पशुपालक अमेजन पर बेच रहे हैं 120 रुपए में एक दर्जन उपले
Sanjay Srivastava 7 May 2017 5:53 PM GMT

जयपुर (आईएएनएस)। राजस्थान के कोटा शहर के तीन युवा उद्यमी अपने 15 साल पुराने डेयरी के पारिवारिक व्यवसाय को एक अलग अंदाज में आगे बढ़ा रहे हैं। अब यह उद्यमी ई-कामर्स साइट अमेजन पर उपले (गाय के गोबर के) बेच रहे हैं।
एपीईआई ऑर्गेनिक फूड्स के तीन निदेशकों में से एक अमनप्रीत सिंह ने कहा, "हमें इस व्यापार में संभावनाएं दिखीं। बीते तीन महीने से हम अमेजन पर उपले बेच रहे हैं।"
यह उपले क्वार्टर प्लेट आकार के हैं और इनकी कीमत प्रति दर्जन 120 रुपए है। मौजूदा समय में हम हर हफ्ते 500 से 1000 उपले बेच रहे हैं।
अमनप्रीत सिंह ने कहा, "हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है, खास तौर से मुंबई, दिल्ली और पुणे से।"
उपलों को इस तरह पैक किया जा रहा कि यह टूटे नहीं। प्रारंभ में गोबर को सुखाया जाता है। फिर इसे एक गोलाकार डाई में रखा जाता है जिसे गर्म किया जाता है। इसके बाद तैयार माल को कार्डबोर्ड बॉक्स में पैक किया जाता है और ग्राहक को भेजा जाता है।
अमनप्रीत सिंह ने कहा कि खरीदारों तक ऑनलाइन पहुंचने का विचार एक शहरों की मांग की वजह से आया, जहां पशुधन प्रबंधन और डेयरी की कमी है। इन शहरों में लोगों के बीच खासतौर पर इसकी मांग धार्मिक उद्देश्यों के लिए है।
कंपनी का कोटा के निकट पशुधन फार्म 40 एकड़ में फैला हुआ है। यहां 120 गाएं है। यह आधुनिक सुविधाओं, प्रभावी संपर्क, कुशल श्रमिकों से लैस है।
परिवार के स्वामित्व वाले आर्गेनिक डेयरी दुग्ध ब्रांड का नाम 'गऊ' है। इसका मतलब गाय तो है ही, यह तीनों निदेशकों के नाम के पहले अक्षर से बना है, जिसमें गगनदीप सिंह (जी), अमनप्रीत सिंह (ए) और उत्तमजोत सिंह (यू) शामिल हैं।
कोटा में 24 से 26 मई तक आयोजित हो रहे ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (जीआरएएम) में इन उद्यमियों की भारी मांग होने की उम्मीद की जा रही है।
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अमनप्रीत सिंह ने कहा कि गायों का चारा आर्गेनिक रूप से स्वस्थ और पोषक वातावरण में उगाया जाता है। डेयरी फर्म के अपशिष्ट से बिजली, गैस, वर्मी कंपोस्ट और उपले बनाए जाते हैं।
कंपनी ने पशुओं के लिए रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) लगाया जिससे जानवरों के स्वास्थ्य और पोषण पर दुनिया में कहीं से भी नजर रखी जाती है।
निदेशक का दावा है कि यह डेयरी फार्म राजस्थान का पहला बॉयोगैस संयंत्र है जो बिजली का उत्पादन करता है। यह फार्म में बिजली का एकमात्र स्रोत है। यह रोजाना 40 किलोवाट बिजली का उत्पादन करता है। इससे सालाना 24 लाख रुपए की बचत होती है।
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