बढ़िया उत्पादन के लिए 15 सितंबर से पहले करिए मूली की इन किस्मों की बुवाई

हमारे देश में मूली की खेती लगभग पूरे राज्यों में की जाती है, सर्दियों में मूली की खेती तो होती ही है, अभी मूली की अगेती किस्मों की बुवाई करके अच्छा उत्पादन पा सकते हैं। लेकिन अगेती मूली की बुवाई के लिए किसानों को कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

Dr BS TomarDr BS Tomar   21 Aug 2023 9:50 AM GMT

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मूली सलाद का एक अहम हिस्सा होती हैं, सर्दियों में ज़्यादातर किसान मूली बुवाई करते हैं, लेकिन अगर मूली की खेती से कमाई करनी है तो मूली की अगेती बुवाई कर सकते हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने मूली की कई किस्में विकसित की हैं, इनमें पूसा चेतकी और पूसा मृदुला की खेती कर सकते हैं।

पूसा चेतकी एक कम समय में तैयार होने वाली किस्म है, इसके पत्ते एक समान रूप से हरे और बिना कटे हुए होते हैं और इसके पत्तों को इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जा सकता है। यह किस्म 35 से 40 दिन में बुवाई के बाद तैयार हो जाती है।

पूसा चेतकी की जड़ 25 से 30 सेंटीमीटर लंबी होती हैं, खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है।


इसके साथ जो दूसरी किस्म है वो है पूसा मृदुला। आप देखते हैं कि मूली हमेशा लम्बे आकार की होती है, लेकिन मूली की यह किस्म गोल आकार की लाल रंग की होती है और ये बहुत कम समय में तैयार हो जाती है।

इसके तैयार होने का जो समय है वो 28 से 32 दिन है। शहरी क्षेत्रों में किचन गार्डन में इसकी खेती कर सकते है। किसी छोटे गमले में भी बढ़िया मूली तैयार हो जाती है।

पूसा चेतकी की बिजाई किसान भाई 15 जुलाई से आरम्भ करके 15 सितम्बर तक अपनी बिजाई खेतों में कर सकते हैं, जबकि मृदुला को किसान भाई 20 अगस्त शुरू कर के नवम्बर के मध्य तक लगाया जा सकता है।

मूली जड़ वाली फ़सल होती है, इसलिए बलुई या दोमट मिट्टी इसकी बुवाई के लिए बढ़िया मानी जाती है। अगर किसान चाहें तो इनकी बुवाई मेड़ पर भी कर सकते हैं।

मूली बुवाई के लिए सबसे पहले बीजोपचार ज़रूर कर लें, क्योंकि इसमें कीट लगते हैं। जो पत्तियों के रस चूस लेते हैं, इससे पत्तियों पर धब्बे बन जाते हैं। इसलिए बीज उपचार ज़रूरी होता है।

कोशिश करनी चाहिए कि ऐसे ख़ेत में बुवाई करें जहाँ जलभराव न होता हो। हमेशा मेड़ बनाकर उस पर बुवाई करनी चाहिए, मेड़ों की दूरी 50 से 60 सेमी से ज़्यादा नहीं रखनी चाहिए।

बुवाई हाथ से ही करनी चाहिए, पौधे से पौधे की दूरी आठ से दस सेमी रखनी चाहिए। बुवाई के तुरंत बाद पेंडीमेथिलीन नामक खरपतवार नाशक का छिड़काव करना चाहिए। 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के समय देना चाहिए। इससे जड़ों की अच्छी वृद्धि होती है।

(डॉ बी एस तोमर, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में वैज्ञानिक हैं।)

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