अपने जिले के लिए स्वीकृत गन्ना किस्मों की ही करें बुवाई, वही किस्में खरीदती हैं चीनी मिलें

अगर आप गन्ना किसान हैं तो अपने जिले के लिए स्वीकृत गन्ना किस्मों की ही बुवाई करें, क्योंकि वही किस्में चीनी मिलें खरीदती हैं।

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अपने जिले के लिए स्वीकृत गन्ना किस्मों की ही करें बुवाई, वही किस्में खरीदती हैं चीनी मिलें

उत्तर प्रदेश के एक बड़े क्षेत्रफल में गन्ने की खेती की जाती है; अगर किसानों को बढ़िया मुनाफा कमाना है तो अपने क्षेत्र के लिए स्वीकृत गन्ने की किस्मों की ही बुवाई करनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश में हर एक जिले के लिए अलग-अलग किस्में स्वीकृत की गईं हैं; ऐसे में उस जिले में स्थित चीनी मिलें सिर्फ वही किस्में खरीदती हैं। अगर दूसरी कोई किस्म लगाते हैं तो आपके जिले की चीनी मिल वो गन्ना नहीं लेगी, जिससे आपको नुकसान हो सकता है।

पेराई सत्र 2022-23 के दौरान राज्य में कुल 118 चीनी मिलें संचालित हुईं। प्रदेश का कुल गन्ना क्षेत्रफल 28.53 लाख हेक्टेयर है और गन्ना उत्पादकता 839 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

प्रदेश के सभी जिलों के किसानों के लिए किस्में

प्रदेश के सभी जिलों के लिए कुछ गन्ना किस्में स्वीकृत हैं; जिन्हें चीनी मिलें खरीदती हैं। जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में कोशा 8438, कोशा 88320, कोशा 95255, कोशा 96268, कोसै 03234, यूपी 05125, कोसै 98231, कोशा 08272, कोसै 95422, को 0238, को 0118, को 98014, कोशा 13231, कोशा 13235, कोलख 14201, कोशा 17231 जैसी किस्में हैं।

देर से पकने वाली किस्मों में कोशा. 767, कोशा. 8432, कोशा. 97264, कोशा. 96275, कोशा. 97261, कोशा. 98259, कोशा. 99259, कोसे. 01434 यूपी. 0097, कोशा 08279, कोशा. 08276, कोशा. 12232, कोसे. 11453, को. 05011, कोशा. 09232, को.से. 13452, कोशा. 14233 जैसी किस्में हैं।

पश्चिमी क्षेत्र के जिलों के लिए किस्में

मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़ बुलन्दशहर, बागपत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली जैसे जिलों के लिए जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत किस्मों के साथ-साथ को.जा. 64, कोशा. 03251, को.लख. 9709, को. 0237, को. 05009, कोलख. 11203, और को.15023 जैसी किस्में स्वीकृत की गईं हैं।

देर से पकने वाली किस्मों में सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत किस्मों के साथ-साथ ही कोशा. 94257, कोशा. 96269, यू.पी. 39, कोपन्त. 84212, कोशा. 07250 कोह. 119, कोपन्त 97222, को.जे. 20193, को. 0124, को.ह. 128, को.लख. 09204, को.लख. 11206, को. 09022, को. 12029, को.पी.के. 05191 जैसी किस्में हैं।

मध्य क्षेत्र के जिलों के लिए किस्में

लखनऊ, लखीमपुर, सीतापुर, हरदोई, रायबरेली, कानपुर, कानपुर-देहात, फरूखाबाद, उन्नाव, बरेली, पीलीभीत, शाहजहंपुर, बदायूँ, अलीगढ़, एटा, मथुरा, मुरादाबाद, सम्भल, अमरोहा, रामपुर और बिजनौर जैसे जिलों के लिए जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत किस्मों के साथ-साथ को.जा. 64, को.से. 01235, को.लख. 9709, को. 0237, को. 05009, को.लख. 11203, को.15023 जैसी किस्में हैं।

देर से पकने वाली किस्मों में सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत किस्मों के साथ-साथ ही कोशा. 94257, कोशा. 96269, यूपी. 39, को.पन्त. 84212, को.ह. 119, को.पन्त 97222, को.जा. 20193, को. 0124, को.ह. 128, को.लख. 09204, को.लख. 11206, को. 09022, को. 12029, को.पी.के. 05191 जैसी किस्में हैं।

पूर्वी क्षेत्र के जिलों के लिए किस्में

देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर गोण्डा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, फैजाबाद, वाराणसी, भदोही, जौनपुर, गाजीपुर, बाराबंकी, अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर, अमेठी, इलाहाबाद, मिर्जापुर जैसे जिलों के सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत किस्मों के साथ- साथ को.से. 01235, को. 87263, को. 87268, को. 89029, को.लख. 94184, को. 0232, को.से. 01421, को.लख. 12207 किस्में हैं।

देर से पकने वाली किस्मों में सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत किस्मों के साथ-साथ ही को.से. 96436, को.से. 08452, को.लख. 12209 जैसी किस्में लगा सकते हैं।

बाढ़ और ऊसर प्रभावित क्षेत्रों के लिए किस्में

प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ की समस्या है; जहाँ पर कई महीनों तक पानी भरा रहता है। साथ ऊसर क्षेत्र भी हैं, ऐसे क्षेत्रों के लिए यू.पी. 9530, को.से. 96436, कोशा 10239 जैसी किस्में लगा सकते हैं।

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