कृषि विशेषज्ञों की सलाह : क्या करें किसान कि फसल लहलहा उठे

मार्च का महीना रबी फसलों की कटाई और जायद की बुवाई का होता है; पिछले दिनों मौसम में आए बदलाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने किसानों को ख़ास सलाह दी है।

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कृषि विशेषज्ञों की सलाह : क्या करें किसान कि फसल लहलहा उठे

गेहूँ की फसल में कारनाल बंट रोग, गेरूई और कण्डुआ के प्रकोप की संभावना बढ़ गई है। पिछले सालों में जिन क्षेत्रों में ये रोग देखे गए थे, वहाँ पर इसके बीजाणुओं का प्रसार हवा और पानी से होने की संभावना है। ऐसा बेमौसम बरसात से हुआ है।

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रोग के प्रबंधन के लिए फसल में बालियाँ निकलते समय और फूल अवस्था पर प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ई.सी. की 500 मिली. मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से सुरक्षात्मक छिड़काव करने से फसल को बचाया जा सकता है।

ख़राब मौसम में फसल कैसे बचाएँ

प्रदेश में तेज हवा के साथ बारिश और कहीं कहीं पर ओलावृष्टि के कारण मुख्य रूप से राई/सरसों की फसल गिर गई है; जल भराव के कारण दानों की गुणवत्ता प्रभावित होने की संभावना है। ऐसी दशा में किसान भाई तत्काल तैयार फसल की कटाई कर लें और फसल को किसी छायादार स्थान पर रखकर अच्छे से सुखाने के बाद ही मड़ाई करें।

आम की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू (खर्रा/दहिया) रोग की संभावना के दृष्टिगत ट्राइडीमार्फ अथवा पेनकोनाजोल 1 मिली. प्रति लीटर पानी में घोलकर सुरक्षात्मक छिड़़काव करें।

बुवाई से पहले की सलाह

उर्द/मूंग/मूंगफली/सूरजमुखी आदि की बुवाई से पूर्व बीज को ट्राइकोडर्मा से शोधित करके बुवाई करें। बुवाई से पहले मृदा को भी ट्राइकोडर्मा से शोधन करें; जिसके लिये 1 किग्रा. ट्राइकोडर्मा फारमुलेशन 15 से 20 किग्रा. गोबर की खाद में मिलाकर 07 दिन रखने के उपरांत (थोड़ी नमीयुक्त) मृदा में डालें।

उर्द की पीला चित्रवर्ण अवरोधी (मोजैक) प्रजातियों जैसे आईपीयू.-13-1, पंत उर्द -10, आईपीयू.-11-2, वल्लभ उर्द-1, प्रताप उर्द-1, विश्वास, माश-479 और कोटा उर्द-4 आदि की बुवाई करें।

मूंग की अधिक उपज वाली व पीला मोजेक अवरोधी संस्तुत प्रजातियों जैसे के.एम.-2195 (स्वाती) आई.पी.एम.205-7 (विराट), आई.पी.एम.410-3 (शिखा), कनिका, वर्षा, आजाद मूंग-1, आई.पी.एम.312-20, आई.पी.एम.409-4 (हीरा), वसुधा, सूर्या और आजाद मूंग-1 की बुवाई करें।


सूरजमुखी की संकुल किस्मों किस्मों सूर्या, पी.बी.एन.एस.-40 मॉर्डन, संकर किस्मों, के.वी.एस.एच.-1, एस.एच.-3322, एमएसएफएच.-17 और वीएसएफ. की बुआई यथाशीघ्र समाप्त करें।

ग्रीष्मकालीन मूंगफली की संस्तुत किस्मों जैसे आईसीजीवी.-93468 (अवतार), जीजेजी., एचएनजी.-123, डी.एच.-86 बुआई यथाशीघ्र समाप्त करें।

बाजरा की संस्तुत संकुल किस्मों आईसीएमवी-221, आईसीटीपी.-8203, राज-171, पूसा कम्पोजिट-383 और संकर किस्मों जैसे एम.पी.- 7792, एम.एच.-1553, 86 एम 84, 86 एम.-52, जी.एच.बी.-526, जी.एच.बी.-558 एवं पी.बी.-180 की बुआई करें।

चेना (जेठी सावां) की संस्तुत प्रजातियों जैसे एम.डी.यू.-1 व भावना प्रजाति की बुवाई 15 मार्च तक समाप्त करें।

ज्वार की एकल कटाई की किस्मों पी.सी.- 6,9,23, एच.सी.-171, 260, यू.पी. चरी-1-2, राज चरी-1,2 तथा बहु कटाई वाली प्रजातियों एस.एस.जी.-998, 855, को.-27, पंत चरी-5 की बुवाई मध्य मार्च से करें।

लोबिया की उन्नत किस्मों कोहिनूर, श्वेता, बी.एल.-1, बुन्देल लोबिया-2,3, जी.एफ.सी.-1,2,3 एवं 4, यू.पी.सी.-618, 622 तथा ई.सी.-4246 की बुवाई करें।

अरहर में फली बेधक से 5 प्रतिशत प्रकोपित फली पाये जाने पर बी.टी. 5 प्रतिशत डब्लू.पी. 1.5 किग्रा. या इंडोक्साकार्ब 14.5 एस.सी. 400 मि.ली. या क्यूनालफास 25 ई.सी. 1.50 ली. या फेनवलरेट 20 ईसी. 750 मिली. 500-700 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।

