ई-नाम पोर्टल की मदद से किसान दूसरे राज्यों में बेच रहे कृषि उत्पाद

Diti BajpaiDiti Bajpai   28 Jan 2019 8:51 AM GMT

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ई-नाम पोर्टल की मदद से किसान दूसरे राज्यों में बेच रहे कृषि उत्पाद

नई दिल्ली (भाषा)। अलग-अलग राज्यों की कृषि उपज मंडियों के बीच ई-नाम मंच से कृषि उत्पादों के व्यापार को अब धीरे-धीरे गति मिल रही है। हाल ही में गुजरात की पालनपुर मंडी से हरा चना राजस्थान की सुमेरपुर मंडी को बेचा गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2016 में इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) का पायलट परियोजना के तौर पर शुभारंभ किया था। यह सरकार के 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य का ही हिस्सा है। ई-नाम एक राष्ट्रव्यापी इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच है जो देश की सभी कृषि उपज मंडियों को आपस में जोड़ता है। इससे किसानों को देशभर की कृषि मंडियों में कृषि जिंसों का भाव पता चलता है। इसका मकसद किसानों की बाजार तक बेहतर पहुंच उपलब्ध कराने में मदद करना है।


यह भी पढ़ें- वर्ष 2022 तक ई-नाम मंच से 22,000 मंडियों को जोड़ने की योजना

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत काम करने वाला 'लघु कृषक कृषि व्यापार संघ' (एसएफएसी) ई-नाम को लागू करने वाली शीर्ष इकाई है। अभी देशभर की 585 मंडियों में ई-नाम से व्यापार करने की सुविधा है। सरकार की योजना इस साल 200 एवं अगले साल 215 और मंडियों को इससे जोड़ने की है।

देशभर में करीब 2,700 कृषि उपज मंडियां और 4,000 उप-बाजार हैं। पहले कृषि उपज मंडी समितियों के भीतर या एक ही राज्य की दो मंडियो में कारोबार होता था। हाल ही में पहली बार दो राज्यों की अलग-अलग मंडियो के बीच ई-नाम से व्यापार किया गया। इसमें उत्तराखंड के हलद्वानी के एक किसान ने अपने टमाटर उत्तर प्रदेश की बरेली की मंडी के एक व्यापारी को बेचे थे। उसी दिन एक और सौदा उत्तराखंड की रुद्रपुर मंडी के एक व्यापारी ने उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद मंडी के एक किसान से आलू खरीदने का भी किया था। दोनों ही मामलों में भुगतान डिजिटल माध्यम से किया गया।

यह भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश की ई-नाम मंडियों को जल्द मिलेगी बेहतर इंटरनेट सुविधा

     

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