चाय बोर्ड, कॉफी बोर्ड, रबर बोर्ड और मसाला बोर्ड विलय की योजना टली

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   15 Dec 2017 6:07 PM GMT

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चाय  बोर्ड, कॉफी बोर्ड, रबर बोर्ड और मसाला बोर्ड विलय की योजना टलीचाय के बागान

कोलकाता (भाषा)। टी बोर्ड के चेयरमैन पी.के.बेजबरआ ने कहा कि सरकार ने कुछ जिंस बोर्डों को आपस में मिला कर एक निकाय बनाने की योजना टाल दी है। सरकार पहले टी बोर्ड, कॉफी बोर्ड, रबर बोर्ड और मसाला बोर्ड को आपस में मिलाकर एक निकाय बनाने पर विचार कर रही थी।

बेजबरआ ने इंडियन टी एसोसिएशन (आईटीए) की वार्षिक आम बैठक से इतर कल शाम कहा, अभी के लिए टी बोर्ड को अन्य वस्तु बोर्ड के साथ मिलाने के प्रस्ताव को टाल दिया गया है। टी बोर्ड अपनी जगह पर बना रहेगा। बैठक में उन्होंने कहा कि उद्योग जगत को निर्यात पर ध्यान देना चाहिए जहां लक्ष्य प्राप्त करने की संभावनाएं हैं।

उन्होंने संगठित क्षेत्र के साथ चाय के छोटे उत्पादकों के सह-अस्तित्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, चाय के छोटे उत्पादक कुल उत्पादन में 46 प्रतिशत योगदान दे रहे हैं. उनके लिए कोई भी रास्ते बंद नहीं कर सकता है।

चाय बोर्ड की भूमिका में बदलाव की तैयारी

वाणिज्य मंत्रालय चाय बोर्ड की भूमिका की विवेचना कर रहा है और इसे बदलने की प्रक्रिया में है। सरकार के अनुमानों के मुताबिक, चाय बोर्ड के माध्यम से सब्सिडियों को पहुंचाने की लागत सब्सिडी से ज्यादा होती है।

वाणिज्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव (बागवानी) संतोष सारंगी ने कहा, चाय बोर्ड की भूमिका को सब्सिडी वितरण करने वाले निकाय से बदलकर इकाई के रूप में किया जाएगा, जो कि उद्योग के साथ मिलकर काम करेगा। उन्होंने कहा कि चाय उद्योग का कुल कारोबार बहुत अधिक है और इसलिए सरकार को सब्सिडी देने की आवश्यकता नहीं है।

चाय बोर्ड के पूर्व डिप्टी चेयरमैन सारंगी ने भारतीय चाय संघ (आईटीए) की सालाना आम बैठक कहा, चाय बोर्ड के माध्यम से हम जितनी सब्सिडी दे रहे हैं उससे ज्यादा उसको पहुंचाने की लागत आ रही है। रबड बोर्ड का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि रबड उद्योग को 30 करोड़ की सब्सिडी दी गई थी जबकि उसको पहुंचाने की लागत 100 करोड़ रुपए आई थी।

दार्जिलिंग चाय उद्योग के लिए अतिरिक्त वित्तीय पैकेज की मांग

केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने व्यय विभाग से दार्जिलिंग के संकटग्रस्त चाय उद्योग को मदद पहुंचाने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता पहुंचाने की मांग की है। दार्जिलिंग चाय उद्योग को उत्तरी बंगाल की पहाड़ियों में अनिश्चितकालीन बंद की वजह से काफी नुकसान हुआ है।

दार्जिलिंग आंदोलन की वजह से दार्जिलिंग के 87 बागानों में चाय पत्ती तोड़ने और चाय उत्पादन और चाय का लगभग 70 फीसदी वार्षिक उत्पादन तीन महीने से ठप पड़ा है।

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केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव संतोष सारंगी ने कहा, "उद्योग को बाहरी कारकों की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इस संदर्भ में हमें दार्जिलिंग चाय संघ (डीटीए) और भारतीय चाय संघ (आईटीए) से प्रस्ताव मिले हैं, जिन्हें चाय बोर्ड ने संग्रहित किया और हमें भेजा।"

उन्होंने कहा, "हमने व्यय विभाग से अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मांग की है और हम इस उद्योग की मदद के लिए विभाग के साथ मिलकर काम करेंगे।"

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रस्तावित वित्तीय सहायता प्रस्ताव उद्योग के पुनर्निर्माण के लिए है, जो बागानों के लिए जरूरी है।

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