किसानों के लिए खुशखबरी, चीनी पर आयात शुल्क 100 फीसद हुआ

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   7 Feb 2018 5:13 PM GMT

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किसानों के लिए खुशखबरी, चीनी पर आयात शुल्क 100 फीसद हुआचीनी  

नयी दिल्ली। सस्ते आयात पर अंकुश लगाना तथा किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क दोगुना कर 100 प्रतिशत कर दिया है।फिलहाल चीनी पर आयात शुल्क 50 प्रतिशत थी।

केंद्रीय उत्पादन एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) की अधिसूचना के अनुसार सभी प्रकार की चीनी (कच्ची चीनी, प्रसंस्कृत या सफेद चीनी) पर मौजूदा आयात या सीमा शुल्क 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत किया गया है। उच्च कर तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।

चीनी उद्योग आयात शुल्क बढ़ाने की मांग करता रहा है क्योंकि मिलों में कीमत उत्पादन लागत से नीचे आ गई है। इससे किसानों को समय पर गन्ना भुगतान की क्षमता बाधित हो रही है। चालू चीनी उत्पादन व विपणन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में घरेलू बाजार में चीनी के भाव भारी गिरावट को ध्यान में रखते हुए चीनी मिलों ने खाद्य मंत्रालय से आयात शुल्क को बढ़ाकर सौ फीसदी करने की सिफारिश की थी। मंत्रालय की सिफारिश पर संसद के बजट सत्र के चालू रहते हुए सरकार ने इस आशय का फैसला लिया।

इससे घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में 20 से 25 रुपए प्रति कुंतल का सुधार आया है। दिल्ली में चीनी के भाव सुधरकर 3,375 से 3,425 रुपए और उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,050 से 3,225 रुपए प्रति कुंतल (टैक्स अलग) हो गए।

उद्योग के हाल में संशोधित अनुमान के अनुसार देश में चीनी उत्पादन मौजूदा विपणन वर्ष 2017-18 (अक्तूबर-सितंबर) चार प्रतिशत बढ़कर 2.61 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो 2016-17 में 2.03 करोड़ टन था। वहीं खपत 2.5 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया गया है।

नेशनल फेडरेशन ऑफ कॉपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने सरकार के इस फैसले खुशी जाहिर की और कहा कि इससे विदेशों से चीनी आने की संभावना खत्म हो जाएगी और घरेलू बाजार भाव में थोड़ा सुधार होगा।

उन्होंने कहा कि सरकार को देसी चीनी उद्योग की सेहत सुधारने के लिए और कदम उठाने होंगे। मसलन, निर्यात शुल्क को घटाकर शून्य किए जाने से चीनी निर्यात की संभावना बन सकती है। चीनी पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क वर्ष 2016 से लागू है।

प्रकाश नाइकनवरे ने सरकार को दोबारा चीनी मिलों के लिए निर्यात का एक कोटा तय करने पर विचार करना चाहिए। अगर निर्यात 14-15 लाख टन हो जाता है तो उद्योग की हालत सुधर जाएगी।

वर्ष 2015 में सरकार ने घरेलू चीनी मिलों को कुल 40 लाख टन चीनी निर्यात करना अनिवार्य कर दिया था। हालांकि चीनी वर्ष 2015-16 में महज 16 लाख टन ही चीनी का निर्यात हो पाया था। चीनी के निर्यात पर इस समय 20 फीसदी निर्यात शुल्क है तथा पूरी दुनिया में चीनी के भाव नीचे है इसलिए हमारे यहां से निर्यात पर फायदा नहीं हो रहा है।

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भारतीय चीनी मिल एसोसिएशन के निदेशक के संजय बनर्जी कहते हैं, "इस बार गन्ने का उत्पादन अच्छा हुआ है और चीनी का उत्पादन भी अच्छा हो रहा है, इसलिए ये फैसला लिया गया है, इससे चीनी मिलों को फायदा होगा तो किसानों को सही समय पर पैसे दे पाएंगे। इससे चीनी के दाम में स्थिरता आएगी, पिछले वर्ष दक्षिण में चीनी का उत्पादन कम हुआ था, तो जो भी बाहर से चीनी मंगाई गई, वहीं पर भेजी गई। हर वर्ष का निर्धारित नहीं है कि हम कितनी चीनी बाहर से मंगाएंगे।"

इनपुट भाषा

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