0

ये विधि अपनाकर आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं लीची किसान

Divendra Singh | May 09, 2018, 14:06 IST
lychee
ये समय लीची के पकने का सही समय होता है, लीची की बागवानी में एक नुकसान भी है, एक साथ ही फल पकने से किसानों को सही दाम नहीं मिल पाता है, क्योंकि फल तोड़ने के बाद ज्यादा दिनों तक नहीं रख सकते हैं। लेकिन ये उपाय अपनाकर किसान इस नुकसान से बच सकते हैं।

कृषि विज्ञान केन्द्र, औरैया के प्रभारी वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनंत कुमार सिंह बताते हैं, "लीची का फल पेड़ में पकने के बाद तुरंत तोड़ना पड़ता है और फल तोड़ने के बाद उसे ज्यादा दिन तक नहीं रख सकते हैं। इससे किसान को आर्थिक रूप से हानि होती है, क्योंकि बाजार में एक साथ अत्याधिक फल आ जाने से फल को कम दर पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है।"

लीची की बागवानी मुख्य रूप से उत्तरी बिहार, देहरादून की घाटी, उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र तथा झारखंड प्रदेश के कुछ क्षत्रों में की जाती है। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इसके सफल उत्पादन का प्रयास किया जा रहा है। देश में 84000 हेक्टेयर में लीची की खेती होती और सालाना 594000 मीट्रिक टन लीची की पैदावार देशभर में होती है।

इसके फल 10 मई से लेकर जुलाई के अंत तक देश के विभिन्न भागों में पक कर तैयार होते हैं और उपलब्ध रहते हैं।

वो आगे बताते हैं, "किसान को आर्थिक रूप से बचाने के लिए जब लीची जब पेड़ पर पकना शुरु हो जाए और बाजार मूल्य कम हो तो लीची के पेड़ के चारो ओर पेड़ से करीब 2-2.3 मी. छोड़कर गुड़ाई कर दें। इसके बाद दो किग्रा यूरिया डालकर सिंचाई कर दें। सिंचाई चार-पांच दिन में करते रहें। इससे लीची पकने की अवधि में 10-12 दिन ज्यादा बढ़ जाती है। इससे किसान को आर्थिक रूप हानि से बचाया जा सकता है, इससे फसल का भी नुकसान नहीं होगा।"

Tags:
  • lychee
  • indian horticulture
  • Lychee garden

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.