मटर में गेरुई रोग के लक्षण दिखाई देने पर इसके नियंत्रण के लिए ट्राइडेमेफान 25 प्रतिशत डब्लू.पी. 250 ग्राम 750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।


मटर में लगने वाले बुकनी/दहिया रोग के नियंत्रण के लिए घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत डब्लू.जी. की 2 कि.ग्रा. मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

अगर राई/सरसों और अलसी की फसल परिपक्व हो गई है तो कटाई कर सुरक्षित स्थान पर रख लें।

सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के लिये गन्ने की संस्तुत प्रजातियों यथा को-0118, को-98014, को.शा.-13235, को.लख.-14201, को.शा.-17231, को.शा.-18231, को.शा.-16233 तथा पश्चिमी और मध्य क्षेत्र के लिए को. 15023 तथा जल प्लावित क्षेत्रों/विपरीत परिस्थितियों के लिए यू.पी.-9530 को.शा.-10239 तथा ऊसर मृदा में यू.पी.-14234 आदि प्रजातियों में से उपलब्धतानुसार चयन करें।

बसंतकालीन गन्ने में मूंग, उर्द और लोबिया की उपयुक्त प्रजातियों की सहफसल ले सकते है। उन्हें बोने से पूर्व राइजोबियम कल्चर (1 क़िग्रा. प्रति हेक्टेयर) से उपचारित करें।

कृषक भिण्डी, करेला, लौकी, काशीफल, ककड़ी, खीरा, खरबूज और तरबूज की बुआई करें। बैंगन व मिर्च की बुवाई यदि अभी तक नहीं की है तो कर दें।

परिपक्व आलू की खुदाई कर लें और छायादार स्थान पर सुरक्षित कर लें। बीज के लिए आलू के मध्यम आकार के कन्दों का भण्डारण मध्य मार्च तक ज़रूर कर लें। आलू को भण्डारण के पहले कन्दों की छॅंटाई, ग्रेडिंग और बोरिक एसिड के 3 प्रतिशत घोल से 30 मिनट तक उपचारित करें।

विलायती बबूल, आंवले के बीजों की बुआई रूट ट्रेनर/थैलियों में कर लें। अपनी पौधशाला के अंकुरण कक्ष में पौधों का प्रतिरोपण रूट ट्रेनर/पॉलीथीन थैलों में कर, छाया घर (शेड हाउस) में स्थानांतरित कर लें।

पशुपालकों को सलाह

पशुओं में खुरपका और मुंहपका बीमारी (एफ.एम.डी.) का टीकाकरण कराया जा रहा है, यह सुविधा पशु चिकित्सालयों पर मुफ्त उपलब्ध है।

पशुओं को कृमिनाशक और बाह्य परजीवीनाशक दवाई पशुचिकित्सा की सलाह से आवश्यकता पड़ने पर उपयोग करें।

दुधारू पशुओं को थनैला रोग से बचाने के लिये पूरा दूध निकालें और दूध दोहन के बाद थनों को कीटाणुनाशक घोल से साफ करें तथा बैठने न दें।

तालाबों का जल स्तर 5 से 5.5 फुट तक बनाए रखा जाय। मछलियों में वृद्धि के लिए पूरक आहार का प्रयोग मछलियों के वजन के 1 से 2 प्रतिशत तक किया जाए।

कामन कार्प मछलियों के प्रजनन के दृष्टिगत प्रजनकों (ब्रूडर) को अलग करने के बाद उनका विशेष पोषण सुनिश्चित किया जाए।

मछलियों को निश्चित समय पर ही भोजन दिया जाए।

अक्टूबर से मार्च के प्रथम पक्ष तक प्रदेश की झीलों में रहने वाले प्रवासी पक्षी मार्च प्रथम सप्ताह में वापस जाने के लिए झुण्ड में तैयार रहते हैं। इस समय इन पक्षियों को शिकारियों से सर्वाधिक ख़तरा रहता है। इस समय में शिकारियों की जानकारी होने पर इसकी सूचना पास के वनकर्मी को दें।

कैसा रहेगा इस हफ्ते का मौसम

भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक अगले यानी 14 मार्च तक प्रदेश के ज़्यादातर कृषि जलवायु अंचलों में मौसम सामान्यतया शुष्क बना रहेगा। लेकिन 13 मार्च को भावर तराई क्षेत्र, पश्चिमी मैदानी क्षेत्र और मध्य पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में कहीं-कहीं हल्की वर्षा होने की संभावना है।

प्रदेश के भाबर तराई क्षेत्र के मध्य भाग और मध्य पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के उत्तरी भाग, बुंदेलखंड के दक्षिणी भाग में औसत साप्ताहिक अधिकतम तापमान सामान्य से कम और प्रदेश के मध्य भाग में औसत साप्ताहिक अधिकतम तापमान सामान्य से आंशिक रूप से कम जबकि प्रदेश के अन्य कृषि जलवायु अंचलों में सामान्य के आस-पास रहने की संभावना है।

प्रदेश के भावर तराई क्षेत्र के मध्य भाग और बुंदेलखंड क्षेत्र के दक्षिणी भाग में औसत साप्ताहिक न्यूनतम तापमान सामान्य से आंशिक रूप से कम; पूर्वी मैदानी और उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र के पश्चिमी भाग तथा मध्य मैदानी क्षेत्र के पूर्वी भाग में औसत साप्ताहिक न्यूनतम तापमान सामान्य से आंशिक रूप से अधिक जबकि अन्य कृषि जलवायु अंचलों में यह सामान्य के आस पास रहने की संभावना है।

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