नुकसान का आकलन किया जाएगा और उसके अनुसार उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।"

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